शाह का सर्वे… सबको स्वीकार

शाह
  • भाजपा आलाकमान का जिताऊ प्लान

भोपाल/चिन्मय दीक्षित/बिच्छू डॉट कॉम। मप्र में भाजपा प्रत्याशियों की अब तक जो तीन सूचियां जारी की गई है, उसको लेकर लोग तरह-तरह की चर्चा कर रहे हैं। इसकी सबसे बड़ी वजह यह है कि प्रत्याशियों के नाम हर किसी को चौका रहे हैं। लोग नाम सामने आते ही हार-जीत का गणित लगाने में लग गए हैं। कई नामों के चयन पर आश्चर्य भी व्यक्त किया जा रहा है। लेकिन भाजपा सूत्रों का कहना है की पार्टी के सबसे बड़े रणनीतिकार अमित शाह ने दो सर्वे कराने के बाद नामों पर मुहर लगाई है। आलाकमान ने मप्र जीतने का जो प्लान बनाया है उसके तहत शाह ने सर्वे कराया है, जो सबको स्वीकार है। गौरतलब है कि इस बार मप्र की चुनावी कमान पूरी तरह शाह के हाथ में है। उन्होंने ही प्रदेश में पूरी चुनावी जमावट की है। उनके खास सिपहसलार मप्र में बड़ी जिम्मेदारी के साथ सक्रिय हैं। इसलिए भाजपा इस बात से पूरी तरह संतुष्ट है की इस बार शाह प्रदेश में पार्टी को बड़ी जीत दिलाएंगे। उधर शाह लगातार हर सीट पर नजर बनाए हुए हैं। अभी तक टिकटों का जो वितरण किया गया है , उसके लिए दो सर्वे कराए गए हैं। सूत्रों की मानें तो भाजपा अभी सर्वे रिपोर्ट के आधार पर कई और सीनियर नेताओं पर दांव खेल सकती है। इसमें दमोह से जयंत मलैया का नाम प्रमुख है। मलैया अब खुद विधानसभा चुनाव लडऩे के इच्छुक नहीं बताए जाते हैं, वे अपने बेटे सिद्धार्थ के लिए टिकट चाहते हैं पर पार्टी उन्हें फिर मैदान में उतार सकती है। इसी तरह एक मंत्री भी अपने पुत्र के लिए अब टिकट चाहते हैं पर पार्टी फिर से उन पर दांव लगाने की तैयारी में है। इस बार कुछ मंत्रियों समेत कई विधायकों के टिकट पर कैंची चलने की संभावना है। करीब साठ विधायकों के टिकट खतरे में बताए जा रहे हैं।
शाह की विश्वसनीय एजेंसियों का सर्वे
भाजपा द्वारा जारी की गई दूसरी सूची ने राजनीतिक पंडितों को चौंका दिया है। इस सूची में उसने अपने कई दिग्गजों को चुनावी समर में उतार दिया है। इनमें से कई नेता तो वे हैं, जो पहली बार विधानसभा का चुनाव लड़ेंगे। इस सूची को लेकर सियासती चर्चाओं का बाजार गर्म है, पर इसके पीछे पार्टी के थिंक टैंक और रणनीतिकार माने जाने गृह मंत्री अमित शाह का सर्वे बड़ी वजह बताया जा रहा है। अमित शाह ने दो एजेंसियों सर्वे कराया है और उस सर्वे के हिसाब से सूचियां जारी की जा रही हैं। इनमें से एक एजेंसी गुजरात की तो दूसरी महाराष्ट्र की है। ये एजेंसियां लंबे समय से भाजपा से जुड़ी हैं और सर्वे कर चुनावी रणनीति से लेकर चुनावी मुद्दे और उम्मीदवारों के नामों पर वर्क करती हैं। मध्यप्रदेश में भी इन्हीं दो एजेंसियों को काम पर लगाया गया है। इन एजेंसियों की रिपोर्ट पर ही इन सीनियर नेताओं को टिकट दिया गया है। दिलचस्प यह है कि अधिकांश महत्वपूर्ण चुनावी बैठकों में शामिल होने वाले इन नेताओं को खुद नहीं पता था कि उन्हें चुनावी समर में उतारा जा रहा है। गौरतलब है कि भाजपा ने दूसरी सूची जारी की थी। इसमें तीन केंद्रीय मंत्रियों समेत सात सांसदों को विधानसभा चुनाव का टिकट दिया गया है। सूची में केंद्रीय मंत्री नरेन्द्र सिंह तोमर, कैलाश विजयवर्गीय और प्रहलाद पटेल जैसे नेताओं के नाम आने पर ये नेता खुद चौंक गए।
