लाखों की चपत लगाने वाले रसूखदारों के सामने संपदा संचालनालय व सरकार का सरेंडर

 संपदा संचालनालय
  • प्रदेश में आला अफसरों को सरकारी रेस्टहाउस और गेस्ट हाउस होने के बाद भी कई आलीशान बंगले गेस्ट हाउस के लिए आंवटित किए गए हैं…

    भोपाल/गौरव चौहान/बिच्छू डॉट कॉम।
    सरकारी आवासों के आंवटन से लेकर उनसे किराया वसूली तक का दायित्व निभाने वाले संपदा संचानलय में भी रसूख देखकर ही कदम उठाए जाते हैं। हालत यह है कि जिसका जितना रसूख उस पर उतना बकाया। इसके बाद भी न तो उन्हें आवंटित भवन ही खाली कराए जा रहे हैं और न ही उनसे वसूली के लिए कोई ठोस कदम ही उठाए जा रहे हैं। जिन पर बड़ी रकम बकाया है वे ऐसे दल और संस्थाएं हैं जिनसे न तो प्रदेश का कोई भला होता है और न ही आमजन को। दरअसल प्रदेश में आला अफसरों के लिए तमाम तरह के सरकारी रेस्टहाउस और गेस्ट हाउस होने के बाद भी उन्हें कई आलीशान बंगले गेस्टहाउस के लिए आंवटित किए गए हैं। लगभग यही स्थिति राजनैतिक दलों की भी है। जिन दलों के एक भी विधायक प्रदेश में नहीं हैं, लेकिन उन्हें भी अपने कार्यालय संचालित करने के लिए शासकीय आवास आंवटित किए गए हैं। इसके बाद भी इन सभी के द्वारा तय न्यूनतम किराए तक का सालों से भुगतान नहीं किया जा रहा है। इसके बाद भी उन पर कोई कार्रवाई नहीं की जा रही है। अगर इस तरह की स्थिति अगर किसी छोटे कर्मचारी के साथ होती तो अब तक संपदा का अमला पुलिस के माध्यम से न केवल रकम की वसूली सख्ती से कर चुकी होती बल्कि उनका सामना तक सड़क पर फिकवा चुकी होती। खास बात यह है कि ऐसे मामलों में सरकार भी पूरी तरह से चिर निद्रा में बनी रहती है। इसमें नियमों व कानूनों को लागू करने वाले आईएएस अफसरों की एसोसिएशन भी शामिल है। उस पर किराए के रूप में करीब 60 लाख रुपए का बकाया बना हुआ है। यह वे अफसर हैं जिन्हें सरकार गेस्टहाउस से लेकर विभागों के गेस्टहाउस में रुकने की पात्रता मिली हुई है, लेकिन इसके बाद रसूख के लिए उनके द्वारा चार इमली जैसे पॉश इलाके में एक साथ तीन -तीन बंगलों को बतौर गेस्टहाउस के नाम पर आंवटित करा रखा है।
    इस बकाया राशि को तो एसोसिएशन चुकाने में कोई रुचि नहीं ले रही है, बल्कि अब तो हद यह है कि सरकारी स्तर पर इनका किराया पूरी तरह से माफ करने की भी तैयारी कर ली गई है। इसके लिए अब जो प्रस्ताव सरकार स्तर पर तैयार किया गया है, उसके मुताबिक एसोसिएशन को किराए के रुप में महज एक रुपए का ही भुगतान करना होगा। इस तरह से सरकार उन्हें आमजन से वसूली गई गाड़ी कमाई पर ऐश करने की सुविधा देने की तैयारी कर चुकी है। यह वो वर्ग है जिसे पहले से अरेरा क्लब के नाम से वेशकीमती जमीन आवंटित है। यहां पर पहले से ही आलीशान सुविधाएं मौजूद हैं।  
    विभागों के भी हैं गेस्टहाउस
    प्रदेश के अला अफसरों के लिए पहले से ही राजधानी में लोक निर्माण विभाग के अलावा कई अन्य विभागों के अपने रेस्टहाउस मौजूद हैं, इसके बाद भी एसोसिएशन के नाम पर तीन-तीन बंगले गेस्ट हाउस के नाम पर आवंटित करा रखे हैं। सरकार को चाहिए की वह या तो भोपाल में आने वाले इस  वर्ग के अफसरों से होटल में सरकारी खर्च पर रुकने की पात्रता छीन ले या फिर गेस्टहाउस के लिए आवंटित आवासों को निरस्त कर दे। यही हाल अन्य संवर्ग के आला अफसरों का भी है। राजधानी भोपाल में मध्य प्रदेश आईएएस एसोसिएशन के 3 सरकारी आवासों में गेस्ट हाउस है गेस्ट हाउस के लिए पीडब्ल्यूडी ने एसोसिएशन को 28 दिसंबर 1998 में ईएन-1/3 तथा ईएन-1/4 तथा 1 दिसंबर 1993 में बी-25 चार इमली में आवास आवंटित किए थे इनमें इनके दो आवासों पर किराया 39.6 लाख रुपए तथा तीसरे आवास पर किराए का 21.56 लाख रुपए इस तरह कुल 60 लाख 62 हजार 435 रुपए और राज्य प्रशासन सेवा संघ को तुलसी नगर में आवंटित 2 आवासों का 11 लाख 52 हजार 600 रुपए बकाया है।
    राजनैतिक दल भी पीछे नहीं
    राजनीतिक दलों पर भी सरकारी आवासों का लाखों का किराया अटका हुआ है। किराया वसूलने के लिए संपदा द्वारा कई  बार बेदखली नोटिस भी जारी किए गए हैं , लेकिन उसके बाद हुआ कुछ भी नहीं। सरकार द्वारा जिन राजनैतिक दलों को सरकारी आवास कार्यालय संचालित करने के नाम पर आवंटित कर रखे हैं  उनमें बसपा ,समाजवादी  पार्टी, गोंडवाना पार्टी और राष्ट्रीय गोंडवाना गणतंत्र पार्टी शामिल हैं। इनमें से दोनों गोंडवाना पार्टी के तो बीते दो चुनावों से एक भी विधायक तक निर्चाचित नहीं हो रहे हैं। इसी तरह से बसपा व सपा के भी एक दो ही विधायक निर्वाचित हो रहे हैं। खास बात यह है कि बसपा पर तो लगभग 23 लाख रुपए का किराया बाकी सालों से बना हुआ है।  इसके बाद भी उसको आवंटित सरकारी भवन खाली नहीं कराया जा रहा है। यह आवास सरकार द्वारा उसे 74 बंगला जैसे पाश इलाके में दिया गया है।  इसी तरह से सपा पर भी करीब दस लाख रुपए का किराया बाकी है। यह हाल प्रदेश में जब हैं जबकि सरकार गंभीर आर्थिक संकट का सामना कर रही है।

Related Articles