300 उद्योगपतियों से वन टू वन करेंगे शिव

ग्लोबल इन्वेस्टर्स समिट

निवेशकों को सभी सरकारी अनुमतियां मिलेंगी आसानी से…

हरीश फतेहचंदानी/बिच्छू डॉट कॉम। 11-12 जनवरी को होने वाली ग्लोबल इन्वेस्टर्स समिट से पहले ही प्रदेश में निवेश के ऑफर मिलने लगे हैं।  दरअसल इस साल होने जा रही सातवीं समिट में चर्चा और बैठकों से पहले ही निवेश प्रस्तावों पर सरकार और उद्योग विभाग ठोस रूपरेखा बना रहे हैं। समिट के मंच से आखिर में निवेश और करारों की घोषणा की जाएगी। वहीं निवेश की अपार संभावनाओं को देखते हुए सरकार ने निवेशकों को सभी सरकारी अनुमतियां आसानी से उपलब्ध कराने की व्यवस्था भी शुरू कर दी है। इस व्यवस्था के तहत अब निवेशकों को उद्योग लगाने की अनुमति लेने सरकारी दफ्तरों के चक्कर नहीं लगाने पड़ेंगे।
ग्लोबल इंवेस्टर्स समिट में मप्र में निवेश की योजना के साथ 300 उद्योगपति मुख्यमंत्री से वन-टू-वन चर्चा करेंगे। ये वे उद्योगपति हैं जिन्होंने ग्लोबल इंवेस्टर्स समिट में मुख्यमंत्री के साथ चर्चा के लिए ऑनलाइन रजिस्ट्रेशन करवाया है। वहीं प्रदेश सरकार और उद्योग विभाग के पास पहले से 3000 इंटेंशन आफ इंवेस्टमेंट आ चुके हैं। विभाग के अनुसार ग्लोबल इंवेस्टर्स समिट के लिए कुल 4500 उद्योग प्रतिनिधियों ने रजिस्ट्रेशन करवाया है। 300 उद्योगपति मुख्यमंत्री से वन-टू-वन चर्चा के लिए रजिस्टर्ड हैं। ऐसे में चार हजार निवेश प्रस्तावों को समिट के दो दिनों में जमीन पर उतरना लगभग तय माना जा रहा है। जानकारी के मुताबिक 400 बड़े उद्योगपतियों और उद्योग घरानों को भी अलग से न्योता दिया गया है। इनमें अडानी, अंबानी, गोदरेज, बिरला समूह के साथ ख्यात एफएमसीजी कंपनी आइटीसी, फाइनेंस कंपनी बजाज और तमाम बड़े नाम शामिल हैं। ग्लोबल इंवेस्टर्स समिट में उद्योगपतियों को विकल्प दिया गया था कि वे चाहें तो आयोजन के दौरान मुख्यमंत्री, प्रदेश के किसी विभागीय मंत्री या प्रमुख सचिव स्तर के अधिकारी से वन-टू-वन चर्चा कर सकते हैं। इसके लिए आनलाइन रजिस्ट्रेशन करवाने की अनिवार्यता रखी गई थी। संबंधित उद्योगपति से रजिस्ट्रेशन करवाते हुए कंपनी का ब्योरा, टर्नओवर से लेकर निवेश प्रस्ताव की जानकारी भी मांगी गई थी। विकल्प दिया गया था था कि उद्योगपति खुद तय कर सकते हैं कि वे मुख्यमंत्री से चर्चा करना चाहते हैं या अपने निवेश व जरूरत के अनुरूप उद्योगमंत्री और अन्य विभागों के मंत्री और अधिकारियों से सीधी बात। पोर्टल पर उद्योगपति को संबंधित के विकल्प पर क्लिक करना था और अपनी जानकारी देनी थी।
लगातार बढ़ रही निवेश की संभावनाएं
प्रदेश में निवेश की संभावनाएं लगातार बढ़ रही हैं। राज्य सरकार ने निर्णय भी लिया है कि उद्योग लगाने के नाम पर निवेशकों को सभी सरकारी अनुमतियां आसानी उपलब्ध कराई जाएंगी। दफ्तरों में चक्कर नहीं लगाने पड़ेंगे। प्रदेश को कंपलीट बिजनेस सॉल्यूशन के साथ फ्यूचर रेडी स्टेट बनाया जा रहा है। यहां 95 से अधिक औद्योगिक क्षेत्र, 7 स्मार्ट सिटी और बेहतरीन यातायात व्यवस्था है। भोपाल, इन्दौर, ग्वालियर, जबलपुर, खजुराहो में कुल 5 कॉमर्शियल हवाई अड्डे हैं। 20 से अधिक रेल जंक्शन और राज्य में 550 से अधिक ट्रेनें संचालित होती है। मालनपुर, से मंडीदीप, पवारखेड़ा, रतलाम, तिही, धन्नद में 6 इनलैंड कंटेनर डिपो हैं। ग्वालियर से होकर जाने वाले ईस्ट- वेस्ट कॉरिडोर (एन. एच. 27 ) उत्तर भारत में प्रवेश करने के लिए मप्र का गेटवे कहा जाता है। समिट से पहले प्रदेश की 6 कंपनियों ने मध्य प्रदेश में 9617 करोड़ रुपए निवेश का प्रस्ताव दिया है। एचईजी कंपनी ग्रेफाइट एनोड के विनिर्माण के लिए 1200 करोड़ रुपए का निवेश करेगी। वहीं, रमणीक पावर एंड एलायंज बालाघाट 168 करोड़ और बुरहानपुर टेक्सटाइल्स लिमिटेड 297 करोड़ का निवेश करेगी। जबकि बीबा फैशन प्राइवेट लिमिटेड ने पीथमपुर में 117 करोड़ निवेश करने की तैयारी