हैदराबाद जैसा होगा भोपाल का मेट्रोपॉलिटन एरिया

मेट्रोपॉलिटन एरिया

– विदिशा, रायसेन, सीहोर, मंडीदीप, औबेदुल्लागंज तक बनेगा इंडस्ट्रियल कॉरिडोर
– औद्योगिकीकरण और रोजगार में इजाफे की उम्मीद

भोपाल/गौरव चौहान/बिच्छू डॉट कॉम। भोपाल में मेट्रोपॉलिटन एरिया विकसित करने की दिशा में राज्य सरकार ने कदम बढ़ा दिए हैं। इसके लिए मेट्रोपॉलिटन रीजन अथॉरिटी का गठन किया जाएगा। इसके अध्यक्ष मुख्यमंत्री और सीईओ सीनियर अधिकारी होंगे। भोपाल मेट्रोपॉलिटन रीजन अथॉरिटी में भोपाल-सीहोर-औबेदुल्लागंज रहेंगे। अधिकारियों ने बताया कि मेट्रो रेल के लिए मेट्रोपॉलिटन एरिया जरूरी होगा। अथॉरिटी बनने के बाद स्थानीय निकाय अपना काम करेंगे और अथॉरिटी इंफ्रास्ट्रक्चर और सुविधाओं के लिए काम करेगी।  राजधानी का मेट्रोपॉलिटन एरिया तय करने में प्लानिंग का केंद्र हैदराबाद मेट्रो डेवलपमेंट अथॉरिटी रहेगा। इसी मॉडल के आधार पर भोपाल मेट्रोपॉलिटन रीजन अथॉरिटी में विदिशा, रायसेन, सीहोर, मंडीदीप, औबेदुल्लागंज शामिल होंगे। भोपाल नगर निगम क्षेत्र के बाहर विकास अनुमतियां अथॉरिटी जारी करेगी और डेवलपमेंट चार्ज लेगी।
जानकारी के अनुसार मेट्रो ट्रेन प्रोजेक्ट की पहली शर्त ही मेट्रोपॉलिटन रीजन बनाने की होती है। अब मेट्रो को सीहोर तक बढ़ाने और इसे भोपाल का उपनगर बनाने की मुख्यमंत्री की घोषणा के बाद भोपाल को मेट्रोपॉलिटन रीजन बनाना बेहद जरूरी हो गया है। सीहोर के साथ विदिशा, रायसेन जिलों को शामिल करना होगा। ये दिल्ली एनसीआर या हैदराबाद मेट्रो डेवलपमेंट अथॉरिटी की तरह विकसित किया जा सकता है। इसका औद्योगीकरण और रोजगार में इजाफे के तौर पर दिखाई देगा और शहरों के बीच की दूरी कम होगी।
कई फायदे होंगे
मेट्रोपॉलिटन रीजन अथॉरिटी में जुड़ने के बाद भोपाल मास्टर प्लान में फ्लोर एरिया रेशो की दर टीओडी और टीडीआर पॉलिसी का फायदा आसपास के शहरों को भी मिलता। भोपाल के उपनगरों की तर्ज पर इनका विकास होगा। मेट्रो रेल सेवा का विस्तारीकरण होने से सीहोर से भोपाल, मंडीदीप, रायसेन पहुंचने में लोगों को आधे से भी कम वक्त लगेगा। इसका सीधा असर औद्योगिकीकरण और रोजगार में इजाफे के तौर पर दिखाई देगा। मेट्रोपोलिटन सिटी का प्लान बनाने के दौरान क्षेत्रवार विकास जरूरी है। यदि कोई क्षेत्र कृषि प्रधान है या पर्यटन स्थल है तो वहां विकास उन क्षेत्रों को ध्यान में रखकर किया जाना चाहिए। इसके चलते रोजगार के अवसर बढ़ेंगे। मेट्रोपोलिटन सिटी के लिए परिवहन काफी महत्वपूर्ण है, जिसमें सड़क, मेट्रो और रेल परिवहन शामिल है। इसके लिए कहां सड़क परिवहन को बढ़ावा देना चाहिए। कहां मेट्रो की जरूरत है या फिर रेल परिवहन को विकसित करना चाहिए।
इन बातों को लेकर मास्टर प्लान में विस्तृत जानकारी होना बहुत आवश्यक है। तभी शहर में तेजी से विकास किया जा सकता है। मेट्रोपोलिटन मास्टर प्लान में सिर्फ बिल्डिंग-सड़क याा फिर सीमेंट का जंगल खड़ा करना नहीं होता है। उसके लिए पर्यावरण पर भी ध्यान देना जरूरी है, क्योंकि वर्तमान परिस्थिति में पर्यावरण काफी असंतुलित हो चुका है। हरियाली नाममात्र की बची हुई है। टाउनशिप या औद्योगिक क्षेत्र बनाने में हरियाली के लिए भी पर्याप्त जगह रखना है। तेजी बढ़ रहे शहर की जनसंख्या में भी वृद्धि हो रही है। मगर आवास के लिए जमीन उतनी ही है। ऐसे में मेट्रोपोलिटन सिटी को विकसित करने के लिए बेहतर ढंग से आवासीय योजना पर काम करने की जरूरत है। प्लान में मल्टी स्टोरी बिल्डिंग, टाउनशिप, प्लाट के लिए अलग-अलग स्थान चिन्हित करना होगा। शहर का तेजी से विकास होने से आर्थिक गतिविधियां भी बढ़ेंगी। इसके लिए विभिन्न सेक्टर बनाना होंगे। जैसे औद्योगिक, फुटकर विकेता, कपड़ा मार्केट, इलेक्ट्रानिक जोन आदि शामिल होंगे। प्रत्येक व्यवसाय को व्यवस्थित जगह पर विकासित करने से सही दिशा में आर्थिक विकास हो सकेगा। रोजगार और व्यापार की संभावनाएं बढ़ेगी।