कई पहली बार लड़ेंगे विधानसभा चुनाव
भाजपा की दूसरी सूची में दिग्गजों का नाम देखकर हर कोई चौंक गया है। इनमें से कई तो ऐसे हैं, जो पहली बार विधानसभा का चुनाव लड़ेंगे। वहीं कई वर्षों बाद विधानसभा का चुनाव लड़ेंगे। मप्र चुनाव प्रबंधन समिति के संयोजक नरेंद्र सिंह तोमर 2003 के बाद विधानसभा चुनाव नहीं लड़े हैं। भाजपा ने 2008 और 2013 का विधानसभा चुनाव उनके अध्यक्षीय कार्यकाल में लड़ा और सरकार बनाई। 2008 से तोमर प्रदेश के साथ केंद्र की राजनीति में सक्रिय हैं। वे ग्वालियर और मुरैना से सांसद बनते रहे हैं। इस बार दिमनी से पार्टी ने उन्हें टिकट दिया है। दिमनी सीट किसी का कभी गढ़ नहीं रही, यहां से कभी भाजपा तो कभी कांग्रेस को विजय मिलती रही है। इसी तरह पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव कैलाश विजयवर्गीय भी पिछले लंबे समय से केंद्र की राजनीति में सक्रिय हैं। वे चार बार से लगातार पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव हैं और मध्यप्रदेश में भी उनकी प्रभावी भूमिका रहती है। इंदौर एक से टिकट मिलने पर उन्होंने खुद कहा कि पार्टी का यह निर्णय चौंकाने वाला है पर पार्टी ने तय किया है तो चुनाव पूरी ताकत से लड़ेंगे। सतना से चार बार के सांसद गणेश सिंह पहली बार विधानसभा के चुनाव मैदान में उतरेंगे। यही हाल राकेश सिंह का है। वे भी 2003 से लगातार सांसद हैं और भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष भी रह चुके हैं। रीती पाठक भी पहली बार विधानसभा के रण में उतरी हैं। वे दो बार की सांसद हैं। संगठन से जुड़े सूत्र बताते हैं कि मध्यप्रदेश में पिछले दो साल से गुजरात और महाराष्ट्र की दो एजेंसियां सर्वे कर रही है। पिछले एक साल में इन एजेंसियों ने समय समय पर चार सर्वे किए थे। इस सर्वे में भाजपा की गई सीटों को इस बार भी कठिन बताया था। दिमनी सीट पर लगातार दो बार से कांग्रेस जीत रही है, इसी तरह संजय शुक्ला को इस बार कांग्रेस से टिकट मिलना तय है, सर्वे में उन्हें मजबूत माना गया लिहाजा कैलाश विजयवर्गीय को चुनाव मैदान में उतारा गया। जबलपुर पश्चिम भी भाजपा लगातार दो बार से हार रही है। यही वजह है कि राकेश सिंह पर दांव लगाया गया है। पार्टी के रणनीतिकारों का मानना है कि इस बार के चुनाव में प्रत्याशियों के नाम भले ही चौकाने वाले नजर आ रहे हैं, लेकिन सर्वे में सभी जिताऊ प्रत्याशी बनकर सामने आए हैं।

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