हर साल आधे चिकित्सक ही मिल पाते है प्रदेश को

चिकित्सक
  • आयु का शतक पूरा करने वाले प्रदेश में 1200 डाक्टर अब भी देख रहे मरीज

    भोपाल/गौरव चौहान/बिच्छू डॉट कॉम। मप्र ऐसा राज्य है, जहां पर वैसे तो हर साल दो हजार युवक डॉक्टर बनते हैं , लेकिन इनमें से आधे ही सूबे के मरीजों को मिल पाते हैं, जिसकी वजह से चिकित्सकों की कमी की स्थिति ज्यों की त्यों बनी रहती है। प्रदेश में ऐसे करीब 12 सौ चिकित्सकों का भी पता चला है, जो अपनी शतकीय आयु तक पूरी कर चुके हैं। इनमें एक चिकित्सक की उम्र तो 115 साल तक बताई जाती है।
    दरअसल, इस तरह के कई खुलासे मप्र मेडिकल काउंसिल द्वारा शुरू की गई री-रजिस्ट्रेशन की प्रक्रिया में हो रहे हैं। गौरतलब है की प्रदेश में मौजूदा समय में हर साल लगभग 2 हजार डॉक्टर बनते हैं, जिनमें से हर साल करीब 6 सौ से लेकर 8 सौ डॉक्टर एनओसी लेकर दूसरे राज्यों में सेवाएं देने चले जाते हैं, जबकि कुछ की मौत हो जाती है। इसकी वजह से हर साल प्रदेश को करीब एक हजार डॉक्टर ही मिल पाते हैं। यही नहीं अब तक जो जानकारी सामने आयी है उसके मुताबिक काउंसिल में 56 हजार 244 डॉक्टर्स रजिस्टर्ड हैं , लेकिन वास्तव में महज 30 हजार डॉक्टर्स की काम कर रहे हैं। यह आंकड़ा मप्र मेडिकल काउंसिल द्वारा शुरू की गई री-रजिस्ट्रेशन की प्रक्रिया से सामने आ रहा है। इस प्रक्रिया के तहत काउंसिल में चिकित्सकों का पंजीयन नए सिरे से किया जा रहा है। इसमें चिकित्सकों के कागजों का और उनके जीवंत होने का भौतिक सत्यापन किया जा रहा है। इस प्रक्रिया से पता चला है की प्रदेश भर में सैकड़ों डॉक्टर ऐसे हैं जो अंग्रेजों के जमाने से मरीजों का इलाज कर रहे हैं। इनकी उम्र भी सौ साल से ज्यादा है। काउंसिल के रिकॉर्ड के मुताबिक प्रदेश में 1200 से ज्यादा डॉक्टर ऐसे हैं जिनकी उम्र 100 साल के ऊपर है। इनमें से 50 से ज्यादा डॉक्टर अकेले भोपाल जिले में हैं। यही नहीं यह भी पता चला है की काउंसिल में एक बार पंजीयन के बाद डॉक्टरों का नाम आज तक उससे नहीं हटाया गया है। यही वजह है की जिन डॉक्टरों का 1939 में काउंसिल के गठन के समय रजिस्ट्रेशन हुआ था, वे अब भी रिकॉर्ड के मुताबिक इलाज कर रहे हैं।
    नौ तरह के लिए जा रहे दस्तावेज
    री रजिस्ट्रेशन के लिए काउंसिल ने डॉक्टरों से वैसे तो नौ तरह के दस्तावेज अनिवार्य रुप से मांगे थे , लेकिन बाद में पुराने दस्तावेजों में आ रही परेशानियों को देखते हुए अब तीन तरह के दस्तावेज अनिवार्य किए गए हैं। पूर्व में मांगे गए दस्तावेजों में 10वीं, 12वीं की अंकसूची भी शामिल थी। इस कदम के चलते अब प्रदेश में मौजूद वास्तविक चिकित्सकों का पता चल सकेगा। दरअसल काउंसिल में अब तक 56,244 डॉक्टरों का पंजीयन है। इनमें से कई डॉक्टरों का निधन हो चुका है , तो कई चिकित्सकों ने छत्तीसगढ़ राज्य अलग होने के बाद वहां कई डॉक्टरों ने रजिस्ट्रेशन करा लिया लेकिन, अब भी वे प्रदेश के काउंसिसल में रजिस्टर्ड बने हुए हैं।

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