बिहाइंड द कर्टन/ईश्वरीय शक्तियां होती है महिलाओं के पास: सतीश

  • प्रणव बजाज
सतीश

ईश्वरीय शक्तियां होती है महिलाओं के पास: सतीश
भाजपा के राष्ट्रीय संगठक वी. सतीश का कहना है कि संगठन में निस्वार्थ भावना से कार्य करना चाहिए। इससे निपुणता आती है। भले ही कुल जनसंख्या का लगभग 50 प्रतिशत भाग महिलाओं का है, लेकिन समाज में शांति एवं सदाचार स्थापित करने में उनका योगदान इससे कहीं ज्यादा है। महिलाओं के पास कुछ ऐसी ईश्वरीय शक्तियां हैं, जो आमतौर पर पुरुषों में नहीं पायी जाती और इन्ही शक्तियों एवं अपने कार्यकौशल की बदौलत आज समाज में आगे आकर बहनों ने अपना एक सर्वमान्य एवं सम्माननीय स्थान बनाया है। उन्होंने महिला मोर्चा के राष्ट्रीय प्रशिक्षण वर्ग को संबोधित करते हुए कहा की हर हाथ को काम, हर खेत को पानी जैसे विचारों पर चलकर ही देश आगे बढ़ सकता है। इस दौरान केंद्रीय रेल राज्यमंत्री दर्शना जरदोश ने भारतीय जनता पार्टी की महिला सशक्तिकरण में योगदान का विषय रखा और विभिन्न प्रकार की महिला सशक्तिकरण योजनाओं पर चर्चा की। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की कविता यही समय है, सही समय है के साथ उन्होंने अपनी बात रखी।

ललिता की घोषणा से गर्माई छतरपुर की सियासत
बुदेंलखंड अंचल की छतरपुर सीट को लेकर पूर्व मंत्री ललिता यादव द्वारा दिए गए बयान से अब स्थानीय राजनीति गर्मा गई है। उन्होंने अगले विधानसभा चुनाव में भाजपा प्रत्याशी के रुप में छतरपुर से चुनाव लड़ने की घोषणा तक कर डाली। यह घोषणा उनके द्वारा टीकमगढ़ में पिछड़ा वर्ग के आरक्षण को लेकर पार्टी की तरफ से पत्रकार वार्ता करते समय की गई है। पार्टी ने उन्हें बीते चुनाव में छतरपुर की जगह बड़ा मलहरा से टिकट दिया था, जहां से वे चुनाव हार गई थीं। छतरपुर से फिलहाल कांग्रेस विधायक आलोक चतुर्वेदी हैं। उन्होंने भाजपा प्रत्याशी अर्चना सिंह को हराया था। दरअसल एक केन्द्रीय मंत्री की समर्थक अर्चना को प्रत्याशी बनाने के लिए ललिता की सीट बदल दी गई थी। बदली गई सीट पर ललिता और छतरपुर से अर्चना यानि की दोनों को ही हार का मुंह देखना पड़ा था। यही नहीं ललिता यादव ने पत्रकार वार्ता के दौरान उच्चतम न्यायालय को दो बार उच्च न्यायालय तक कह दिया।

कांग्रेस की चिंतन बैठक में बुजुर्गों का दबदबा
कांग्रेस के उदयपुर में आयोजित चिंतन शिविर में कांग्रेस ने भले ही 50 साल की आयु वाले युवा नेताओं को आगे लाने की बात कही है, लेकिन लगता है की पार्टी का इससे कोई सरोकार नही है। इसकी वजह है इस पूरी बैठक में मप्र ही नहीं बल्कि देशभर के कांग्रेसी बुजुर्ग नेताओं का ही दबदबा रहना। अगर मप्र की बात की जाए तो यहां से गए  दिग्गज नेताओं में अरुण यादव को छोड़ दिया जाए तो सभी नेता जिंदगी के सात दशक पूरे कर चुके हैं। अरुण यादव भी अब तक 50 बंसत देख चुके हैं। बैठक में यह भी कहा गया है की 50 साल से कम के युवा नेताओं को 50 प्रतिशत पद दिए जाएंगे। लेकिन मध्य प्रदेश कांग्रेस में तो युवा नेताओं का टोटा ही बना हुआ है। इसके अलावा जो एक बात और कही गई है अगर उस पर अमल किया जाता है तो कमलनाथ को चुनाव से कुछ माह पहले ही प्रदेशाध्यक्ष पद को भी छोड़ना पड़ेगा। शिविर में लिए गए फैसला के अनुसार  जो लोग पांच साल से संगठन के पदों पर जमे हैं, उन्हें पद छोड़ देना चाहिए।

मंत्रालय में भी जारी है भेदभाव
हाल ही में राज्य शासन द्वारा एक फरमान जारी किया गया है, जिसकी वजह से अफसरों व कर्मचारियों के बीच किए जाने वाले भेदभाव की परत खुल गई है। नए फरमान में मंत्रालयीन कर्मचारियों को कहा गया है कि उन्हें टीए बिल, मेडिकल बिल और छुट्टी के बिल ऑनलाइन जमा करने होंगे, लेकिन इसी आदेश में आला अफसरों यानी आईएएस अधिकारियों को मुक्त रखा गया है। इसकी वजह से उनके पास अब भी अपने बिल  ऑफलाइन जमा करने की सुविधा बनी रहेगी। मोटी पगार व रुतबे वाले इन अफसरों का शासन व सरकार विशेष ध्यान रखती है। यही वजह है कि कर्मचारियों का आरोप है की इस तरह का आदेश उन्हें परेशान करने के लिए ही निकाला गया है। मंत्रालय कर्मचारी संघ ने इसे पक्षपात वाला फरमान बताते हुए वित्त विभाग के अधिकारियों को ज्ञापन सौंपकर शिकायत भी की है और इस आदेश को वापस लेने की मांग की है।

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