कर ली है। इस समूह द्वारा धार जिले में गारमेंट इकाई की स्थापना प्रस्तावित है। आरएसडब्ल्यूएम लिमिटेड ने टेक्सटाइल्स सेक्टर में आकाटन यार्न विनिर्माण की इकाई की स्थापना का प्रस्ताव दिया है, जिस पर 800 करोड़ रुपए का निवेश किया जाएगा। इसी तरह, टोरेंट पावर लिमिटेड ने छिंदवाड़ा व इंदौर जिले में दो यूनिट पंप स्टोरेज की स्थापना का प्रस्ताव दिया है। इन पर 7500 करोड़ रुपए व्यय होंगे। इसके अलावा, दिल्ली की एलम सोलर कंपनी ने दो चरणों में 1500 करोड़ यूएस डालर के निवेश का प्रस्ताव दिया है। इसके मुताबिक करीब 500 एकड़ में स्थापित प्लांट में 400 मेगावाट बिजली का उत्पादन होगा। इन कंपनियों के प्रतिनिधियों की मध्य प्रदेश में निवेश के संबंध में मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान से चर्चा हो चुकी है। सरकार का मानना है कि इन कंपनियों के निवेश से प्रदेश में 7,300 लोगों को रोजगार मिलेगा।
प्रदेश के निर्यातकों के लिए खुलेगा द्वार
ग्लोबल इन्वेस्टर्स समिट में 30 देशों की 75 ऐसी कंपनियां आएंगी, जो प्रदेश के उत्पाद खरीदेंगी। प्रदेश के 250 से अधिक निर्यातकों के साथ उनकी वन-टू-वन मीटिंग होगी। नया सरकार ने इंटरनेशनल रिवर्स बायर-सेलर मीट की जिम्मेदारी फेडरेशन आॅफ इंडियन एक्सपोर्ट आॅर्गनाइजेशन (फिओ) को दी है। फिओ का अनुमान है मीट से प्रदेश के निर्यातकों को 2 साल में करीब 500 करोड़ के नए आॅर्डर मिलेंगे। फिओ के मैनेजिंग कमेटी मेम्बर सुबेर रामपुरवाला ने बताया, 30 देशों की जो 75 कंपनियां आ रही हैं, उनमें 25 से अधिक फार्मा सेक्टर से हैं। पिछले एक दशक में प्रदेश के फार्मा सेक्टर ने अच्छी ग्रोथ की है। एग्रीकल्चर और इंजीनियरिंग (मशीनें बनाने वाली) सेक्टर की कंपनियां भी हैं। फियो के सीईओ अजय सहाय ने बताया, समिट में मुख्य रूप से गल्फ, अफ्रीकन और अमेरिकन देशों के अलावा बांग्लादेश, इंडोनेशिया, मलेशिया, वियतनाम, मलेशिया, कंबोडिया सहित 30 देशों के प्रतिनिधि आएंगे।  जीआईएस में सरकार करीब 10 देशों के औद्योगिक और व्यापारिक संगठनों के साथ एमओयू भी साइन करेगी।
प्रदेश में निवेश की अपार संभावनाएं
मप्र में औद्योगिक विकास की सभी मूलभूत सुविधाएं हैं। इसलिए निवेशकों का आकर्षण मप्र की ओर बढ़ा है। यहां 47 लाख हेक्टेयर से अधिक कृषि योग्य भूमि है, जो 10 प्रमुख नदियों से जुड़ी है। उद्यानिकी फसलों, मसालों, संतरा, अदरक, लहसुन के साथ दलहन, तिलहन एवं डेयरी उत्पाद में भी राज्य आगे है। राज्य में 8 सरकारी फूड पार्क और 2 निजी मेगा फूड पार्क है। पीथमपुर में 4,500 हेक्टेयर में विकसित औद्योगिक क्लस्टर 25 हजार से अधिक लोगों को रोजगार दे रहा है। इंदौर में एशिया का सबसे लंबे और तेज गति के टेस्टिंग ट्रेक नेट्रेक्स की स्थापना की गई है। राज्य 43 प्रतिशत भारतीय और 24 प्रतिशत वैश्विक जैविक रुई का उत्पादक है। यहां 60 से अधिक टेक्सटाइल यूनिट में 4 हजार से अधिक लूम व 2.5 मिलियन 48 स्पिडल्स संचालित हैं। पीएलआई योजना में टेक्सटाइल सेक्टर को 3,513 करोड़ रु. का निवेश हुआ है। इंदौर, देवास, भोपाल, मंडीदीप, मालनपुर और पीथमपुर स्पेशल इकोनॉमिक जोन में फार्मा क्लस्टर हैं। यहां 300 फार्मा एवं मेडिकल यूनिट से 1 लाख से ज्यादा लोगों को रोजगार मिला है। उज्जैन में मेडिकल डिवाइस पार्क की स्थापना की गई है। प्रदेश में 40 एमएमटी की वेयरहाउसिंग और 13.2 एमएमटी की कोल्ड स्टोरेज क्षमता है। इंदौर और भोपाल में मल्टी मॉडल लॉजिस्टिक पार्क का निर्माण प्रस्तावित है। सांची को राज्य की पहली सोलर सिटी के रूप में विकसित किया गया है। विश्व का सबसे बड़ा फ्लोटिंग सोलर पार्क ( 600 मेगावाट) ओंकारेश्वर में प्रस्तावित है। रेअर अर्थ मेटल प्रोसेसिंग, अनुसंधान एवं विकास ट्रेनिंग के लिए भोपाल में रेयर अर्थ एंड टाइटेनियम थीम प्रस्तावित है।

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