
- तबादलों के लिए माननीयों की सिफारिश वाले आवेदनों को भी किया नस्तीबद्ध …
भोपाल/रवि खरे/बिच्छू डॉट कॉम। प्रदेश के 19 जिले ऐसे हैं, जिनमें शिक्षकों को तबादले का कोई अधिकार नहीं है। इसकी वजह बना है ऑनलाइन आवेदन की सुविधा नहीं दी जाना। यही नहीं स्कूल शिक्षा विभाग ने इस बार माननीयों की सिफारिशों पर भी तबादला नहीं किया जाना तय किया है। जिन शिक्षकों ने मनचाही पदस्थापना स्थल पर तबादलों के लिए माननीयों से सिफारिश करवाई है , उनके आवेदनों को भी निरस्त कर दिया गया है। विभाग के इन दोनों फैसलों की वजह से शिक्षक हतप्रभ हैं।
दरअसल इसको लेकर विभाग भी स्पष्ट कर चुका है। विभाग द्वारा जारी किए गए आदेश में कहा गया है कि माननीयों के माध्यम से आने वाले आवेदनों को नस्तीबद्ध किया जा रहा है। यह आदेश आयुक्त लोक शिक्षण अभय वर्मा द्वारा जारी किए गए हैं। इसमें कहा गया है कि आवेदन सिर्फ ऑनलाइन ही करें। इसके अलावा विभाग की तबादला की प्रक्रिय से इस बार भोपाल सहित 19 जिलों के लिए शिक्षकों को आवेदन करने की सुविधा से भी दूर रखा जा रहा है। इसकी वजह है तीस सितंबर से शुरू की गई तबादला की प्रक्रिया में महज दो दिन के लिए पोर्टल खोला गया, जबकि आवेदन के लिए शिक्षकों को सात अक्टूबर तक का समय दिया गया है। पोर्टल नहीं खुलने से इन जिलों के शिक्षक परेशान घूम रहे हैं, लेकिन उनकी कोई सुनवाई नहीं हो रही है। स्कूल शिक्षा विभाग की आनलाइन स्थानांतरण प्रक्रिया तीस सितंबर से शुरू हुई है।
यह है वजह
दरअसल जिन जिलों में आने के लिए पोर्टल को लॉक किया गया है, उनमें पहले से ही अतिशेष शिक्षक बड़ी संख्या में हैं। यह अतिशेष शिक्षक भी प्रायमरी स्कूलों में हैं। इसकी वजह से प्रायमरी शिक्षकों के आने पर रोक लगाने के लिए यह कदम उठाया गया है। इसमें दूसरे जिलों में स्थानांतरण कराने पर कोई पाबंदी नहीं लगाई गई है। इस तरह की स्थिति खासतौर पर बड़े शहरों में हैं। इन जिलों में माध्यमिक व उच्च माध्यमिक शिक्षक किसी भी जिले में स्थानांतरण के लिए आवेदन कर सकते हैं। दो दिन के लिए खोले गए पोर्टल में ही विभाग को करीब 3800 से अधिक आवेदन मिले हैं। दरअसल तीन साल पहले विभाग ने स्वैच्छिक आनलाइन स्थानांतरण प्रक्रिया शुरू की थी, जिसकी वजह से बड़ी मात्रा में ग्रामीण क्षेत्रों से शिक्षक शहरी क्षेत्रों के स्कूलों में तबादला कराकर आ गए थे। इसकी वजह से शहरी क्षेत्रों में 300 से 400 अतिशेष शिक्षकों की संख्या में वृद्वि हो गई थी। ऐसे जिलों में भोपाल, ग्वालियर, इंदौर, आगर -मालवा, बालाघाट, बैतूल, बुरहानपुर, छिंदवाड़ा, धार, खरगोन, नर्मदापुरम, नरसिंहपुर, नीमच, राजगढ़, रतलाम रीवा, सीहोर, सिवनी, शाजापुर शामिल हैं। इन जिलों में शिक्षकों को जिले के अंदर ही दूसरे स्कूलों में अपनी पदस्थापना कराने की सुविधा दी गई है। वहीं अभी तक अतिशेष शिक्षकों और सीएम राइज स्कूलों के पुराने शिक्षकों की पदस्थापना नहीं होने से पोर्टल पर रिक्त पद दिख रहे हैं।
परिवीक्षा अवधि में तबादले का आरोप
उधर, विभाग पर आरोप लगाया जा रहा है कि कुछ अफसरों द्वारा अपने चहेतों को उपकृत करने के लिए नवनियुक्त शिक्षकों को परिवीक्षा अवधि में भी मनचाही जगह पदस्थापना का लाभ दे दिया गया है। इस मामले में शासकीय शिक्षक संगठन के प्रदेश अध्यक्ष उपेंद्र कौशल का कहना है कि सालों से तबादलों का इंतजार कर रहे शिक्षकों की ओर शासन का ध्यान नहीं है। स्थानांतरण नीति में शिक्षकों के लिए ग्रामीण क्षेत्रों में 5 वर्ष कार्य करने की अनिवार्यता और नवनियुक्त शिक्षकों को परिवीक्षाधीन में स्थानांतरण की सुविधा दी है। शहरी क्षेत्रों में अतिशेष शिक्षकों की भरमार है। सीएम राइज स्कूलों में पूर्व से पदस्थ शिक्षकों को समायोजन का इंतजार कर रहे है, लेकिन शिक्षा विभाग का इनकी ओर ध्यान नहीं है। लेकिन नवनियुक्त शिक्षकों को नियमों से हटकर उपकृत किया ला रहा है।