नए सिरे से चुनावी व्यूह रचना तैयार कर… मैदान में उतरेगा भाजपा

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  • 8 दिसंबर के बाद पूरी तरह चुनावी मोड में आएगी भाजपा संगठन

    भोपाल/हरीश फतेहचदांनी/बिच्छू डॉट कॉम। मिशन 2023 में 200 सीटों का टारगेट पूरा करने के लिए मप्र भाजपा संगठन 8 दिसंबर के बाद पूरी तरह मिशन मोड में आएगा।  गुजरात विधानसभा चुनाव के नतीजे आने के बाद प्रदेश भाजपा संगठन अपनी चुनावी व्यूह रचना नए सिरे से तैयार करेगा। गौरतलब है कि प्रदेश भाजपा के अधिकांश नेता इन दिनों गुजरात चुनाव में व्यस्त हैं। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान गुजरात में चुनावी सभाएं ले रहे हैं तो प्रदेश अध्यक्ष वीडी शर्मा भी वहां प्रवास कर पार्टी के पक्ष में माहौल बनने का काम कर चुके हैं।  इसके अलावा प्रदेश सरकार के कई मंत्री और संगठन के नेता कार्यकर्ता गुजरात में चुनावी कमान संभाले हुए हैं।
    उल्लेखनीय है कि गुजरात में पहले दौर में एक दिसम्बर को मतदान हो चुका है जबकि दूसरे दौर का मतदान पांच दिसंबर को होना है। इसके नतीजे आठ दिसम्बर को आने हैं। गुजरात के नतीजे आने के बाद पार्टी हाईकमान भी राजस्थान, छत्तीसगढ़ और मध्यप्रदेश पर अपना फोकस करेगा। इसके बाद दिल्ली में बैठे पार्टी के आला नेता प्रदेश के शीर्ष नेताओं के साथ बैठकर नई चुनावी रणनीति बनाएंगे। प्रदेश भाजपा के नेता भी गुजरात के नतीजों का इंतजार कर रहे हैं। इन नेताओं का मानना है कि इन चुनावों के बाद प्रदेश में कई स्तरों पर बदलाव होगा। एक दर्जन से अधिक जिलों के जिलाध्यक्ष बदले जाएंगे तो कई नेताओं के प्रभार में भी फेरबदल किया जाएगा।
    विधानसभा सत्र के बाद मंत्रिमंडल विस्तार: चुनाव परिणामों के बाद प्रदेश  विधानसभा का सत्र है। माना जा रहा है कि सत्र के बाद क्षेत्रीय और जातीय संतुलन के हिसाब से मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान अपने मंत्रिमंडल बदलाव भी कर सकते हैं। इसमें चार से पांच नए मंत्रियों को शामिल किया जा सकता है। संगठन सूत्र दिसम्बर के अंतिम सप्ताह में विस्तार के संकेत दे रहे हैं। चर्चा यह भी है कि कुछ नॉन परफार्मर मंत्रियों को बाहर का दरवाजा दिखाया जा सकता है पर भाजपा के ही एक वर्ग का मानना है कि चुनावी साल में इस तरह का कदम सत्ता और संगठन नहीं उठाएगा जिससे कुछ नेताओं में नाराजगी बढ़े। हालांकि पिछले कुछ समय से प्रदेश भाजपा के अधिकांश फैसले दिल्ली में ही पूरी तरह तय हो रहे हैं। भाजपा के अपने चुनावी सर्वे भी चल रहे हैं। इन सर्वे रिपोर्ट के आने के बाद पार्टी अपनी रणनीति में और बदलाव करेगी।  प्रदेश में राहुल गांधी की भारत जोड़ों यात्रा पर भी भाजपा के रणनीतिकारों की नजर है। वे इसे हल्के में नहीं ले रहे हैं। यही वजह है कि भाजपा अजजा  और जजा क्षेत्रों पर अपना खास फोकस कर रही है। इस वोट बैंक को साधने प्रदेश के सभी 89 आदिवासी विकासखंडों में गौरव यात्रा निकाली जा रही है और मुख्यमंत्री खुद अधिकांश सभाओं में जाकर ऐसा कानून का महत्व समझा रहे हैं। भाजपा का मानना है कि आदिवासी सीटों पर मिलने वाली विजय ही उसे सत्ता सिंहासन पर आरूढ़ करवाएगी। फिलवक्त नेताओं की नजर गुजरात चुनावों पर है। इसके बाद पार्टी में सत्ता और संगठन स्तर पर फैसले लिए जाएंगे।
    हर स्तर पर होगी तैयारी
    संगठन स्तर पर पदाधिकारियों के काम की फिर से समीक्षा की जाएगी और जो अपने काम में कमजोर पाये जाएंगे। उन्हें बदला जाना तय माना जा रहा है। पिछले बार चंद सीटों के फासले से सत्ता साकेत से दूर रह गई भाजपा इस बार कोई कोर कसर छोड़ने के मूड में नहीं है। पार्टी अपने सभी मोर्चों के प्रशिक्षण वर्ग आयोजित कर चुकी है।  मुख्यमंत्री  विधायकों की बैठक लेकर उन्हें अगले दो महीनों के कामकाज को लेकर विस्तार से बता चुके हैं।  सीएम ने अपने सभी विधायकों को एक किताब भी दी है जिसमें 2003 के बाद मध्यप्रदेश में हुए विकास कार्यों का सिलसिलेवार जिक्र है। लगातार सत्ता में रहने वाली भाजपा जानती है कि काम कितने भी हुए हों पर किसी न किसी स्तर पर एंटीइनकमबेंसी फैक्टर सत्ता के साथ काम करता है।  इसे पूरी तरह खत्म करने के लिए भाजपा अपने समावेशी विकास को मुद्दा बना रही है।  तय है कि प्रदेश में हुआ विकास केन्द्र और राज्य सरकार की हितग्राही मूलक योजनाएं उसके चुनाव का आधार होगी पर इसके सांथ वह संगठनस्तर पर अपनी खामियों का भी बारीकी से विश्लेषण कर रही है। हाल ही में बदले गए जो जिलाध्यक्ष इसी का नतीजा है। आने वाले दिनों में भी जिलों की कमान बदली जाएगी।

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