नवाचार की सड़कों से जनता से लेकर खजाने तक को राहत

नवाचार की सड़कों
  • बार-बार खराब  होने से मिली  मुक्ति, प्रदूषण से भी राहत

भोपाल/हरीश फतेहचंदानी/बिच्छू डॉट कॉम। प्रदेश की शिव सरकार द्वारा लगातार नए-नए नवचार हर क्षेत्र में किए जा रहे हैं। इसी तरह का एक नवाचार ग्रामीण इलाकों में सड़कों के निर्माण में किया गया है, जिसकी वजह से जनता से लेकर सरकारी खजाने तक को राहत मिलना शुरू हो गई है। राज्य में इन सड़कों के निर्माण के लिए करीब डेढ़ दर्जन तरह के नवाचारों का प्रयोग किया जा रहा है।
खास बात यह है कि इनकी वजह से जहां सडकों के निर्माण की लागत में कमी आयी है , वहीं टिकाऊपन भी अधिक सामने आया है। इसमें सबसे अधिक सड़कों का निर्माण वेस्ट प्लास्टिक के उपयोग से बनाई गई हैं। इसकी वजह से उनकी निर्माण लागत में दस फीसदी से अधिक की कमी आई है। इसके अलावा खराब हो चुके प्लास्टिक के उपयोग की वजह से पर्यावरण प्रदूषण से भी राहत मिली है। खास बात यह है कि इस नवाचार के लिए मप्र को राष्ट्रीय स्तर पर अवार्ड देकर सम्मानित भी किया गया है। प्रदेश में 11 हजार किमी से ज्यादा सड़कों का निर्माण कई तरह के नवाचार से बनाई गई हैं। यह नवाचार रसायन और मटेरियल की उपलब्धता के साथ-साथ क्षेत्र की ज्योग्राफिकल वातावरण के आधार पर किए गए हैं। प्रत्येक नवाचार में पांच से दस फीसदी लागत राशि को कम किया गया है। निर्माण के लिए फैक्ट्रियां अपना वेस्ट रासायनिक मटेरियल उपलब्ध कराती हैं, ताकि डामर, सीमेंट का उपयोग कम हो। घनी ग्रामीण बस्तियों में कई जगह पर पैनल्ड कांक्रीट की सड़कें बनाई गई हैं। जहां सड़कें खराब हो जाती हैं, वहां उतने पैनल को निकालकर दूसरा पैनल लगा दिया जाता है। इस तरह के नवाचारों से सड़कों के रख-रखाव की लागत में करीब 70 फीसदी तक की कमी आयी है। २
इस तरह के किए गए नवाचार
शहरों में निकलने वाली पॉलीथिन को डामर की जगह पर उपयोग कर सड़कें बनाई गईं। दलदली जमीन और पानी जमा होने वाले क्षेत्रों में सड़कों की सतह पर पन्नी बिछाई गई, जिसकी वजह से सड़कों में धसाव होना बेहद कम हो गया। इसी तरह से जहां जमीन पर दरार की शिकायतें आती थीं, वहां सड़क बनाने के बाद बीच-बीच में सड़कें काट दी गईं। इससे दरारें नहीं आईं। पत्थरीले क्षेत्रों में बोल्डर आपस में जमाकर सड़कें बनाई गईं। इससे सड़कों की लागत कम आई। नवाचार के तहत  नैनो टैक्नालॉजी से सड़क निर्माण में उद्योगों से निकलने वाले बेकार रसायनों का उपयोग कर सीमेंट और डामर में मिलाकर सड़कें बनाई गईं। निर्माण लागत में 50 फीसदी तक कमी आई।  गांवों के बीचों-बीच निकलने वाली सड़कों को पैनल कांक्रीट से बनाया गया। इससे रख-रखाव की लागत कम हो गई। इसी तरह से लागत में कमी लाने के लिए जिंकोसील टेक्नोलॉजी से डामर की मात्रा को 5 फीसदी तक कम कर रसायन मिलाया गया।
अंतरराष्ट्रीय सेमिनार में होगा प्रेजेंटेशन
सड़कों के नवाचार को लेकर दिल्ली में अगले माह सेमिनार होने जा रहा है। इसमें सभी राज्य अपनी सड़कों के निर्माण में किए गए नवाचारों को लेकर आपस में इंजीनियरों को जानकारी का आदान-प्रदान करेंगे। इस दौरान मप्र भी अपने 18 नवाचारों के संबंध में प्रेजेंटेशन देगा। इसके लिए मप्र ग्रामीण सड़क प्राधिकरण द्वारा तैयारियां की जा रही हैं।

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