शिवराज का अब सूबे में स्टार्टअप्स और एमएसएमई सेक्टर पर फोकस

शिवराज

-रोजगार के साथ ही प्रदेश की अर्थव्यवस्था समृद्ध करने की कवायद

भोपाल/हरीश फतेहचंदानी /बिच्छू डॉट कॉम। मध्य प्रदेश की शिवराज सरकार ने अब रोजगार और प्रदेश की अर्थव्यवस्था को समृद्ध करने की कवायद के लिए स्टार्टअप्स और एमएसएमई सेक्टर पर फोकस करना शुरू कर दिया है। यही वजह है कि अब सूबे की सरकार देश की 10 बड़ी कंपनियों के साथ एमओयू करने जा रही है। यह एमओयू मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान की मौजूदगी में किए जाएंगे। यह एमओयू देश की प्रतिष्ठित शासकीय एवं गैर-शासकीय संस्थाओं के साथ किए जा रहे हैं।
प्रदेश में स्टार्टअप्स और एमएसएमई को व्यावसायिक एवं तकनीकी रूप से सक्षम तथा सुदृढ़ बनाने और विपणन के नये अवसर देने के उद्देश्य से एमओयू किये जा रहे हैं। स्टार्टअप्स एवं एमएसएमई से जुड़ी या उनके लिये कार्य कर रही संस्थाओं का सहयोग लिये जाने के दृष्टिगत इन्हें बेहद महत्वपूर्ण माना जा रहा है। इसमें केन्द्र सरकार की संस्था ओपन नेटवर्क फॉर डिजिटल कॉमर्स (ओएनडीसी) भी शामिल है। ओएनडीसी ओपन प्रोटोकॉल पर आधारित एक नेटवर्क है। यह मोबिलिटी, किराना, फूड आर्डर, डिलीवरी, होटल बुकिंग और यात्रा जैसे क्षेत्रों में स्थानीय वाणिज्य को मंच प्रदान करता है। इसका उद्देश्य नये अवसर पैदा करना, डिजिटल एकाधिकार पर अंकुश लगाना, सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यमों तथा छोटे व्यापारियों का समर्थन करना और उन्हें ऑनलाइन प्लेटफार्म पर लाने में मदद करना है। ओएनडीसी के साथ एमओयू से प्रदेश की एमएसएमई और स्टार्टअप्स को लाभ एवं सहयोग प्राप्त होगा। इससे लघु उद्योग, स्टार्टअप्स और बाजार सहभागियों को प्रशिक्षित करने के लिये कार्यशालाओं के आयोजन में सहयोग मिलेगा। ओएनडीसी नेटवर्क पर संबंधित बाजार सहयोगियों को शामिल करने की सुविधा मिलेगी। इस नेटवर्क में अन्य मौजूदा प्रतिभागियों के साथ जोड़ने की सुविधा भी प्राप्त होगी।  प्रदेश में स्टार्टअप्स एवं एमएसएमई को सक्षम बनाने के लिये राज्य शासन की नीतियों के फलस्वरूप अनुकूल वातावरण का निर्माण हुआ है। इस अनुकूल वातावरण का लाभ उठाते हुए अब प्रदेश में एक बेहतर ईको-सिस्टम निर्मित किया जाना है। इसके लिये स्टार्टअप्स एवं एमएसएमई से जुड़ी हुई या उनके लिये कार्य कर रही संस्थाओं का सहयोग लिया जाना आवश्यक है, जिससे सभी के सहयोग, सुझावों एवं विशेषज्ञता का लाभ प्रदेश को मिल सके और सबका साथ लेकर सबका विकास हो सके।
राज्य में उद्योगों का विस्तार कर प्रदेश से निर्यात बढ़ाने की संभावनाएं साकार करने के साथ-साथ वोकल फॉर लोकल पर भी उद्योग विभाग खास ध्यान दे रहा है। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने आत्मनिर्भर भारत के लिए 2024 तक आत्मनिर्भर मध्यप्रदेश का संकल्प लिया है जिसका एक अहम हिस्सा एमएसएमई क्षेत्र का विकास और विस्तार है इसलिए राज्य सरकार का पूरा फोकस एमएमएमई को मजबूत कर प्रदेश की अर्थव्यवस्था की गति कायम रखना है। अपने संकल्प को साकार करने के लिए मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान नीति निर्माण से लेकर उसके सही क्रियान्वयन तक कोई कोर कसर नहीं छोड़ रहे हैं। फिर चाहे वह एमपी स्टार्ट-अप नीति 2022 का शुभारंभ कर नए उद्यमियों को अवसर देना हो या फिर हर महीने रोजगार मेलों का आयोजन कर लाखों युवाओं को स्वरोजगार के लिए मदद करना।
