सहकारी संस्थाओं को इसी माह… मिल जाएंगे पदाधिकारी

सहकारी संस्थाओं
  • इस माह दो हजार तो अगले माह होंगे 1500 संस्थाओं में होंगे चुनाव

भोपाल/प्रणव बजाज/बिच्छू डॉट कॉम। प्रदेश में बीते दो साल से बगैर निर्वाचित पदाधिकारियों के अफसरों के भरोसे संचालित हो रहीं करीब साढ़े तीन हजार सहकारी समितियों को अब निर्वाचित पदाधिकारियों के मिलने का रास्ता साफ हो गया है। इसकी वजह है मप्र राज्य सहकारी निर्वाचन प्राधिकारी द्वारा इसके लिए चुनावी कार्यक्रम की घोषणा किया जाना। यह चुनाव प्रदेश में दो चरणों में कराए जाने हैं। पहले चरण में दो हजार तो दूसरे चारण में करीब डेढ़ हजार समितियों के चुनाव कराए जाएंगे। इस चुनाव प्रक्रिया का बीते दो साल से इंतजार किया जा रहा था।
मप्र राज्य सहकारी निर्वाचन प्राधिकारी द्वारा करीब 2000 संस्थाओं की सदस्यता सूची का प्रकाशन कर चुनाव कार्यक्रम भी घोषित कर दिया गया है। इस चुनावी प्रक्रिया के माध्यम से संस्थाओं के लिए अध्यक्ष, उपाध्यक्ष और संचालक मंडल के सदस्यों का चुनाव किया जाएगा। इसके बाद अगले माह 1500 और संस्थाओं के चुनाव कराए जाएंगे। गौरतलब है कि मप्र राज्य सहकारी निर्वाचन प्राधिकारी का पद बीते दो साल से रिक्त पड़ा हुआ था, जिसकी वजह से निर्वाचन की प्रक्रिया शुरू नहीं हो पा रही थी। बीते महिने ही राज्य सरकार ने सहकारी संस्थाओं के चुनाव कराने के लिए मप्र राज्य सहकारी निर्वाचन प्राधिकारी के पद पर पूर्व आईएएस अफसर एमबी ओझा की नियुक्ति की थी।
यह पद सितंबर, 2021 से खाली होने के साथ ही मार्च, 2020 से कोरोना संक्रमण की वजह से लागू की गईं तमाम पाबंदियों की वजह से सहकारी संस्थाओं के चुनाव लगातार टलते आ रहे थे। चुनाव प्राधिकारी की ओर से हाल में दो अलग-अलग आदेश जारी किए गए हैं। लगभग 2000 संस्थाओं के संचालक मंडल के चुनाव के लिए 6 अप्रैल से प्रक्रिया शुरू हो गई है। इनमें नामांकन-पत्रों की जांच और उम्मीदवारों की अंतिम सूची का प्रकाशन कर उन्हें बीते रोज चुनाव चिह्न आवंटित कर दिए गए। इन संस्थाओं में 26 अप्रैल को मतदान होगा। उसी दिन परिणाम घोषित हो जाएंगे। इसी तरह से करीब 1500 संस्थाओं के संचालक मंडल के चुनाव के लिए आज 22 अप्रैल को वोटर लिस्ट का प्रकाशन किया जा रहा है।
इस पर 29 अप्रैल तक आपत्तियां लेने के बाद अंतिम सदस्यता सूची का प्रकाशन 30 अप्रैल को किया जाएगा। इस सूची के खिलाफ अपील 2 से 5 मई तक की जा सकेगी। अपील का निराकरण 12 मई तक करने के बाद अगले दिन अंतिम सूची मप्र राज्य सहकारी निर्वाचन प्राधिकारी को सौंप दी जाएगी।
खरगोन में चुनाव स्थगित
खरगोन में दंगों के कारण जिले भर की 150 सहकारी संस्थाओं के चुनाव ऐन मौके पर रोक दिए गए। यहां चुनाव कार्यक्रम घोषित कर दिया गया था। लेकिन कर्फ्यू के कारण चुनाव प्रक्रिया निरस्त कर दी गई।
