प्रदेश के 60 फीसदी जिलों के किसानों पर दोहरी मार, रुला रही बिजली कटौती

बिजली कटौती

भोपाल/प्रणव बजाज/बिच्छू डॉट कॉम। मप्र के किसानों को इस समय दोहरी मार झेलनी पड़ रही है। एक तरफ इंद्र देवता रुठे हुए हैं तो वहीं बिजलीकी कटौती भी किसानों को रुला रही है। इस वजह से हालत यह है कि अब किसानों की फसल सूखने की कगार पर है। इसकी वजह से किसानों के चेहरों पर साफतौर पर चिंता की लकीरें देखी जा सख्ती हैं। इस तरह की स्थिति प्रदेश के 60 फीसद जिलों में बनी हुई हैं। इनमें प्रदेश के 52 जिलों में से 32 जिले शामिल हैं। इस स्थिति के बाद भी शासन-प्रशासन पूरी तरह से लापरवाह बना हुआ है। खास बात यह है कि इससे आम आदमी भी परेशान है। दरअसल इस समय प्रदेश में बारिश की कमी से आमजन ऊमस भरी गर्मी से बेहाल हैं, ऐसे में अघोषित बिजली कटौती ले लोगों को बेहद परेशान कर रखा है।
सरकारी आंकड़ों के मुताबिक 32 जिलों में बारिश का कोटा सामान्य से नीचे बना हुआ है। इसकी वजह से किसान अब आसमान की ओर ही टकटकी लगाए है कि शायद इंद्र देव कृपा करें और बारिश हो जाए तो उनकी फसल बच जाए। बारिश के अभाव में तेज धूप के साथ लगातार बढ़ते तापमान की वजह से धान की फस्ल अब नष्ट होने की स्थिति में पहुंच गई है। ऐसे में किसानों के सामने अब नलकूप पर निर्भर हैं। ऐसे में बिजली की अघोषित कटौती ने नलकूपों से भी सिंचाई की राह पूरी तरह से रोक रखी है। इसकी वजह से चारों तरफ ग्रामीण और किसान परेशान हैं। बिजली महकमे की हालत तो यह है कि उन्हें फोन करने पर उनके मोबाइल स्विचआॅफ मिलते हैं या घंटी बजती रहती है, लेकिन वे फोन रिसीव तक नहीं करते हैं।
बीते साल से कम हुई बारिश
प्रदेश में अब तक सरकारी आंकड़ों के मुताबिक 1 जून से 3 अगस्त तक सामान्य से 8 प्रतिशत बारिश कम हुई है। शहर में पिछले साल 3 सितंबर तक 47.22 इंच बारिश हो चुकी थी, इस बार शहर में 30.18 इंच ही बारिश दर्ज हुई है। अगस्त में 9.24 इंच और जुलाई में 08.45 इंच बारिश हुई थी।
किस जिले में कितनी कम हुई
सामान्य से कम बारिश

अनूपपुर में 6 फीसदी, बालाघाट में 42 फीसदी, छतरपुर में 30 फीसदी, छिंदवाड़ा में 17 फीसदी, दमोह में 48 फीसदी, डिंडोरी में 18 फीसदी, जबलपुर में 46 फीसदी, कटनी में 38 फीसदी, नरसिंहपुर में 19 फीसदी, पन्ना में 41 फीसदी, सागर में 21 फीसदी, सतना में 17 फीसदी, सिवनी में 34 फीसदी, शहडोल में 2 फीसदी, टीकमगढ़ में 12 फीसदी, बड़वानी में 23 फीसदी, बुरहानपुर में 18 फीसदी, भोपाल में 5 फीसदी, अलीराजपुर में 15 फीसदी, दतिया में 14 फीसदी, धार में 36 फीसदी, देवास में 8फीसदी, ग्वालियर में 6 फीसदी, हरदा में 24 फीसदी, होशंगाबाद में 25 फीसदी, इंदौर में 24 फीसदी, झाबुआ में 13 फीसदी, खरगोन में 36 फीसदी, खण्डवा में  9 फीसदी, मुरैना में 13 फीसदी, रतलाम में 2 फीसदी, सीहोर में 19 फीसदी बारिश सामान्य से कम हुई।
इन तहसीलों में बने
सूखे के हालात

बीते सालों में भी प्रदेश में भ्ी सूखे के हालात बने थे, तब प्रदेश के 13 जिलों की 110 तहसीलों को सूखा ग्रस्त घोषित करना पड़ा था। इनमें जिला अशोकनगर की सात, भिण्ड की आठ, छतरपुर की 11, दमोह की सात, ग्वालियर की पांच, इंदौर की पांच, पन्ना की नौ, सागर की 11, सतना की 10, शिवपुरी की नौ, सीधी की सात, टीकमगढ़ की 10 और विदिशा की 11 तहसीलें शामिल थीं। इनमें छतरपुर जिले की छतरपुर, नौगांव, राजनगर, लौड़ी, गौरिहार, बड़ा मलहरा, विजावर, बकस्वाहा, चंदला, घुवारा, महाराजपुर. दमोह जिले की दमोह, बटियागढ़, हटा, जवेरा, पथरिया, तेन्दुखेड़ा, पटेरा. ग्वालियर जिले की ग्वालियर, डबरा, भितरवार, चीनोर, घाटीगाँव. इंदौर जिले की इंदौर, महू, देपालपुर, सांवेर, हातोद तथा पन्ना जिले की पन्ना, अजयगढ़, गुनौर, पवई, शाहनगर, रैपुरा, अमानगंज, देवेन्द्र नगर और सिमरिया तहसील , जबकि सागर जिले की सागर, खुरई, बन्डा, रहली, गढ़ाकोटा, बीना, देवरी, केसली, राहतगढ़, मालथौन, शाहगढ़. सतना जिले की रघुराज नगर, नागौद, अमरपाटन, उचेहरा, रामपुर बघेलान, रामनगर, मैहर, मझगवां, बिरसिंहपुर, कोटर. शिवपुरी जिले की शिवपुरी, पोहरी, परवर, करैरा, कोलारस, पिछोर, खनियाधाना, बदरवास, बैराड़. सीधी जिले की बहरी, चुरहट, गोपदबनास, कुशमी, मझौली, रामपुर नैकिन, सिहावल शामिल थीं। वहीं टीकमगढ़ जिले की टीकमगढ़, बलदेवगढ़, जतारा, पलेरा, पृथ्वीपुर, निवाड़ी, ओरछा, खरगापुर, मोहनगढ़, लिधौरा तथा विदिशा जिले की विदिशा, ग्यारसपुर, बासौदा, नटेरन, कुरवाई, सिरोंज, लटेरी, शमाशाबाद, त्योंदा, गुलाबगंज और पठारी तहसील शामिल थी।

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