बिहाइंड द कर्टन/पुलिस को टोपी पहनाना पड़ा भारी

  • प्रणव बजाज
पुलिस

पुलिस को टोपी पहनाना पड़ा भारी
जब अपराध के किसी मामले में पुलिस पर अधिक दबाव रहता है तो फिर मामला सुलझाने के लिए इसकी टोपी उसके सिर पर रखने में वह  पीछे नहीं रहती है, फिर मामला कितना भी गंभीर ही क्यों न हो। इसके पूर्व में कई उदाहरण भोपाल से लेकर कई जिलों तक में सामने आ चुके हैं, हालांकि बाद में कई मामलों में पुलिस को बेहद किरकिरी का समाना तक करना पड़ा है। ऐसा ही एक नया मामला अब सामने आया है। यह मामला है अनूपपुर जिले के भालूमाड़ा थाना क्षेत्र का, जहां बिच्छू खान निवासी जमुना कॉलरी की भैंस चोरी की शिकायत पुलिस से की गई थी, लेकिन पुलिस फरियादी की भैंस जब्त करने के बजाय दूसरे की भैंस जब्त कर फरियादी को थमा रही थी। इसकी शिकायत मंत्री बिसाहूलाल से करके उनसे न्याय की गुहार लगाई गई तो मंत्री ने जांच के निर्देश पुलिस अधीक्षक अखिल पटेल को दिए थे। इस मामले की जब जांच कराई गई तो शिकायत सही पायी गई। इसके बाद एसआई विपुल शुक्ला व एएसआई सलीम खान को लाइन हाजिर कर दिया गया है। बताया तो यह भी जा रहा है कि भैंस चोरी कर उसक ो काटने के लिए बाहर भेज दिया जाता है। इस मामले में पकड़े गए भैंस चोर से पुलिस ने सांठगांठ कर कुछ पैसे भी फरियादी को देने का प्रयास किया  था।

कांग्रेस में इस्तीफों का दौर शुरू
महापौर पदों के लिए भले ही कांग्रेस ने अपनी सूची जारी कर भाजपा से बाजी मार ली है , लेकिन पार्टी में इसको लेकर असंतोष का असर दिखना शुरू हो गया है। हद तो यह हो गई है कि यह असंतोष अनुशासन समिति के अध्यक्ष तक में देखने को मिल रहा है। इस मामले में देवास के शहर कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष और अनुशासन समिति अध्यक्ष जयप्रकाश शास्त्री ने इस्तीफा दे दिया। इस्तीफा शहर कांग्रेस अध्यक्ष मनोज राजानी को व्हाट्सएप पर भेजा गया है। महापौर पद के लिए दावेदारों में राजानी की पत्नी, प्रदीप चौधरी की पत्नी सहित दो-तीन नाम और चर्चा में थे। ऐन मौके पर कांग्रेस ने ब्राह्मण कार्ड खेलते हुए प्रदेश कांग्रेस सचिव रमेश व्यास की पत्नी विनोदिनी का नाम तय कर दिया। सूत्रों की मानें तो शास्त्री अपनी पत्नी के लिए टिकट मांग रहे थे। उधर, बड़वानी में टिकट नहीं मिलने पर कांग्रेस के पूर्व जिलाध्यक्ष सुखलाल परमार ने इस्तीफा दे दिया है। उन्होंने वर्तमान जिलाध्यक्ष, पूर्व मंत्री बाला बच्चन और सेंधवा विधायक पर पार्टी को नुकसान पहुंचाने के आरोप लगाए हैं। उन्होंने कहा है कि उनकी पत्नी भी कांग्रेस से इस्तीफा देंगी।

कुशवाहा को कांग्रेस बना रही ओबीसी का बड़ा चेहरा
कांग्रेस ने अब ओबीसी वर्ग को साधने के लिए अपने विधायक सिद्धार्थ कुशवाहा को बड़े चेहरे के रुप में पेश करने की तैयारी कर ली है। यही वजह है कि पहले से विधायक होने के बाद भी पार्टी ने उन्हें दो दिन पहले सतना नगर निगम के महापौर पद का प्रत्याशी बना और अब उन्हें मध्यप्रदेश कांग्रेस पिछड़ा वर्ग विभाग का नया अध्यक्ष नियुक्त कर दिया गया। उनकी यह नियुक्ति तत्काल प्रभाव से की गई है। इसकी वजह है प्रदेश में निकाय व पंचायत चुनाव में ओबीसी आरक्षण का बड़ा मुद्दा होना । उनके कद को बढ़ाने के पीछे यही कारण माना जा रहा है। कुशवाहा के जरिए कांग्रेस विंध्य इलाके में ओबीसी के बड़े वोट बैंक में सेंध लगाने की कोशिश कर रही है। कुशवाहा विंध्य में कांग्रेस के लिए ओबीसी का नया चेहरा हैं और उनकी पृष्ठभूमि भी सियासी रही है। लिहाजा ओबीसी वर्ग के लोगों का जुड़ाव उनसे है। इसी के मद्देनजर यह उन्हें यह जिम्मेदारी मिली है। माना जा रहा है कि उनकी वजह से बुंदेलखंड अंचल में भी कांग्रेस को सियासी फायदा हो सकता है। इस अंचल में उनके समाज की अच्छी खासी तदाद बताई जाती है।

और राजौरा साबित हुए बेदाग  
स्वास्थ्य विभाग में दवा खरीदी में गड़बड़ी पर 2009 में दर्ज मामले में लोकायुक्त पुलिस द्वारा पेश खात्मा रिपोर्ट को जिला अदालत ने मंजूर कर लिया है। इस मामले में तत्कालीन स्वास्थ्य आयुक्त डॉ. राजेश राजौरा सहित तत्कालीन स्वास्थ्य संचालक डॉ. योगीराज शर्मा, डॉ. अशोक वीरांग एवं प्रशासकीय अधिकारी एमएम माथुर को आरोपी बनाया गया था। लोकायुक्त पुलिस ने जांच के बाद साक्ष्य नहीं मिलने के कारण 2013 में खात्मा रिपोर्ट पेश की थी। इसको भोपाल जिला अदालत ने 2021 में मंजूर नहीं किया था। कोर्ट ने नए सिरे से 5 बिंदुओं पर जांच करने के निर्देश दिए थे। इस पर लोकायुक्त पुलिस ने फिर से जांच की और प्रमाण नहीं होने के आधार पर फिर खात्मा रिपोर्ट पेश की। इसको परीक्षण के बाद न्यायाधीश अमित रंजन समाधिया ने 10 जून को स्वीकार कर लिया। लोकायुक्त ने 0.75 ग्राम के स्ट्रेप्टोमाइसिन इंजेक्शन की खरीदी में गड़बड़ी की जांच शुरू की थी। आरोप था, यह इंजेक्शन भारत सरकार उपलब्ध कराती है, तो मप्र स्वास्थ्य विभाग ने क्यों खरीदी की। जांच में पता चला कि 0.75 ग्राम के नहीं, बल्कि 1.00 ग्राम के स्ट्रेप्टोमाइसिन इंजेक्शन खरीदे गए थे, जो प्रसव के बाद लगाए जाते हैं। 0.75 ग्राम का स्ट्रेप्टोमाइसिन इंजेक्शन टीबी के इंफेक्शन में लगाया जाता है।

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