तीसरी लहर से लाखों कुपोषित बच्चों को बचाने की तैयारी शुरू

अतिकुपोषित

भोपाल/रवि खरे/बिच्छू डॉट कॉम। मध्य प्रदेश में मौजूद अवस्यकों में शामिल करीब 11 लाख कुपोषित बच्चों को कोरोना की संभावित तीसरी लहर से बचाने के लिए राज्य सरकार ने अभी से मिशन मोड पर तैयारी शुरू कर दी है। वैसे तो प्रदेश में 18 साल से कम उम्र के बच्चों की संख्या करीब ढाई करोड़ है। दूसरी लहर में अब तक  कोरोना संक्रमण से लगभग 0.34 फीसदी बच्चे प्रभावित हो चुके हैं। यही वजह है कि सरकार ने अभी से कोरोना की तीसरी लहर में बच्चों को सुरक्षित रखने के साथ उन बच्चों की जिंदगी बचाने को अभी से चुनौती मानते हुए काम शुरू कर दिया है , जो पहले से कुपोषण का शिकार हैं। इनमें भी वे बच्चे बेहद बड़ी चुनौती बने हुए हैं, जो अतिकुपोषित श्रेणी में शामिल हैं। ऐसे बच्चों की संख्या स्वास्थ्य विभाग के मुताबिक एक लाख है। इस चिंता की बढ़ी वजह है इस बार कोरोना संक्रमण का गांव-गांव तक पहुंच जाना। इसमें वे जिले भी शामिल हैं , जहां पर बच्चों में अधिक कुपोषण है। इसकी वजह से ही सरकार द्वारा इसके लिए मिशन -4 डी के नाम से अभियान की तैयारी की जा रही है।
जिलों में कुपोषण की स्थिति
इन जिलों में ज्यादा कुपोषण: बड़वानी, श्योपुर, अलीराजपुर, मुरैना और गुना।
यहां कम कुपोषण: इंदौर, सागर, मंदसौर, उज्जैन और नरसिंहपुर।
ब्लॉक स्तर पर हेल्थ टीमों का गठन
बचपन बचाने के लिए सरकार द्वारा शुरू किए गए मिशन मोड के काम में मदद के लिए प्रदेश में ब्लॉक स्तर पर 313 मोबाइल हेल्थ टीमों का गठन किया जा चुका है। इनमें से हर टीम में दो डॉक्टर, एक फॉर्मासिस्ट और एक एएनएम को रखा गया है। इसके लिए तैयार किए गए माइक्रोप्लान के तहत हर रोज एक सैकड़ा से अधिक बच्चों का स्वास्थ्य परीक्षण किया जा रहा है।
क्या है 4 डी कार्यक्रम
कुपोषित बच्चों के लिए सरकार द्वारा शुरू किया कार्यक्रम यानी डिफेक्ट एट बर्थ, डेफीशिएन्सीज, चाइल्डहुड डिजीज, डेपलपमेंटल डिले और डिएबीलिटीज पर आधारित है। मतलब बच्चे के जन्म के समय किसी अंग में डिफेक्ट, कमजोरी, बचपन की बीमारी, विकास में देरी और अपंगता पर इस मिशन के जरिए फोकस किया जाएगा। इस मिशन में वे सभी बच्चे आएंगे जो कुपोषण के कारण कम वजन के हैं।

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