प्रदेश में बिना मान्यता और संबद्धता के 167 नर्सिंग कॉलेज

 नर्सिंग कॉलेज

– भवन बनाकर बिना अनुमति शुरु कर दिए कॉलेज
–  शासन से प्रवेश की अनुमति और फीस निर्धारित करने के लिए किए आवेदन

भोपाल/रवि खरे/बिच्छू डॉट कॉम। मप्र में  जब से नर्सिंग कॉलेजों पर नकेल कसनी शुरू कर दी गई है, तब से लगातार चौकाने वाले मामले सामने आ रहे हैं। करीब 400 कॉलेजों की मान्यता समाप्त करने के बाद 167 कॉलेज और ऐसे सामने आएं हैं, जिनके पास भवन तो हैं, लेकिन वे सरकारी कागजों पर मौजूद ही नहीं हैं। ऐसे कॉलेजों को फीस और प्रवेश की अनुमति नहीं दी जाएगी। हाईकोर्ट के आदेश के मुताबिक कुछ माह पूर्व तत्कालीन नर्सिंग कॉलेजों की मान्यता समाप्त कर दी गई थी। तत्कालीन चिकित्सा आयुक्त निशांत बरबड़े ने प्रदेश के कॉलेजों का निरीक्षण कराकर रिपोर्ट हाईकोर्ट भेज दी थी।
गौरतलब है कि हाईकोर्ट के आदेश पर प्रदेश के करीब 400 कॉलेजों की मान्यता निरस्त कर दी गई है। शेष कॉलेजों में 167 ऐसे कॉलेज सामने आये हैं, जिनके पास भवन मौजूद हैं, लेकिन सरकारी कागजों पर उनका असितत्व ही नहीं हैं।
ऐसे कॉलेजों ने शासन से प्रवेश की अनुमति और फीस निर्धारित करने के लिये आवेदन किये हैं। जबकि उक्त कॉलेजों के पास जबलपुर मेडिकल विश्वविद्यालय से संबद्धता और नर्सिंग काउंसिल से मान्यता तक नहीं  है। उक्त कॉलेजों ने प्रवेश एवं फीस विनियामक समिति से आगामी तीन सत्रों की फीस मांगी है। कमेटी ने उनसे काउंसिल से मान्यता और विवि से संबद्धता संबंधी दस्तावेज तलब किए हैं। उक्त दस्तावेज कॉलेजों के पास मौजूद ही नहीं हैं।
सिर्फ भवन देखकर हाईकोर्ट में रिपोर्ट प्रस्तुत
दरअसल रिपोर्ट तैयार करने में कई गलतियां की गई हैं। आयुक्त ने सिर्फ भवनों को देखकर हाईकोर्ट में रिपोर्ट प्रस्तुत की है।  इसके चलते अभी भी फर्जी नर्सिंग कॉलेज प्रवेश देने की व्यवस्था में लगे हुए हैं। कमेटी ने उन्हें एक माह की मोहलत देते हुए कहा कि वे विवि से संबद्धता और नर्सिंग काउंसिल से प्रवेश की अनुमति लेकर आएंगे, तो उनकी आगामी सत्रों को फीस निर्धारित कर दी जाएगी। ग्वालियर के कुछ कॉलेजों का निरीक्षण पत्रकार की गाड़िय़ों से किया गया है। आयुक्त की टीम पत्रकारों की गाड़ी लेकर निरीक्षण करने सलोनी नर्सिंग कॉलेज ग्वालियर और पारसी कॉलेज आफ नर्सिंग मुरैना का निरीक्षण करने गई थी। चौकीदार ने उन्हें पत्रकार जानकार कॉलेज से विदा कर दिया, तो टीम ने कॉलेजों को स्थान पर ही होना नहीं बताया।  इसके बाद उक्त कॉलेजों की मान्यता निरस्त कर दी गई। चौकीदार ने बताया कि निरीक्षण टीम की गाड़ी पर पत्रकार लिखा हुआ था। इसलिये उन्हें कॉलेज परिसर में प्रवेश की अनुमति नहीं गई थी। प्रवेश एवं फीस विनियामक समिति के अध्यक्ष रविंद्र रामचंद्र कान्हेरे का कहना है कि 167 कॉलेजों के पास भवन मौजूद होने के बाद संबद्धता और मान्यता नहीं हैं।  इसलिए उनकी फीस निर्धारित नहीं की गई है।  हाईकोर्ट के आदेश के बाद अभी नर्सिंग कॉलेजों की मान्यता समाप्त कर दी गई। है। सिर्फ भवन होने के बाद बिना मान्यता और संबद्धता के कॉलेजों की फीस निर्धारित नहीं की जाएगी।

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