मेट्रो ट्रेन प्रोजेक्ट को गति देने में मदद मिलेगी
अधिकारियों ने बताया कि हमने जो डीपीआर बनाई थी, उसमें मेट्रो एक्ट के तहत मेट्रोपोलिटन रीजन बनाना तय किया था। इसे अब किया जा रहा है, ये बेहद अच्छा है। इससे शहर और शहर से बाहर मेट्रो ट्रेन प्रोजेक्ट को गति देने में मदद मिलेगी। मेट्रोपॉलिटन रीजन के साथ एक ऐसी अथॉरिटी गठित होगी जो भोपाल से लेकर संबंधित जिलों तक व्यवस्थाएं संभालेंगी। इन शहरों की एजेंसियों को एक ही छत के नीचे से संचालित किया जाएगा। भोपाल नगर निगम क्षेत्र के बाहर विकास अनुमतियां अथॉरिटी जारी करेगी और डेवलपमेंट चार्ज लेगी। वर्ष 2019 के बीच में काम शुरू किया था। तब टीएंडसीपी के तत्कालीन डायरेक्टर राहुल जैन के साथ एक टीम हैदराबाद का दौरा करने गई थी। इसके साथ ही टीएंडसीपी के संयुक्त संचालक अमित गजभिये एक अलग टीम के साथ अमरावती का अध्ययन करने गए थे।
पूरे रीजन की एक अथॉरिटी बनेगी
मेट्रोपॉलिटन रीजन के तहत इसमें शामिल सभी शहरों के लिए केंद्र व राज्य से मिलने वाले फंड एक ही खाते में संयुक्त तौर पर आएगा। पूरे रीजन को लेकर एक अथॉरिटी बनेगी। एक ही प्रभारी अधिकारी होने से विभागों में सामंजस्य बढ़ेगा। संबंधित शहरों में उनके नाम से आई राशि के अनुपात में विकास खर्च होगा। ऐसे में राजधानी के आसपास के छोटे शहरों में भी बड़े प्रोजेक्ट की प्लानिंग बनाई जा सकेगी। इसके लिए राज्य सरकार को केंद्र से एमओयू साइन करना था, लेकिन ये नहीं हो पाया। मेट्रोपॉलिटन रीजन बनने के बाद एमपी मेट्रो रेल कंपनी में राज्य के साथ केंद्र के अधिकारी भी पदस्थ होंगे। केंद्र और राज्य सरकार से मिलने वाला फंड भोपाल मेट्रोपॉलिटन रीजन में शामिल शहरों के अनुपात में तय होगा। अभी इनमें राज्य सरकार और स्थानीय निकाय के खजाने से विकास कार्य होते हैं। बड़े प्रोजेक्ट केवल राजधानी तक सीमित हैं। आसपास के जिले पिछड़े नजर आते हैं। जल्द ही राज्य सरकार व केंद्र के बीच एमओयू साइन होगा। एमपी मेट्रो रेल कंपनी में राज्य के अधिकारी पदस्थ हैं। इसमें अब केंद्र सरकार के प्रतिनिधि भी शामिल हो जाएंगे और अतिरिक्त फंड मेट्रो रेल परियोजना के लिए मिलना शुरू हो जाएगा।
भोपाल से जुड़ने वाले सभी शहरों को फायदा
सिटी डवलपमेंट के लिए राज्य ने टीओडी-टीडीआर जैसी योजनाएं बनाई हैं। मेट्रोपॉलिटन रीजन अथॉरिटी में जुड़ने के बाद भोपाल मास्टर प्लान में फ्लोर एरिया रेशो की दर, टीओडी और टीडीआर पॉलिसी का फायदा इन शहरों को मिलेगा। इसके अलावा स्मार्ट सिटी, पेन सिटी सॉल्यूशन के काम इन शहरों में भी हो सकेंगे। मेट्रो रेल सेवा का विस्तारीकरण होने से सीहोर से भोपाल, मण्डीदीप, रायसेन पहुंचने में लोगों को आधे से भी कम वक्त लगेगा। इसका सीधा असर औद्योगिकीकरण और रोजगार में इजाफे के तौर पर दिखाई देगा। शहरी आवास एवं विकास मंत्री भूपेंद्र सिंह का कहना है कि भोपाल शहर के विकास को लेकर सरकार गंभीर है। भोपाल को इसके आसपास के शहरों से जोड़कर निकाल शाह । इविकास को लेकर सरकार गंभीर है। भोपाल को इसके आसपास के शहरों से जोड़कर के ही अनुपात में किया जाएगा, ताकि सबको समान लाभ मिल सके।

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