मध्यप्रदेश में किसानों ने सरकारी गेहूं खरीद केंद्रों से मुंह फेरा

गेहूं खरीद केंद्रों
  • नकद और अधिक मिल रहे हैं व्यापारियों से दाम

भोपाल/गौरव चौहान/बिच्छू डॉट कॉम। इस साल प्रदेशभर में गेहूं की फसल अच्छी आने के बाद भी सरकारी खरीदी केंद्रों पर किसानों की भीड़ नजर नहीं आ रही है। इसकी वजह से सरकार द्वारा तय किया गया खरीदी लक्ष्य पूरा होना मुश्किल माना जा रहा है। यह बात अलग है की इससे न केवल सरकार को बड़ी राहत है , बल्कि इस साल किसानों को भी फसल के दाम एमएसपी से अधिक मिल रहे हैं। दरअसल रुस और यूक्र ेन के बीच चल रहे युद्व की वजह से भारतीय गेंहू की मांग कई देशों में बढ़ गई है। इसकी वजह से सरकार ने व्यापारियों को गेंहू निर्यात के लिए कई तरह की सुविधाएं प्रदान की हैं। जिसकी वजह से व्यापारियों द्वारा मंडी से बाहर ही गेंहू की खरीदी एमएसपी से अधिक दामों पर की जा रही है। इससे किसानों को सौ रुपए से लेकर पांच सौ रुपए तक अधिक दाम प्रति क्विंटल मिल रहे हैं। इसकी वजह से किसान खरीदी केन्द्रों पर बहुत कम पहुंच रहे हैं। इसकी वजह से खरीद केंद्रों पर ट्रैक्टर ट्रॉलियों की लाइन लगना बंद हो गई है। खास बात यह है की अब किसानों को नकद पैसा भी अपनी फसल का मिल रहा है। व्यापारियों द्वारा खरीदे जाने वाले गेंहू का भुगतान नकद में तत्काल किया जा रहा है। जबलपुर जिले के गेहूं खरीदी केंद्रों के प्रभारी आशीष शुक्ला के अनुसार, अब तक 24,700 किसानों ने गेहूं मंडियों में बेचा है। सरकारी मंडियों में अभी तक 2 लाख 68 हजार मीट्रिक टन गेहूं की खरीदी हो चुकी है। इंदौर की लक्ष्मीबाई और संयोगितागंज मंडी में 25 मार्च से अब तक 2,338.6 मीट्रिक टन आवक रही। ग्वालियर में 11,48634 मीट्रिक टन गेहूं मैट्रिक टन निजी व्यापारियों ने खरीदा है। यहां 2300 रुपए प्रति क्विंटल की दर से गेहूं व्यापारी खरीद कर रहे हैं। संभागीय प्रबंधक नागरिक आपूर्ति निगम ने बताया कि जिले में एक भी सरकारी केंद्र पर गेहूं की खरीद नहीं हुई है।
समर्थन मूल्य बढ़ाने की मांग
भारतीय किसान संघ के अखिल भारतीय प्रचार प्रमुख राघवेंद्र सिंह पटेल का कहना है की गेहूं के निर्यात के कारण व्यापारी सीधे किसान के खलिहान से गेहूं ले जा रहे हैं, जिससे किसान को खरीद केंद्र तक गेहूं ले जाने के लिए परेशान नहीं होना पड़ रहा है। उनकी मांग है की अगर सरकार को लोकल गेहूं की खरीदी बढ़ाना है तो किसानों को कम से कम 500 रुपए का फायदा समर्थन मूल्य पर देना चाहिए। उधर, एक किसान का कहना है की हाल ही में  लेबर चार्ज बढ़ने , डीजल और उर्वरक का रेट बढ?े के बाद भी इस बार केंद्र सरकार ने गेहूं की एमएसपी पर बहुत कम सिर्फ 40 रुपए की बढ़ोतरी की, इससे किसानों को फायदा नहीं हुआ। फिर एक्सपोर्ट बढ़ने  से व्यापारी ज्यादा कीमत दे रहे हैं।
क्या कहते हैं किसान
जबलपुर के शहपुरा के निवासी एक किसान का कहना है की साढ़े चार एकड़ में उनके यहां करीब 70 क्विंटल गेहूं पैदा हुआ, जिसमें से उसने 57 बोरा गेहूं व्यापारी को घर पर ही 2060 रुपए प्रति क्विंटल की दर बेंचा है। उन्होंने बताया की समर्थन मूल्य 2015 रुपए है, गांव के 80 प्रतिशत किसानों ने व्यापारियों को ही गेहूं दिया है। धार जिले केसिरसौदा गांव के किसान विनोद का कहना है की इस बार समर्थन मूल्य कम होने से किसानों को बाजार में चार सौ से पांच सौ रुपए प्रति क्विंटल रेट ज्यादा मिल रहा है। इसके अलावा व्यापारी से पैसा भी तुरंत मिल रहा है। वहीं कई बार व्यापारी गांव पहुंचकर भी खरीदी कर लेते हैं, जिससे गेहूं ले जाने की समस्या भी नहीं रहती है। किसानों को खाद बीज के लिए पैसा रखना पड़ता है। तत्काल पैसा मिलने से उसे सुविधा होती हैं।

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