- तमाम दावों के बाद भी तीनों कंपनियां नहीं रोक पा रहीं बिजली चोरी …
भोपाल/विनोद उपाध्याय/बिच्छू डॉट कॉम। मप्र देश में सबसे अधिक बिजली उत्पादन करने वाले राज्यों में शामिल है। वहीं प्रदेश में बिजली चोरी भी रिकॉर्ड स्तर पर हो रही है। प्रदेश के बिजली कंपनियों ने बिजली चोरी रोकने के लिए कई कार्ययोजनाएं बनाई हैं और तमाम तरह के दावे किए हैं, लेकिन बिजली चोरी रोक नहीं पा रही हैं। इस कारण प्रदेश की बिजली कंपनियों को रोजाना तकरीबन 35 करोड़ रूपए की चपत लग रही है।
मप्र में राजधानी भोपाल हो या फिर प्रदेश का दूर दराज का इलाका, बिजली चोरी निर्वाध रूप से हो रही है। इसका प्रभाव यह पड़ा है कि मप्र की तीनों बिजली वितरण कंपनियां बिजली चोरी रोकने और बिलों की वसूली में यूपी, बिहार, छग से भी बहुत पीछे हैं। इस कारण प्रदेश की इन कंपनियों को सालभर में रोजाना करीब 35 करोड़ का नुकसान हो रहा है। इसका असर हमारे बिजली बिलों पर भी पड़ता है। मप्र में बिजली की लागत और वसूली का अंतर 1.23 रुपए है। यह 27 बड़े और छोटे राज्यों और केन्द्र शासित प्रदेशों के मुकाबले बहुत ज्यादा है। हालत यह है कि लागत और वसूली का मप्र में यह अंतरराष्ट्रीय औसत 0.71 रुपए से भी अधिक है।
मप्र 28वें नंबर पर
पावर फाइनेंस कारपोरेशन की ताजी रिपोर्ट में यह खुलासा हुआ है। इस अंतर के मामले में राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में मप्र 28वें नंबर पर है। छत्तीसगढ़ जैसे छोटे राज्य में यह अंतर सिर्फ 0.06 रुपए यानी छह पैसे प्रति यूनिट है। बिजली कंपनी के रिटायर्ड एडि. चीफ इंजीनियर राजेंद्र अग्रवाल बताते हैं राज्य सरकार जो बिजली मुफ्त देती है और बकाया माफ करती है, उस सब्सिडी के रूप में कपंनियों के सरकार पर 24 हजार करोड़ बकाया हैं। सरकार ने 255.8 करोड़ 40 किस्तों में देने का निर्णय लिया है। इसमें देरी से तीन साल में ही बिजली 5.25 प्रतिशत महंगी हुई। प्रदेश के ऊर्जा मंत्री प्रद्युम्न सिंह तोमर का कहना है कि वित्तीय संसाधनों के अनुरूप बजट तय किया जाता है। कल्याणकारी योजनाओं के तहत किसानों और गरीबों को बिजली के मामले में सब्सिडी दी जाती है। बिजली कंपनियों को भी हम समय पर यह भुगतान करते हैं, कभी-कभी इसमें थोड़ा विलंब हो जाता है।
बिजली चोरी में भिंड नंबर-1
प्रदेश में बिजली चोरी रोकने और अवैध बिजली कनेक्शन पर अब तक लगाम नहीं लग सकी है। प्रदेश के ज्यादातर जिलों में धड़ल्ले से बिजली चोरी हो रही है। अप्रैल-मई-जून के आंकड़ों के मुताबिक, राज्य में भिंड जिला बिजली चोरी के मामले में अव्वल है। यहां सबसे ज्यादा 65.23 प्रतिशत बिजली चोरी हुई है। बिजली थाने और इनाम देने का प्रयोग भी बिजली चोरी रोकने में नाकामयाब साबित हुआ है। प्रदेश भर में बिजली चोरी के मामले लगातार बढ़ रहे हैं। भोपाल उत्तर शहर में 46.79 प्रतिशत बिजली की चोरी हुई है। भोपाल सिटी (साउथ) में 35.39 प्रतिशत बिजली की चोरी हुई है। भोपाल सिटी पूर्व में 49.47 प्रतिशत, भोपाल सिटी पश्चिम में 27.57 प्रतिशत, भोपाल कोलार क्षेत्र में 38.74 प्रतिशत बिजली की चोरी की गई है। जानकारी के मुताबिक, हरदा में 53.50 प्रतिशत, रायसेन में 54 प्रतिशत, ग्वालियर शहर में 50.43 प्रतिशत, मुरैना सर्किल में 58.68 प्रतिशत, भिंड में 65.23 प्रतिशत बिजली की चोरी हुई है। मध्य क्षेत्र विद्युत वितरण कंपनी के अधिकारी का कहना है कि कंपनी के वितरण के तहत 4 संभाग आते हैं। इसमें कई जिले ऐसे हैं, जहां लगातार बिजली चोरी के मामले बढ़ रहे हैं। उनमें भिंड और मुरैना जिला सबसे आगे हैं। इस चोरी को कई प्रकार से रोकने की कोशिश की जा रही है।
बिजली थाना और इनाम का प्रयोग भी हुआ विफल
कंपनी के सीनियर पब्लिसिटी ऑफिसर, मनोज द्विवेदी ने बताया कि बिजली चोरी रोकने के लिए आर्म्ड केबल डाली जा रही है। ऑटो कट ट्रान्सफर का प्रयोग नर्मदापुरम, सीहोर में किया जा रहा है। दोनों जिलो में प्रयोग सफल होने पर भिंड, मुरैना, ग्वालियर में भी आर्म्ड ट्रांसफार्मर लगाए जाएंगे। अवैध बिजली कनेक्शन लेने वालों के खिलाफ निरीक्षण कर कार्रवाई भी की जा रही है। इसमें विभिन्न धाराओं के तहत जुमार्ने का भी प्रावधान है। साथ ही, बिजली चोरी के आरोपी को एक साल जेल भी हो सकती है। उन्होंने बताया कि प्रदेश में अवैध बिजली कनेक्शन और बिजली चोरी रोकने के लिए विद्युत वितरण कंपनियों ने नया प्रयोग किया था। इसके तहत बिजली चोरी पकड़ाओ और इनाम पाओ योजना की शुरूआत की थी। इसके लिए विजिलेंस टीम तैयार की गई थी। शिकायत करने वालों की पहचान भी गुप्त रखने की बात कही गई थी। बिजली विभाग का यह प्रयोग भी नाकाफी साबित हुआ। बिजली चोरी रोकने के लिए अलग से बिजली थाने बनाने का प्रयोग भी सफल नहीं हो सका है। अब तक प्रदेश भर में धड़ल्ले से बिजली चोरी जारी है। बिजली चोरी होने से बिजली विभाग को हर बार करोड़ों का नुकसान भी उठाना पड़ रहा है।