नकवी व तन्खा का नाम तय, एक सीट पर भाजपा में असमंजस

भाजपा में असमंजस
  • राज्यसभा चुनाव:  कांग्रेस से विवेक तन्खा का नाम तय, हाईकमान की मुहर लगना शेष

भोपाल/हरीश फतेहचंदानी/बिच्छू डॉट कॉम। अगले माह मध्यप्रदेश में राज्यसभा की तीन सीटें रिक्त हो रही है। इनमें से दो पर अभी भाजपा तो एक पर कांग्रेस का कब्जा है। भाजपा की तरफ से संपतिया उइके और एमजे अकबर तो कांग्रेस से विवेक तन्खा राज्यसभा सदस्य हैं। इन तीनों का ही कार्यकाल अगले माह की 29 तारीख को समाप्त हो रहा है। विधानसभा में विधायकों की संख्या को देखते हुए एक बार फिर से तीन में से दो सीटें भाजपा के खाते में और एक सीट कांग्रेस के खाते में जाना तय है। यह बात अलग है की इन चुनावों के लिए अधिसूचना जारी होने के साथ ही दोनों दलों में मंथन का दौर जारी है , लेकिन कांग्रेस में लगभग विवेक तन्खा का नाम तय कर लिया गया है। उनके नाम पर बस हाईकमान की मुहर लगना ही शेष माना जा रहा है। वे देश के जाने माने वकील हैं, जिनकी अभी पार्टी हाईकमान को बेहद जरुरत बताई जा रही है। उनके नाम पर कमलनाथ के साथ ही दिग्विजय सिंह की भी मूक स्वीकृति मिल चुकी है। इंतजार है तो बस दो नेताओं को उनके नाम पर मनाने का। इनमें एक नाम पूर्व केन्द्रीय मंत्री अरुण यादव का तो दूसरा नाम पूर्व नेता प्रतिपक्ष रह चुके अजय सिंह राहुल भैया का। यह दोनों ही नेता पार्टी के लिए अगले विधानसभा के आम चुनाव की दृष्टि से जातिगत व अंचलीय समीकरणों के हिसाब से बेहद महत्वपूर्ण माने जाते हैं। दरअसल अरुण यादव ओबीसी वर्ग से आते हैं और मप्र में इन दिनों कांग्रेस व भाजपा के बीच इस वर्ग को साधने के लिए बेहद दिलचस्प जंग जारी है। उधर, भाजपा में अभी किसी के नाम को लेकर भी अनुमान लगाना कठिन बना हुआ है, लेकिन यह तो तय है की दो में से एक सीट केन्द्र के खाते में जाएगी और एक सीट प्रदेश के खाते में ही रहने वाली है। पूर्व में भी ऐसा ही हो चुका है जिसकी वजह से ही मप्र से केन्द्र के कोटे से एम जे अकबर को राज्यसभा भेजा गया था। माना जा रहा है की मप्र की एक सीट से भाजपा किसी केन्द्रीय मंत्री को राज्यसभा भेज सकती है। इसकी वजह है केंद्र में तीन मंत्रियों का कार्यकाल भी अगले माह समाप्त हो रहा है। भाजपा के सूत्रों पर भरोसा करे तो इस बार केन्द्र के कोटे से अल्पसंख्यक कल्याण मंत्री मुख्तार नकवी को भेजा जा सकता है, जबकि दूसरी सीट पर चुनावी राजनैतिक समीकरणों के हिसाब से किसी को प्रत्याशी बनाया जाएगा। सूत्रों का दावा है कि भाजपा इस बार एक सीट अनुसूचित जाति के उम्मीदवार को दे सकती है। दूसरी सीट पर अनुसूचित जनजाति या ओबीसी वर्ग के नेता को राज्यसभा भेज  सकती है। इसके साथ ही भाजपा में इस बात पर भी मंथन चल रहा है क्यों न तीसरी सीट के लिए भी प्रत्याशी उतारा जाए।दस जून को होगा चुनाव
 प्रदेश की तीन राज्यसभा सीटों के लिए 10 जून को चुनाव होगा। 24 मई को चुनाव की अधिसूचना जारी होगी और 31 मई तक नामांकन पत्र लिए जाएंगे। तीन जून तक नामांकन वापस लिया जा सकता है। आवश्यकता पड?े पर मतदान कराएंगे। इसके एक घंटे बाद मतगणना प्रारंभ होगी। आयोग ने गुरुवार को कार्यक्रम जारी कर
कांग्रेस में इस बात पर भी मंथन
कांग्रेस राज्यसभा सदस्य विवेक तन्खा को फिर से अवसर देना तय कर चुकी है,  लेकिन अभी इस बात पर भी मंथन किया जा रहा है की उन्हें मप्र से भेजा जाए या फिर छत्तीसगढ़ से। इसकी वजह है अरुण यादव। दरअसल वे हर हाल में राज्यसभा जाना चाहते हैं, जिसकी वजह से कांग्रेस के सामने मुश्किल बनी हुई है। अगर बात नहीं बनती है तो तन्खा को छग से और उनकी जगह मप्र से गुलाम नबी आजाद या राहुल गांधी का कामकाज देखने वाले और उनके खास सिपहसालार पूर्व आईएएस अधिकारी के. राजू को भेजा जा सकता है। ऐसा करने पर बरुध यादव भी विरोध नहीं कर पाएंगे।
ये है सीटों का गणित
एमपी विधानसभा में सीटों की संख्या 230 है। इनमें कांग्रेस के 96 विधायक हैं। बीजेपी के 127 विधायक हैं। बीएसपी के दो, सपा के एक और निर्दलीय चार विधायक हैं। राज्यसभा के तीन सीटों के लिए वोटिंग होगी। इनमें एक सीट को किसी भी दल को जीतने के लिए 58 वोट की जरूरत पड़ेगी। विधायकों की संख्या को देखते हुए बीजेपी के खाते में दो सीटें जाती दिख रही हैं। वहीं, कांग्रेस अगर निर्दलीय और दूसरे दलों की मदद भी लेती है तो एक सीट से ज्यादा नहीं जीत सकती हैं।

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