प्रदेश में डामर की सड़कें हर साल दे रही दगा

डामर की सड़कें

भोपाल/गौरव चौहान/बिच्छू डॉट कॉम। स्मार्ट सिटी भोपाल में सड़कों का बुरा हाल है। मानसून की बारिश से हर साल डामर वाली सड़कें खराब हो जाती हैं। जिन पर पैचवर्क पर ही 100 करोड़ से अधिक खर्च हो जाता है। ऐसे में विशेषज्ञों का कहना है कि अगर डामर की जगह राजधानी में कांक्रीट की सडकें बनाई जाए तो हर साल मेंटेनेंस के करोड़ों रूपए बचाए जा सकते हैं। शहर में लगभग 1151 किमी सड़कें डामर की हैं। इस बारिश में इन सड़कों की हालत ऐसी हो गई है कि इन्हें दोबारा ही बनाना होगा। इन सड़कों फिर से बनाने के लिए 4500 करोड़ रुपए से ज्यादा चाहिए और उसके बाद मेंटेनेंस पर हर साल 100 करोड़ खर्च होंगे, वो अलग। इससे अच्छा है कि 7000 करोड़ खर्च करके सारी सड़कें सीमेंट कांक्रीट की बना दी जाएं। इससे शहर को बेहतर सड़कें मिलेंगी और 25 से 30 साल तक मेंटेनेंस पर होने वाला खर्च भी बचेगा।
राजधानी में 4566 किमी सडकों का जाल बिछा हुआ है। हर साल बरसात में करीब 1,000 किमी सड़क खराब हो जाती है। इस साल भी यही हाल है। शहर की खराब सड़कों के पैचवर्क पर 100 करोड़ खर्च हो रहे हैं और कुछ माह में यह फिर खराब हो जाएंगी। डामर की सड़कें ही बार-बार खराब हो रही हैं। ऐसे में यह मांग उठना स्वाभाविक है कि इन्हें सीसी बना दिया जाए। शहर की 4566 किमी कुल सड़कों में से 3415 किमी सीमेंट कांक्रीट और 1151 किमी सड़कें डामर की हैं। डामर की ये सड़कें हर साल बारिश में खराब हो जाती हैं।
नगर निगम का फोकस कांक्रीट की सड़कों पर
शहर में सभी एजेंसियों की कुल 4566 किमी सडकें हैं। इनमें निगम की 3879 किमी में से 3100 किमी सड़कें कांक्रीट की हैं, यानी गलियों व कॉलोनियों की वो सड़कें, जिन पर ट्रैफिक कम होता है, उन्हें सीसी बनाया जा रहा है। कुछ गलियों में पुरानी सड़कों के साथ वीआईपी रोड व बीआरटीएस डामर से बने हैं। पीडब्ल्यूडी की 445 किमी सड़कों में से सिर्फ 150 किमी सीमेंट-कांक्रीट की हैं। सीपीए की 92 किमी सड़कों में से महज 15 किमी ही सीसी की हैं। यह सभी सड़Þकें मेन रोड हैं। यानी शहर में ज्यादा ट्रैफिक दबाव वाली सड़कें, जिन्हें सीसी का होना चाहिए वे डामर की हैं। वहीं 150 किलोमीटर की सड़कें बीडीए के पास हैं। इनमें से आधी डामर की हैं। बीडीए ने अब भविष्य में केवल सीसी रोड बनाने का निर्णय ले लिया है।
अधिकांश मुख्य सड़कें डामर की
भोपाल में कॉलोनियों के अंदर की सड़कें अच्छी स्थिति में हैं, क्योंकि उनमें से अधिकांश कांक्रीट की हैं। वहीं मुख्य सड़कें डामर की हैं। जिन पर साल भर वाहनों का दबाव भी रहता है और बारिश के दिनों में वे जल्दी खराब हो जाती हैं। कांक्रीट की सड़क थोड़ी महंगी जरूर होती है, लेकिन टिकाऊ होती है। डामर की 1 किमी सिंगल लेन सडक एक करोड़ में बनती है और सीमेंट की डेढ़ करोड़ में। शहर में डामर की 1151 किमी में लगभग 400 किमी सड़कें 4 लेन और शेष सिंगल और डबल लेन हैं। 700 किमी डबल लेन सीसी रोड बनाने पर 2100 करोड़ व 400 किमी की फोर लेन सड़क पर 2400 करोड़ यानी कुल 7000 करोड़ रुपए खर्च होंगे।
बजट और खुदाई बड़ी समस्या
अधिकारियों की मानें तो पर्याप्त बजट नहीं होने के कारण शहर में डामर की सड़कें बनाई जाती हैं। वहीं कुछ का कहना है कि शहर की सड़Þकें इसलिए भी खराब होती हैं कि विभिन्न कार्यों के लिए सड़कों की खुदाई कर दी जाती है। पीडब्ल्यूडी के चीफ इंजीनियर संजय मस्के कहते हैं कि शहर की सभी मेन रोड सीसी की बनाने में केवल बजट की ही दिक्कत है। यदि शासन स्तर पर निर्णय होकर बजट मिले तो चरणबद्ध तरीके से यह काम किया जा सकता है। सीपीए के एसई रवि मित्तल सीमेंट-कांक्रीट की सड़क बनाई जा सकती हैं, लेकिन सवाल यह भी है कि इन्हें खुदाई से कैसे बचाएंगे। शहर में ऐसे उदाहरण भी हैं, जहां नई बनी सीसी रोड भी काट दी गई।

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