ओबीसी के बाद शिव सरकार ने खेला ट्राइबल कार्ड

ट्राइबल कार्ड

भोपाल/प्रणव बजाज/बिच्छू डॉट कॉम। पिछड़ा वर्ग का पूरी तरह से समर्थन हासिल करने के लिए उन्हें मिलने वाले आरक्षण में वृद्वि करने के बाद अब शिव सरकार ने आदिवासी मतदाताओं को लुभाने के लिए उन्हें कई तरह की सुविधाएं देने की तैयारी कर ली है। उनके इस आदिवासी कार्ड के चलने से आगामी चुनाव में पार्टी को बड़ा फायदा मिल सकता है। इसके तहत अब प्रदेश की शिव सरकार पांच आदिवासी बाहुल्य जिलों में उनके घरों पर न केवल राशन भेजेगी, बल्कि उनके रिक्त चल रहे बैकलॉग के पदों को भी प्राथमिकता से भरेगी। इस तरह से सरकार द्वारा प्रदेश के करीब 69 फीसदी मतदाताओं को साधने के प्रयास करना शुरू कर दिए गए है।
 प्रदेश में पिछड़ा वर्ग के करीब 50 फीसदी और आदिवासी समाज के करीब 19 फीसदी मतदाता बताए जाते हैं। प्रदेश में आदिवासियों का 230 विधानसभा सीटों में से 84 विधानसभा सीटों पर प्रभाव है। यही वजह है कि सरकार आदिवासियों से जुड़ी योजनाओं का क्रियान्वयन अब तेज गति से शुरू करने जा रही है। इस वर्ग के बैकलॉग के तकरीबन 15 हजार पद वर्तमान में रिक्त चल रहे हैं। अब इन पदों को भरने की कवायद भी शासन स्तर से शुरू की जा चुकी है। इसी तरह से अब शासन स्तर पर आदिवासी बहुल 5 जिलों में पीडीएस का राशन घर- घर पहुंचाने की योजना पर काम किया जा रहा है। इसके अलावा इस वर्ग के लिए संचालित योजनाओं के विभागों की समीक्षा भी  मुख्य सचिव इकबाल सिंह बैंस कर चुके हैं। इनसे संबंधित योजनाओं का संचालन करने वाले करीब 20 विभाग हैं। इन सभी विभागों के मुखियाओं के साथ हाल ही में मुख्य सचिव द्वारा मंथन कर एक रोडमैप भी तैयार किया जा चुका है। इसी रोडमैप के तहत ही पहले कार्यक्रम की शुरुआत 18 सितंबर को गोंड राजा रघुनाथ शाह-शंकर शाह के शहीदी दिवस के रुप में जबलपुर से की जा रही है। इस दिन से ही प्रदेश में जनजातीय गौरव दिवस की शुरुआत की जा रही है, जो बिरसा मुंडा जयंती यानी 15 नवंबर तक चलेगा।
आदिवासियों को लुभाने तैयार है ब्लू प्रिंट
इस मामले में बीते रोज मुख्य सचिव इकबाल सिंह बैंस की मौजूदगी में आदिवासियों से जुड़ी कार्य योजना पर मंथन किया गया जिसमें आदिवासी छात्रों के स्कूल छोड़ने के आंकड़ों पर भी चिंता जताते हुए उनकी पढ़ाई-लिखाई को लेकर भी विचार किया गया। उल्लेखनीय है कि कोरोना काल में अकेले 4 जनजाति जिलों में 40 हजार छात्रों ने स्कूल छोड़ दिया है। अब सरकार द्वारा उनके उत्थान के लिए आदिवासी युवाओं को जोड़ने स्वरोजगार के कोर्स शुरू करने की भी योजना है। इसी तरह से सूदखोरों से मुक्ति के लिए अधिनियम 2020 के प्रभावी क्रियान्वयन के लिए भी अभियान चलाने की तैयारी की जा रही है। उनकी सहकारी क्षेत्र में भागीदारी बढ़ाने के लिए अध्यक्ष के पद पर नियुक्ति के प्रावधान के लिए सरकारी अधिनियम में भी संशोधन करने का प्रस्ताव तैयार करने की भी कवायद शुरू कर दी गई है। माना जा रहा है कि जल्द ही वनाधिकार अधिनियम के अंतर्गत सामुदायिक वनों के प्रबंधन के अधिकार ग्राम सभा को देने की भी घोषणा मुख्यमंत्री द्वारा की जा सकती है। इसी तरह से आदिवासी बाहुल्य इलाकों  के लिए वहां स्थानीय स्तर पर उपलब्ध संसाधनों का बेहतरीन उपयोग करने के लिए भी रोडमैप बनाने का काम किया जा रहा है।
इस तरह के कदम उठाने की तैयारी
 जनजाति बहुल क्षेत्रों के स्कूलों में कक्षा 6 से रोजगार एवं कौशल विकास संबंधित पाठ्यक्रम शुरू किए जाने के साथ ही प्राथमिक विद्यालयों की पढ़ाई के पाठ्यक्रम में जनजातीय भाषाओं और बोलियों को सम्मिलित करने की भी कवायद की जा रही है। उन्हें आर्थिक रुप से सशक्त करने के लिए जनजातीय विकास खंडों में बकरी के दूध और चीज पर आधारित सहकारी समितियों का निर्माण और संचालन करने की भी योजना है। इसी तरह से राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन की तरह जनजाति क्षेत्रों में 1 आधारित आजीविका को प्रोत्साहित किया जाएगा। इसी तरह से लोकल को वोकल बनाने के लिए जनजातीय उत्पादों को पहचान कर उनकी जियो टैगिंग करने की भी तैयारी की जा रही है।

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