प्रदेश में 17 क्लस्टर किए जा रहे विकसित
प्रदेश में सूक्ष्म,लघु और मध्यम उद्योगों को बढ़ावा देने के लिए नए क्लस्टर बनाने पर सरकार तेजी से कार्य कर रही है। प्रदेश के एमएसएमई विभाग द्वारा 17 क्लस्टर विकसित किये जा रहे हैं जिससे रोजगार के नए अवसर राज्य को युवाओं को मिलेंगे। केन्द्र सरकार ने उज्जैन में मेडीकल डिवाइस पार्क की स्थापना को मंजूरी दे दी है। इसके अलावा प्रदेश में 11 नए औद्योगिक क्षेत्र भी विकसित किये जा रहे हैं जिससे रोजगार सृजन होगा। साल 2022-23 में 21 हजार 865 करोड़ रुपए की 381 परियोजनाओं में निवेश किया जाना है। इससे राज्य के 60 हजार से ज्यादा लोगों को रोजगार मिलेगा।
अर्थ-व्यवस्था को स्पीड दे रहे हैं स्टार्ट-अप
प्रदेश के उद्योग अर्थव्यवस्था की रीढ़ है। खासतौर पर पिछले दो वर्षों में एमएसएमई उद्योगों का जाल प्रदेश के हर अंचल में जिस तरह से फैला है उसने अर्थव्यवस्था को बहुत मजबूती दी है। प्रदेश में एमएसएमई उद्योगों को बढ़ावा देने के लिए एक साथ 1 हजार 800 से अधिक इकाइयां स्थापित हो चुकी हैं। इसके अलावा प्रदेश में 650 से अधिक नई औद्योगिक ईकाइयां आईं हैं, जिससे 40 हजार करोड़ से अधिक का निवेश और 1 लाख नए रोजगार के अवसर उपलब्ध होंगे। इसके साथ ही एमपी स्टार्ट-अप नीति 2022 लागू होने से मध्यप्रदेश तेजी से उभरता स्टार्टअप हब बन रहा है। स्टार्टअप से प्रदेश की अर्थव्यवस्था को भी स्पीड मिल रही है। वर्तमान में प्रदेश में 1 हजार 800 से अधिक स्टार्ट-अप स्थापित हो चुके हैं। जिनमें से कुछ स्टार्ट-अप तो 4 हजार करोड़ से लेकर 8 हजार करोड़ रुपए तक या उससे भी अधिक वैल्यू के हैं।
एमओयू से यह होंगे फायदे
– एकेडमिक और इन्क्यूबेशन सेंटर के लिए क्षमता निर्माण।
– विभाग के साथ इनोवेशन लैब, हब बनाने में सहायता।
– स्टार्टअप को मार्केटिंग और कारोबार फैलाने में मिलेगा मार्गदर्शन।
– टेक्नोलॉजी व कम्युनिटी डेवलपमेंट, नीतिगत व क्लस्टर विकास में सहयोग।
– डिमांड-सप्लाई चैन व परस्पर आर्थिक सहयोग।
– यूएई व यूरोपीय देशों में एक्सपोर्ट की मिलेगी जानकारी।
इन संस्थाओं के साथ होंगे एमओयू
– फेडरेशन फॉर इनोवेशन व टेक्नोलॉजी ट्रांसफर, आइआइटी दिल्ली (फिट्ट): प्रौद्योगिकी और उद्योगों के बीच समन्यय करेगी।
– ओपन नेटवर्क फॉर डिजिटल (ओएनडीसी): यह नेटवर्क मोबिलिटी, किराना, होटल बुकिंग जैसे क्षेत्रों में सहयोग करती है। उद्योगों को ऑनलाइन प्लेटफॉर्म प्रदान करती है।
– स्माल इंडस्ट्रियल डेवलपमेंट बैंक ऑफ इंडिया (सिडबी): लघु व सूक्ष्म उद्योगों को वित्तीय सहयोग।
– एचडीएफसी: देश की अग्रणी बैंक।
– एम-1 एक्सचेंज: यह आरबीआइ से मान्यता प्राप्त माइंड साल्यूशन संस्था है। एमएसएमई-स्टार्टअप इनरोल होकर 44 बैंकों से सहयोग ले सकते हैं।
– युवर स्टोरी: स्टार्टअप के लिए अग्रणी मीडिया, जो उद्यमिता को बढ़ाने में सहयोग करती है।
– एसोचैम : औद्योगिक मदद करेगा।
– सीआइआइ: उद्योगों को विकास के लिए विशेषज्ञ सलाह।
– द ग्लोबल ( इंडस इंटरप्राइजेस): सिलिकॉन वैली स्टार्टअप, जो नेटवर्किग कर उद्यमियों से पूंजी जुटाता है।
– पीएचडी चैंबर ऑफ कॉमर्स: राष्ट्रीय व अंतरराष्ट्रीय स्तर पर एपेक्स संस्था। उद्योग-व्यापार में सहयोग

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