महामहिम के खिलाफ नारेबाजी को आदिवासियों का मुद्दा बनाएगी भाजपा

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-भाजपा के रणनीतिकार कर रहे हैं अभियान की तैयारी

भोपाल/गौरव चौहान /बिच्छू डॉट कॉम। बीते रोज जिस तरह से न्याय यात्रा के समय महामहिम को लेकर राजभवन के सामने कांग्रेस नेताओं द्वारा नारेबाजी और अमर्यादित टिप्पणियां की गई हैं, उसको अब भाजपा प्रदेश में आदिवासियों के बीच बड़ा मुद्दा बनाने की तैयारियों में जुट गई है। भाजपा के रणनीतिकारों ने इस मामले को अब इसे आदिवासी अस्मिता से जोड़ते हुए इसे संपूर्ण आदिवासी समाज के अपमान के रुप में प्रचारित करने की रणनीति पर तेजी काम करना शुरू कर दिया है। इसके लिए पार्टी व्यापक रुप से अभियान चलाकर कांग्रेस नेताओं के इस व्यवहार को आदिवासी विरोधी मानसिकता के रुप में प्रचारित करने जा रही है। उल्लेखनीय है कि इन दिनों प्रदेश में कांग्रेस व भाजपा में पिछड़ा वर्ग के अलावा आदिवासी समाज के सबसे बड़ी हितैषी होने का खेल चल रहा है। गौरतलब है कि बीते दिनों जब देवास जिले के मनावर से निकाली गई न्याय यात्रा भोपाल आयी तो आदिवासी परिवार के पांच लोगों की हत्या के मामले में परिवार की एकमात्र सदस्य भारती कारडे को लेकर कांग्रेस के कई बड़े नेता राज्यपाल मंगूभाई पटेल से मुलाकात करने के लिए गए थे। इस दौरान कोरोना संक्रमण की वजह से उनकी मुलाकात महामहिम से नहीं हो सकी थी। इसके बाद कांग्रेस नेताओं की मौजूदगी में उनके समर्थकों ने महामहिम के खिलाफ न केवल नारेबाजी कर दी थी, बल्कि कई अमर्यादित टिप्पणी तक कर दी थीं। इसकी वजह से राजनैतिक माहौल गर्मा गया था। यह प्रदेश में शायद पहला मौका था जब राजभवन को लेकर मुर्दाबाद के नारे लगाए गए हों। कांग्रेस के इस व्यवहार को भाजपा ने  राज्यपाल के आदिवासी वर्ग के होने की वजह से कांग्रेसी नेताओ के अपमान से जोड़ दिया है। इस मामले में भाजपा पदाधिकारियों का कहना है कि  राज्यपाल का पद संवैधानिक हैं। उनको लेकर अमर्यादित शब्दों का उपयोग करना बताता है कि कांग्रेस नेता की आदिवासियों के प्रति मानसिकता क्या है। इसको लेकर हम समाज के बीच जाएंगे और कांग्रेस की असलियत उजागर करेंगे। गृह मंत्री डॉ. नरोत्तम मिश्रा ने कहा कि कांग्रेस और दिग्विजय सिंह ने राज्यपाल का अपमान इसलिए किया क्योंकि वह जनजातीय समुदाय से आते है। वैसे भी संवैधानिक संस्थाओं और आदिवासी वर्ग को अपमानित करना हमेशा से कांग्रेस का स्वभाव रहा है। एक अन्य भाजपा नेता का कहना है कि कांग्रेस के नेता लगातार आदिवासी समाज के व्यक्तियों का अपमान कर रहे हैं। पार्टी ने किसी भी आदिवासी नेता को आगे नहीं बढ़ने दिया। राज्यपाल के प्रति जिस अमर्यादित भाषा का उपयोग किया गया है, वहां निंदनीय है। कांग्रेस में मंत्री रहे उमंग सिंगार ने कहा कि दिग्विजय सिंह आदिवासी विरोधी और प्रदेश के सबसे बड़े माफिया है।  
यह है राजनैतिक वजह
दरअसल प्रदेश में करीब डेढ़ करोड़ आदिवासी मतदाता है, जो विधानसभा की करीब 90 सीटों पर प्रभावशाली रहते हैं। प्रदेश में जिस भी पार्टी को इस वर्ग का समर्थन मिल जाता है उसी दल की सरकार बनने का रास्ता खुल जाता है। यही वजह है कि बीते लंबे समय से कांग्रेस व भाजपा इस वर्ग को लुभाने के लिए तरह -तरह के प्रयासों में जुटी हैं। भाजपा व कांग्रेस दोनों ही के द्वारा इनके सम्मेलन भी आयोजित किए जा चुके हैं।
दिग्विजय सिंह का दावा
पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह ने राज्यपाल को पत्र लिखकर कहा कि देवास जिले के नेमावर में आदिवासी परिवार के सदस्यों के पांच सदस्यों की हत्या करके शव को खेत में दफना दिया गया था। इस मामले में स्थानीय पुलिस की भूमिका संदिग्ध रही है। वह राजनीतिक दबाव में काम कर रही है। हमने सीबीआई जांच की मांग की थी। नारी सम्मान जागृति चेतना संस्था ने न्याय यात्रा प्रारंभ करने से पहले 31 दिसंबर 2021 को न सिर्फ यात्रा प्रारंभ करने की सूचना दी थी, बल्कि 11 जनवरी को मुलाकात का समय भी मांगा था। यात्रा जब भोपाल आई तो मैं भी इसमें शामिल हुआ और प्रतिनिधिमंडल के साथ आपसे मिलने के लिए पुलिस द्वारा हमें राजभवन लाया गया पर मिलने नहीं दिया गया। आप राज्य के संवैधानिक मुखिया हैं इसलिए सीबीआइ को समय सीमा में जांच करके हत्यारों को सजा दिलाने के लिए निर्देश दें ताकि पीड़ित आदिवासी परिवार को न्याय मिल सके।

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