बिहाइंड द कर्टन/युवाओं में एसीपी अतुलकर की लोकप्रियता

  • प्रणव बजाज
एसीपी अतुलकर

युवाओं में एसीपी अतुलकर की लोकप्रियता
भोपाल के एसीपी सचिन अतुलकर वैसे तो आईपीएस अफसर हैं , लेकिन उनकी लोकप्रियता की वजह है उनकी उनकी मस्क्यूलर बॉडी। इसकी वजह से वे सोशल मीडिया पर सेलिब्रिटीज बने हुए हैं। शायद यही वजह है कि उनके नाम से सोशल मीडिया पर दर्जनों फेक अकाउंट बने हुए हैं। जानकारी के अनुसार फेसबुक पर 50 से अधिक अकाउंट और पेज अतुलकर के ऐसे हैं जो पूरी तरह से फर्जी हैं। इसके बाद इंस्टाग्राम पर भी कुछ ऐसी ही स्थिति बनी हुई है यहां पर भी फर्जी अकाउंट की भरमार है। ट्विटर पर भी करीब एक दर्जन अकाउंट सचिन अतुलकर के नाम से बने हुए हैं जिनकी आॅफिशियल या सही होने की कोई पुष्टि नहीं है। खास बात यह है कि इनमें से कई तो लगातार अपडेट भी किए जा रहे हैं। वे ऐसे अफसर हैं, जो खुद के साथ ही अपने अधीनस्थों को भी स्वस्थ्य रखने में यकीन रखते हैं। यह बात अलग है कि उन्हें इसकी जानकारी है या नहीं , लेकिन उनकी एक पोस्ट इन दिनों बेहद चर्चा में है। इसमें राष्ट्रवाद से जुड़ी फोटो के साथ इममें एक पोस्ट ऐसी भी है जिसमें कहा है केवल 3 चीजे ही मुफ्त होनी चाहिए.. चिकित्सा, शिक्षा, ओर न्याय के अलावा बाकी मुफ्त चीजें व्यक्ति, समाज व राष्ट्र को अपाहिज बनाती हैं।

गृह विभाग ने ठुकराया वन महकमे का प्रस्ताव
मप्र का वन महकमा चाहता है कि उसे भी वन अपराधों के मामलों में आरोपियों की धरपकड़ के लिए काल डिटेल रिकार्ड (सीडीआर) का अधिकार मिले। इसके लिए वाकायदा एक प्रस्ताव तैयार कर गृह विभाग को भेजा गया था, लेकिन उसके इस प्रस्ताव को ठुकरा दिया गया है। यह प्रस्ताव वन विभाग की वाइल्ड लाइफ शाखा द्वारा भेजा गया था। इस प्रस्ताव में वन विभाग ने तर्क दिया था कि वाइल्ड लाइफ क्राइम को रोकने के लिए काल डिटेल रिकार्ड एक अहम सबूत होता है, लेकिन राज्य के गृह विभाग ने इस मांग को खारिज करते हुए कह दिया है कि सीडीआर देने का अधिकार केवल केंद्र सरकार का है। पुलिस की टाइगर सेल वन अपराधियों की धरपकड़ के लिए वाइल्ड लाइफ एसटीएफ की मदद करती है। इसके बाद अब इस अधिकार के लिए एक प्रस्ताव केन्द्र सरकार को भेजा गया है , जिस पर अभी फैसला नहीं हुआ है।  

आखिर पूर्व एसीएस पड़ ही गए नेता जी पर भारी
पार्टी की पिछली सरकार के समय तक बेहद पॉवरफुल रहे एक नेता जी के अब अच्छे दिन नहीं चल रहे हैं। अपने इलाके में पहले उनकी मर्जी के बगैर पत्ता तक नहीं हिलता था, लेकिन अब उनकी मर्जी पर बेमर्जी भारी पड़ रही है। फिर चाहे मामला राजनैतिक हो या प्रशासनिक। इन नेता जी पर हाल ही में एक पूर्व ब्यूरोके्रट तक भारी पड़ गए हैं। दरअसल यह पूर्व अफसर अपने एक रिश्तेदार रिटायर्ड इंजीनियर को चीफ इंजीनियर के पद पर संविदा नियुक्ति दिलाने में सफल रहे हैं। दरअसल इन इंजीनियर को लेकर विंध्य के दो दिग्गज नेताओं में बेहद खींचतान चल रही थी। बुरे दिन झेल रहे नेता जी इंजीनियर की संविदा नियुक्ति के विरोध में थे, वहीं दूसरे नेता इंजीनियर को संविदा नियुक्ति दिलाने की पैरवी में लगे हुए थे। यही वजह है कि उक्त इंजीनियर के विरुद्ध डीई चलने के बाद भी उनकी संविदा नियुक्ति का प्रस्ताव विभाग द्वारा जीएडी को भेज दिया गया था। इस मामले में विभाग को सीएस की नाराजगी तक झेलनी पड़ी। इसके बाद पूर्व एसीएस ने अपना ऐसा प्रभाव दिखाया कि डीई भी क्लीयर हो गई और रिश्तेदार इंजीनियर को संविदा नियुक्ति भी मिल गई।

एक बंगला हो न्यारा
सूबे के एक मंत्री को इन दिनों अजीब शौक चढ़ा हुआ है। वे चाहते हैं कि उनका बंगला न्यारा हो। यही वजह है कि वे इन दिनों पूरी ताकत अपने बंगले को लेकर लगाए हुए हैं। इसकी वजह से उनके बंगले के साइड में पड़ी सरकारी खाली जामीन पर इन दिनों तेजी से काम हो रहा है। यह काम बंगले के विस्तार के रूप में नए बंगले के निर्माण का चल रहा है। इस निर्माण में जमकर राशि खर्च की जा रही है। यह राशि ऐसे समय खर्च की जा रही है जबकि प्रदेश सरकार का खजाना बेहद संघर्ष के दौर से गुजर रहा है। इस मामाले में नेता जी की जिद ऐसी है कि वे किसी की भी बात मानने को तैयार नही है। देखना तो यह है कि उनका इस बंगले को लेकर जा जूनून और जिद है उसका सुख वे भोग पाते हैं या नहीं, वजह है जब तक  बंगला बनकर तैयार होगा तब तक प्रदेश में विधानसभा चुनाव का मौसम आ जाएगा।

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