बिहाइंड द कर्टन/अब न शिकवा…न शिकायत

  • प्रणव बजाज
शिकवा...न शिकायत

अब न शिकवा…न शिकायत
सुबह का भूला अगर शाम को लौट आए तो उसे भूला नहीं कहते। कुछ इसी तर्ज पर तकरीबन नौ साल के लंबे इंतजार के बाद पूर्व नेता प्रतिपक्ष अजय सिंह और पूर्व मंत्री चौधरी राकेश सिंह चतुर्वेदी एक बार फिर एक हुए हैं। सारे शिकवे और शिकायत का भूला कर जब ये दोनों नेता मिले तो कांग्रेस में एक नया जोश देखने को मिला। दरअसल, प्रदेश कांग्रेस के महासचिव व कॉलेज के जमाने से मित्र डा. महेन्द्र सिंह चौहान राकेश चौधरी को लेकर पूर्व नेता प्रतिपक्ष के बंगले पर पहुंचे। चतुवेर्दी जब वहां पहुंचे, तो उस समय अजय सिंह पूर्व विधायक राजनारायण सिंह पुरनी के साथ बैठे थे। अजय सिंह और राकेश चतुर्वेदी के बीच करीब आधा घंटे तक चर्चा हुई और दोनों ने गले मिलकर पुराने गिले-शिकवे दूर करने का वादा किया। इसी बीच कोई कांग्रेस नेता मिठाई लेकर पहुंच गया और उसी मिठाई से दोनों ने एक-दूसरे का मुंह मीठा कराया। मप्र की तेरहवीं  विधानसभा में अगस्त 2013 में  तत्कालीन नेता प्रतिपक्ष अजय सिंह शिवराज सरकार के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव लाए थे, लेकिन इस पर चर्चा के दौरान सदन में उपनेता प्रतिपक्ष चौधरी राकेश चतुर्वेदी ने इसका सदन में विरोध कर दिया। अविश्वास प्रस्ताव गिर गया। उसी दिन राकेश सिंह ने कांग्रेस छोड़कर भाजपा ज्वाइन कर ली। उस दिन के बाद से राकेश सिंह और अजय सिंह के रिश्ते बिगड़ गए। उनके बीच बोलचाल बंद हो गई। चतुर्वेदी की कांग्रेस में वापसी के बाद भी उनके रिश्ते सामान्य नहीं हुए। अजय सिंह ने कई मौकों पर राकेश सिंह का खुलकर विरोध किया। लेकिन शनिवार को उनके रिश्तों की जमी बर्फ पिघल गई।

लोगों को लोटपोट कर रहा छुट्टी का आवेदन
भाषा कोई भी हो अगर उसके लेखन में लालित्य और प्रवाह हो तो वह लोगों की खुब भाति है। इन दिनों सोशल मीडिया पर बुंदेली भाषा में लिखा हुआ छुट्टी का आवेदन लोगों के मनोरंजन का साधन बना हुआ है। लोग उसे पढ़-पढ़कर लोटपोट हो रहे हैं। इस आवेदन पत्र को आईएएस अधिकारी अर्पित वर्मा ने अपने ट्विटर हैंडल पर शेयर किया है, जो काफी मजेदार तरीके से लिखा गया है। इस आवेदन पत्र में लिखा है सेवा में श्रीमान मासाब माध्यमिक पाठशाला बुंदेलखंड महानुभव तो मस्साब ऐसे हैं कि दो दिना से चड़ रओ है जो बुखार और ऊपर से जा नाक बह रह सो अलग। जई के मारे हम स्कूल नई आ पाहे। तमाए पाऊ पर के निवेदन है कि दो-चार दिना की छुट्टी दे देते, तो बड्डी अच्छो रहतो और हम नई आए तो कौन सा तमाओ स्कूल बंद हो जै। तुमाओ… आग्याकारी शिष्य… कलुआ। छुट्टी के लिए लिखा गया ये आवेदन पत्र अब सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हो रहा है। लोगों को ये पत्र काफी पसंद आ रहा है। महंगाई, गर्मी के बीच जब कोई यह पत्र पढ़ता है तो सारी समस्याओं को भूलाकर ठहाके जरूर लगा लेता है।