30 हजारों  सहकारी संस्थाएं अफसरों के हवाले
प्रदेश के सहकारिता विभाग में राज्य सहकारी निर्वाचन पदाधिकारियों का वैधानिक रिक्त पद रिक्त चलने की वजह से ही अब तक प्रदेश की लगभग 30 हजार सहकारी संस्थाओं के चुनाव अटके हुए थे, जिसकी वजह से सहकारी आंदोलन चरमरा चुका है।
चुनाव आयोग की तर्ज पर गठित मप्र राज्य सहकारी निर्वाचन प्राधिकारी की अनुपस्थिति में सहकारिता एक्ट के तहत सहकारी संस्थाओं के चुनाव कराना संभव नहीं हो पा रहा था , लेकिन बीते माह इस पद पर नियुक्ति होने के बाद से निर्वाचन का रास्ता साफ हो गया था। दरअसल राज्य सहकारी निर्वाचन प्राधिकारी का पद वर्ष 2013 में कायम होने के बाद से ही उस पद पर रिटायर्ड आईएएस की नियुक्ति की जाती रही है। इस पद पर पहले इंदौर में संभागायुक्त रह चुके सेवानिवृत्त आईएएस प्रभात पराशर का कार्यकाल पूरा होने के बाद रिटायर्ड आईएएस मनीष श्रीवास्तव को निर्वाचन प्राधिकारी बनाया गया था। उनका कार्यकाल नौ सितम्बर 2021 को समाप्त होने के बाद से यह पद रिक्त चल रहा था। राज्य निर्वाचन प्राधिकारी का पद वैधानिक पद होता है और उनकी अनुपस्थिति में चुनाव नहीं कराए जा सकते ,इसलिए प्रदेश भर की लगभग 70 हजार सहकारी संस्थाओं में से 30 हजार संस्थाओं के चुनाव अटक गए थे। इसकी वजह से कार्यकाल पूरा करने वाली सभी संस्थाओं को भंग कर उन पर सहकारिता विभाग के प्रशासक नियुक्त करना पड़ गए थे।
यह है सहकारी संस्थाओं की स्थिति
एक जानकारी के अनुसार प्रदेश में करीब 50 हजार सहकारी संस्थाएं हैं। इनमें दस हजार संस्थाएं परिसमापन में हैं। सबसे ज्यादा जल उपभोक्ता संस्था और सेवा सहकारी समितियां हैं। इसके अलावा 32 जिला सहकारी केंद्रीय बैंक और अन्य राज्य स्तरीय सहकारी संस्थाएं हैं। इन संस्थाओं के हर पांच साल में चुनाव कराए जाते हैं। इस मान से हर साल करीब 8 हजार संस्थाएं चुनाव प्रक्रिया में आ जाती हैं। एक समिति में पांच साल बाद चुनाव कराना अनिवार्य है। इस बीच यदि किसी समिति में विवाद हो गया तो बोर्ड भंग हो जाता है, बीच में ही चुनाव कराना जरूरी हो जाता है।
इन सहकारी संस्थाओं को है चुनाव का इंतजार
अपेक्स बैंक, राज्य लघु वन सहकारी संघ, राज्य सहकारी आवास संघ, राज्य उपभोक्ता संघ, औद्योगिक संघ, राज्य सहकारी विपणन संघ मर्यादित, राज्य सहकारी उपभोक्ता संघ, राज्य सहकारी बीज उत्पादक एवं विपणन संघ मर्यादित, मत्स्य महासंघ, पावरलूम बुनकर संघ, हथकरघा बुनकर संघ जबलपुर, जिला केन्द्रीय सहकारी बैंक, प्राथमिक सहकारी संस्थाएं, जल उपभोक्ता संस्थाएं।

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