अवैध शराब मामले में आबकारी … अमला फिर कटघरे में

अवैध शराब

भोपाल/विनोद उपाध्याय /बिच्छू डॉट कॉम। आबकारी विभाग की कार्यप्रणाली हमेशा से सवालों में घिरी रहती है। यह विभाग अवैध शराब का मामला हो या फिर शराब उत्पादन का हर मामले में कटघरे  में खड़ा रहता है । इसके बाद भी सरकार से लेकर प्रशासन तक इस विभाग के अफसरों से लेकर कर्मचारियों पर कार्रवाई करने की हिम्मत नहीं करता है। यही वजह है कि प्रदेश में अवैध  शराब के कारोबार पर रोक नहीं लग पा रही है। इसी तरह का एक मामला बीते रोज भी सामने आया है। इसमें भोपाल के मिसरोद में बड़ी मात्रा में अवैध शराब की खेप पकड़ी गई। इस मामले में प्रकरण दर्ज करने में 24 घंटे से अधिक का समय लगा दिया गया। यही नहीं इस मामले में आला अफसरों तक को भी सूचना नहीं दी गई। इसकी वजह से इससे जांच अधिकारी की भूमिका पर ही गंभीर सवाल खड़े होने लगे हैं दरअसल, शहर में एक अप्रेल से छोटे-छोटे ग्रुप को ठेके दिये गये हैं।
इस बीच मिसरोद स्थित देशी शराब की दुकान में 315 शराब की अवैध पेटी आबकारी विभाग द्वारा शनिवार देर रात पकड़ी गई, लेकिन सुबह तक कोई प्रकरण ही दर्ज नहीं किया गया। मामले में हो हल्ला मचा तो पकड़ी गई पेटियों की संख्या 270 बता दी गई। पकड़ी गई शराब के लिए आबकारी विभाग ने परमिट ही जारी नहीं किया था। यही नहीं पकड़ी गई शरीाब पर बैच नंबर भी नहीं पाया गया है। जिसकी वजह से सवाल खड़ा हो रहा है कि 24 घंटे के अंदर ही इतनी बड़ी मात्रा में अवैध शराब कहां से आ गई। इससे साफ होता है कि शहर में अवैध शराब का काम भी जोरों पर चल रहा है और विभाग के अफसर पकड़ी जाने पर लीपापोती करने में लग जाते हैं। इस मामले की जांच का जिम्मा आबकारी के सब इंस्पेक्टर दिनेश उदैनिया को दिया गया है। शनिवार रात से पड़ताल कर रहे उदैनिया ने रविवार रात तक क्या कार्रवाई की। इसकी जानकारी विभाग के वरिष्ठ अफसरों के पास भी नहीं थी। यही नहीं कार्रवाई में सवा तीन सौ पेटी शराब पकड़े जाने की बात कही गई है, जबकि उदैनिया 270 पेटियों के प्रकरण बनाया है। इस मामले में दो दिन बाद भी उदैनिया पर विभाग कोई कार्रवाई नहीं कर सका है।
पूर्व में भी पकड़ी गई है बगैर बैच की शराब
तत्कालीन सहायक आयुक्त के समय में शराब की एक खेप भोपाल से रायसेन के लिए भेजी गई थी। जिसे पुलिस ने पकड़ लिया था। शराब पर बैच नंबर भी दर्ज नहीं थे। इस कारण पूरी शराब अवैध थी। इसके बाद बिना बैच नंबर की शराब का यह दूसरा मामला सामने आया है। उस समय रायसेन डीएसपी अदिति भावसार की टीम ने एक ट्रक में भरकर ले जाई जा रही बड़ी मात्रा में अंग्रेजी शराब की खेप को पकड़ा था। इस मामले में भी आबकारी विभाग के अफसरों पर कोई कार्रवाई नहीं की गई थी। इसी तरह से अफसरों की तैनाती के बाद भी सोम डिसलरी में न केवल कई टैंक अवैध रूप से बना लिए गए थे , बल्कि उनमें स्प्रिट का भंडारण भी सालों तक किया जाता रहा , लेकिन वहां पर तैनात विभाग के अफसरों व अमले को वह दिखते ही नहीं थे , जबकि उन्हें टैंक ओपन एरिया में बनाया गया था। यह सब आबकारी अधिकारियों की आंखों के सामने हुआ, क्योंकि प्लांट में बनने वाली शराब केवल सरकार ही खरीदती है, इसलिए यहां 24 घंटे आबकारी अफसर की डयूटी रहती है। इसके बाद भी इस मामले में दोषी नीचे से लेकर आला अफसरों तक पर कोई कार्रवाई नहीं की गई।

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