बिहाइंड द कर्टन/आखिर कैसे होंगे तबादलें

  • प्रणव बजाज
तबादलें

आखिर कैसे होंगे तबादलें
प्रदेश में तबादलों पर प्रतिबंध लगने में अब एक हफ्ते से भी कम समय बचा है, ऐसे में अब तक महल उच्च शिक्षा विभाग ही तबादला सूची जारी करने में सफल रहा है। अगर स्कूल शिक्षा विभाग की बात की जाए तो इस विभाग में तबादलों का ऑनलाइन सेटअप होने के बाद भी अब तक किसी का भी तबादला नहीं हो सका है। दरअसल विभाग के अफसर व मंत्री में पटरी नहीं बैठ पा रही है। मंत्री जी को पहली बार मौका मिला है,सो उन्होंने सेटअप को दरकिनार कर ऑफलाइन तबादलों के लिए आवेदन सीधे अपने पास बुलवा लिए हैं। इस बीच विभागीय स्तर से तैयार सूची मंत्री जी तक अनुमोदन के लिए भेजी जा चुकी है, जिससे की वह समय रहते जारी हो सके, लेकिन अनुमोदन ही नहीं हो पा रहा है। दरअसल बंगले पर स्टाफ द्वारा जो सूची तैयार की गई है मंत्री जी उसे जारी करवाना चाहते हैं जबकि अफसर बगैर भौतिक सत्यापन के कोई भी सूची जारी करने को तैयार नहीं है। इसकी वजह से न तो विभाग द्वारा तैयार की गई सूची जारी हो पा रही है और न ही मंत्री जी के बंगले पर तैयार की गई सूची।

जांगिड के निशाने पर फिर सरकार
कलेक्टर के विवाद के चलते बड़वानी से हटाकर राज्य शिक्षा केन्द्र में पदस्थ किए गए सीधी भर्ती के युवा आईएएस अफसर लोकेश कुमार जांगिड अब एक बार फिर चर्चा में हैं। इस बार वे चर्चा की वजह बने हैं प्रदेश में हुई सिविल सेवा सर्विस बोर्ड की बैठक की जानकारी डीओपीटी भेजने की वजह से। इसकी वजह से एक बार उनके निशाने पर प्रदेश की शिव सरकार आ गई है। इस जानकारी में जांगिड ने कहा है कि एक साल में प्रदेश में इस बोर्ड की कुल 91 बैठकें की गई हैं। यानी की हर चौथे दिन एक बैठक। खास बात यह है कि 9 जुलाई को जीएडी द्वारा दी गई इस जानकारी को उनके द्वारा अपने ट्विटर पर भी शेयर की गई है। इस बहाने उनके द्वारा प्रदेश सरकार की कार्यप्रणाली पर भी निशाना साधा गया है। इसमें उनके द्वारा बताया गया है कि बीते साल 1 जनवरी से 31 दिसंबर के बीच प्रदेश में कुल 339 आईएएस अफसरों के तबादले किए गए हैं। यह वह अफसर हैें जो पहले भी सरकार की कार्यप्रणाली पर सवाल खड़े कर चुके हैं और अपने ही कलेक्टर को भी उनकी कार्यप्रणाली की वजह से कटघरे में खड़ा करने की वजह से विवादों में रह चुके हैं।

तोमर ने साथ मंत्रियों को छोड़ा पीछे
शिव सरकार के ऊर्जा मंत्री प्रद्युमन सिंह तोमर वैसे तो सार्वजनिक रुप से आम आदमी की तरह सक्रिय रहने की वजह से न केवल हमेशा मीडिया में सुर्खियां बटोरते रहते हैं, बल्कि आम आदमीह के बीच भी जमकर चर्चा में बने रहते हैं। अपनी इसी कार्यशैली की वजह से ही वे अब सोशल मीडिया में भी लोकप्रियता में अपने सभी साथी मंत्रियों को पीछे छोड़ चुके हैं। फेसबुक पेज पर तो उनके करीब कोई भी मंत्री करीब नजर नहीं आता है। इस मामले में उनसे पीछे रहने के बाद भी क्रमश: विश्वास सारंग, भूपेन्द्र सिंह, गोविंद राजपूत और यशोधरा राजे भी शीर्ष पांच स्थानों में बने हुए हैं। यह बात अलग है कि ट्विटर पर गृह मंत्री नरोत्तम मिश्रा अब भी सबसे आगे बने हुए हैं। सोशल मीडिया के मामले में सबसे फिसड्डी सुरेश धाकड़ बने हुए हैं। खास बात यह है कि सरकार व संगठन लगातार अपने नेताओं को सोशल मीडिया पर सक्रिय रहने की माकीद देता रहता है, इसके बाद भी हालात यह हैं कि प्रदेश सरकार के एक दर्जन मंत्री ऐसे हैं, जिनके फॉलोअर्स की संख्या 20 हजार के आंकड़े तक को नहीं छूपा रही है।

कमलनाथ का सर्वे पर अधिक भरोसा
सूबे की सरकार के पूर्व मुखिया कमलनाथ ऐसे नेता हैं जो पार्टी के फीडबैक से अधिक सर्वे पर अधिक भरोसा करते हैं। वे आम विधानसभा के बाद अब तक प्रदेश में जितने भी उपचुनाव हुए हैं, सभी में सर्वे को ही प्रत्याशी चयन में तवज्जो देते रहे हैं। अब वे एक बार फिर से एक लोकसभा व तीन विधानसभा उपचुनावों के लिए पार्टी प्रत्याशी चयन के लिए सर्वे करा रहे हैं। सर्वे की रिपोर्ट न आ पाने की वजह से ही अब तक प्रत्याशी चयन के लिए बैठक को टालते आ रहे हैं। अब सर्वे रिपोर्ट दो दिन बाद यानी कि 29 जुलाई को आ रही है। यही वजह है कि उनके द्वारा प्रत्याशी चयन के लिए बैठक को टाला गया है। इसके साथ ही नाथ द्वारा पार्टी जिलाध्यक्षों के साथ ही प्रभारियों और पर्यवेक्षकों से भी सभी उपचुनाव वाली सीटों के लिए नामों का पैनल मांगा गया है। माना जा रहा है कि जिन दावेदारों के नाम इन सभी पैनल और सर्वे रिपोर्ट में होगा उसका टिकट तय कर दिया जाएगा।

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