बिहाइंड द कर्टन/सिंधी पंचायत बोली-मंत्री परमार के रिश्तेदारों पर हो एफआईआर

  • प्रणव बजाज
इंदर सिंह परमार

सिंधी पंचायत बोली-मंत्री परमार के रिश्तेदारों पर हो एफआईआर
सेंट्रल बैंक शाजापुर जिले की पोचानेर ब्रांच में पदस्थ नरेश फुलवानी से शिक्षा मंत्री इंदर सिंह परमार के रिश्तेदारों द्वारा की गई मारपीट के मामले को सिंधी सेंट्रल पंचायत ने गंभीरता से लिया है। पंचायत की बीते  रोज हुई बैठक में निर्णय लिया गया कि यदि मारपीट करने वाले शिक्षा मंत्री इंदर सिंह परमार के रिश्तेदारों के खिलाफ कार्रवाई नहीं हुई तो भोपाल बंद कराया जाएगा। खास बात यह कि बैठक में भाजपा के स्थानीय नेताओं ने भी कहा कि दोषियों पर कार्रवाई होनी चाहिए। वहीं पंचायत अध्यक्ष भगवान देव इसरानी के मुताबिक मंत्री ने खुद बड़ोदिया थाने में पहुंचकर बैंक कर्मचारियों को जान से मारने की धमकी दी है। ऐसे में फरियादी का पूरा परिवार डरा हुआ है। इसरानी ने कहा कि थाना प्रभारी गोपाल सिंह चौहान ने मंत्री परमार के दबाव में आकर एकतरफा कार्रवाई कर दी। हम मुख्यमंत्री से मांग करते हैं कि मंत्री इंदर सिंह परमार को तत्काल हटाया जाए और थाना प्रभारी को भी बर्खास्त किया जाए। साथ ही फुलवानी के खिलाफ दर्ज मामला वापस लिया जाए और वास्तविक आरोपियों के खिलाफ प्रकरण दर्ज किया जाए।

नाथ से अजय की मुलाकात के बाद चौधरी को दूसरे जिले की जिम्मेदारी
कांग्रेस नेता चौधरी राकेश सिंह चतुर्वेदी को लेकर प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष कमल नाथ बैकफुट पर आ गए हैं। दरअसल पूर्व नेता प्रतिपक्ष अजय सिंह की नाराजगी इसके पीछे बड़ी वजह मानी जा रही है। सूत्रों की माने तो चतुवेर्दी से रीवा जिले का प्रभार वापस लेकर अब उन्हें  मुरैना की जिम्मेदारी दी जा रही है। जल्द ही इसके आदेश हो सकते हैं। बता दें कि चौधरी को रीवा का प्रभार देने पर अजय सिंह ने आपत्ति जताई थी। उनका कहना था कि क्षेत्र के लोगों से चर्चा किए बिना बाहरी को प्रभारी बनाना उचित नहीं है। इससे कांग्रेस में कलह होने की बात सामने आ रही थी। हाल ही में नाथ ने अजय सिंह को चर्चा के लिए बुलाया था। ऐसे में अब माना जा रहा है कि चतुर्वेदी की जिम्मेदारी में बदलाव किया जाएगा। वहीं रीवा जिले की जिम्मेदारी राजा पटैरिया को दी जा रही है।

तो क्या अरुण यादव नहीं होंगे उम्मीदवार !
एक ओर जहां को प्रदेश कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष अरुण यादव खंडवा लोकसभा से उप चुनाव लड़ने की तैयारी में है, वहीं प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष कमलनाथ के एक बयान ने उन्हें सकते में डाल दिया है। यही नहीं ऐसा लग रहा है कि खंडवा से उनका टिकट खतरे में पड़ गया है। दरअसल कमलनाथ ने कहा था कि न तो खंडवा की सर्वे रिपोर्ट अब तक आई है और न ही अरुण ने मुझसे कहा है कि वे चुनाव लड़ना चाहते हैं। कमलनाथ यह भी साफ कर चुके हैं कि टिकट सर्वे के आधार पर ही दिया जाएगा। मुश्किल बात यह भी है कि अरुण यादव एक गोडसे भक्त को कांग्रेस में लेने पर कमलनाथ के खिलाफ तीखा हमला बोल चुके हैं। इसे लेकर मानक अग्रवाल अग्रवाल जैसे वरिष्ठ नेता को पार्टी से निलंबित तक किया जा चुका है। ऐसे में कमलनाथ आसानी से अरुण को टिकट नहीं लेने देंगे। इसके लिए अरुण को विरोध के लिए गलती मानना पड़ सकती है। वहीं अरुण खंडवा से लगातार दो बार चुनाव हार चुके हैं। इस आधार पर भी उनका टिकट काटा जा सकता है।

दमोह भाजपा कार्यकारिणी में पूर्व मंत्री मलैया को किया दरकिनार
दमोह विधानसभा उपचुनाव में हार का असर भाजपा की जिला कार्यकारिणी पर नजर आया है। पूर्व मंत्री जयंत मलैया के खेमे को कार्यकारिणी में जगह नहीं मिल सकी है। यहां तक कि जो सालों तक जिला संगठन में पदाधिकारी थे, उनमें से भी कुछ को बाहर का रास्ता दिखा दिया गया है। उल्लेखनीय है दमोह की राजनीति में यह पहला मौका है जब जयंत मलैया को नजरअंदाज किया गया है। फिलहाल सियासी जगत में दमोह जिला अध्यक्ष प्रीतम सिंह द्वारा जारी यह सूची चर्चा का विषय बनी हुई है। दमोह जिला कार्यकारिणी में प्रदेश नेतृत्व की सहमति से 9 उपाध्यक्ष, तीन महामंत्री, 9 मंत्री, एक-एक कोषाध्यक्ष, कार्यालय मंत्री, जिला मीडिया प्रभारी व जिला सह मीडिया प्रभारी नियुक्त हुए हैं।

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