
- दो से तीन दिनों में मिल रहा एक बार पानी
भोपाल/बिच्छू डॉट कॉम। सरकार के तमाम प्रयासों और उसकी योजनाओं के बाद भी प्रदेश में ऐसे कई जिले हैं जिसके शहरी इलाकों में लोगों को गंभीर जल संकट का सामना करना पड़ रहा है। शहरी इलाकों में यह हालत यह है तो फिर ग्रामीण इलाकों के हालत समझे जा सकते हैं। इसकी वजह है पानी का गहराई में चले जाना। दरअसल शहरी इलाकों में कंक्रीट का ऐसा जाल बिछाया जा रहा है कि बारिश का पानी धरती में जाने की जगह बह कर बेकार हो जाता है। इसके लिए हांलाकि सरकार ने पानी रिचार्ज की पॉलसी बनाई है, लेकिन न तो सरकार का उस पर ध्यान है और नगरीय निकायों का तो भगवान ही मालिक हैं। मई माह की शुरुआत में ही प्रदेश के 11 जिलों के 17 नगरीय निकायों को जल संकट से जूझना पड़ रहा है। माह के अंत तक तो स्थिति और भी भयावह हो सकती है। माना जा रहा है कि माह के अंतिम दिनों में पेयजल संकट से जूझने वाले जिलों की संख्या करीब डेढ़ दर्जन तक पहुंच सकती है। अभी 17 निकायों में रहने वाली जनता को दो से तीन दिन के अंतराल में ही पानी मिल पा रहा है। जल स्रोतों के सूखने और पानी की सतह नीचे जाने से राज्य के 11 जिलों के निकाय क्षेत्रों की इस तरह के हालात बने है। मजबूरन जलापूर्ति के लिये रहवासियों के साथ प्रशासनिक निर्भरता टैंकरों पर बढ़ गई है। दरअसल प्रदेश में गर्मी चरम पर है और जल संकट के इन हालातों ने करीब 25 लाख की आबादी के लिये पानी की जरूरत चिंता का कारण बन गई है। 11 जिलों की 17 नगर पालिका परिषदों में इसका असर व्यापक रुप से दिखाई दिया हैं। छिंदवाड़ा के जुन्नारदेव व डोंगर परासिया जैसे निकायों की स्थिति तो बेहद गंभीर है। जहां लोगों को तीन दिन के अंतराल के बाद मुश्किल से पानी मिल पा रहा है। प्रदेश में कुल 413 निकाय है। इनमें नगर पालिका परिषद 99 और 298 नगर पंचायतें हैं।
सागर और छिंदवाड़ा के अधिकांश निकाय प्रभावित
जलसंकट से जूझने वाले जिलों में सागर और छिंदवाड़ा के निकाय सर्वाधिक जलसंकट प्रभावित हैं। छिंदवाड़ा में 4 निकाय हर्रई और न्यूटन चिखली नगर पालिका परिषदों के साथ जुन्नारदेव व डोगर परसिया प्रभावित हैं। इसके बाद सागर की बंडा, राहतगढ़ और कर्रापुर नगर पंचायतें भी जल संकट से जूझ रही है।
बड़े शहरों में नहीं दिक्कत: नगरीय क्षेत्रों के मुकाबले राज्य के बड़े शहरों में जलसंकट नहीं है। नगरीय प्रशासन के अधिकारियों के इस दावे के बाद भी रहवासियों ने पेयजल समस्या और नये कनेक्शनों को लेकर दो माह में ही 12 हजार से अधिक शिकायतें दर्ज कराई है। मार्च से मई के बीच इंदौर के मामले में यह आंकड़ा 3500 की संख्या को पार कर चुका है। रीवा, सतना और कटनी जैसे नगर निगम क्षेत्रों में घंटे भर पानी नहीं मिलने की शिकायतें हैं। ग्वालियर और भोपाल में हजार से अधिक लोगों ने समाधान चाहा है।