अब तोड़फोड़ करने वालों की खैर नहीं
मध्यप्रदेश में अब सरकारी और निजी संपत्तियों को नुकसान पहुंचाने वाले और तोडफोड़ करने वालों की खैर नहीं होगी। मध्यप्रदेश लोक एवं निजी संपत्ति को नुकसान का वसूली एक्ट लागू होने के साथ गृह विभाग ने राजपत्र में प्रकाशित कर दिया है। सरकारी निजी संपत्ति को नुकसान पहुंचाने वालों से वसूली होगी। दावा अधिकरण का गठन किया गया। गृह विभाग ने राजपत्र में अधिसूचना प्रकाशित कर दी है। प्रकाशन के साथ मध्य प्रदेश में प्रभावी रूप से एक्ट लागू होगा। प्रदेश में सरकारी या निजी संपत्ति को नुकसान पहुंचाना अब भारी पड़ेगा। लोगों को इस नुकसान की भरपाई करनी पड़ेगी। राज्य सरकार ने मध्य प्रदेश लोक एवं निजी संपत्ति को नुकसान का निवारण एवं नुकसानी की वसूली अधिनियम-2021 लागू कर दिया है। इसके तहत धरना, जुलूस, हड़ताल, बंद, प्रदर्शन, सांप्रदायिक दंगा में व्यक्ति या व्यक्तियों के समूह द्वारा पत्थरबाजी, आग लगाने या तोड़फोड़ से सरकारी या निजी संपत्ति को नुकसान पहुंचाने पर वसूली की जाएगी। गृह मंत्री डॉ. नरोत्तम मिश्रा ने बताया है कि निजी एवं सार्वजनिक संपत्ति को नुकसान पहुंचाने वालों से नियामानुसार कार्यवाही की जाकर वसूली की जाएगी। गृह मंत्री मिश्रा ने बताया कि अधिनियम राजपत्र में प्रकाशन दिनांक से प्रभावी हो गया है। निजी अथवा सार्वजनिक सम्पत्ति को नुकसान पहुंचाए जाने पर वसूली के लिए दावा किया जा सकेगा। इसके लिये प्रक्रिया निर्धारित की गई है इसमें दावा अधिकरण का गठन कर अध्यक्ष एवं सदस्यों की नियुक्ति की जाएगी। अधिसूचना में अध्यक्ष एवं सदस्यों की सेवा शर्तों, अधिकार और शक्तियों का उल्लेख किया गया है। दावों की  सुनवाई होगी, साक्षियों के साक्ष्य शपथ पर लिखे जायेंगे।

हकीकत या फसाना
प्रदेश की राजनीति में राज्य मंत्री ओपीएस भदौरिया के एक बयान ने  भूचाल ला दिया है। यह हकीकत है या फसाना यह तो किसी को पता नहीं लेकिन चर्चा आम हो गई है। दरअसल भदौरिया ने नेता प्रतिपक्ष डॉ. गोविंद सिंह के बयान पर पलटवार करते हुए खुलासा किया कि ज्योतिरादित्य सिंधिया को पिछले लोकसभा चुनाव में हराने का षड्यंत्र तत्कालीन मुख्यमंत्री कमलनाथ के सरकारी आवास पर रचा गया था। कुछ नेताओं को उन्हें हराने के लिए पैसा देकर उनके संसदीय क्षेत्र में भेजा गया, क्योंकि उनके सामने सबसे बड़ी चुनौती जनाधार वाले नेता सिंधिया ही थे। उन्होंने नेता प्रतिपक्ष को आगाह किया कि उनके लिए सिंधिया की आवश्यकता नहीं है, क्योंकि वे तो प्रदेश व देश के नेता हैं। डॉ. गोविंद सिंह केवल लहार विधानसभा क्षेत्र के नेता हैं। उनके लिए मैं ही काफी हूं। भदौरिया के इस बयान से अंचल की राजनीति गरमा गई है। हालांकि पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ ने इस मुद्दे पर कुछ भी बोलने से मना करते हुए कहा है कि सिंधिया की हार भाजपा का अंदरूनी मामला है।

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