- हरीश फतेह चंदानी

साहब की भैय्यागिरी
अभी तक अपनी कर्तव्यशीलता के लिए चर्चा में रहने वाले 2010 बैच के एक आईएएस अधिकारी इन दिनों अपनी भैय्यागिरी के लिए चर्चा में हैं। दरअसल, एक जिले के कलेक्टर के तौर पर साहब गत दिनों दौरे पर थे ,तो एक मतदान केंद्र पर अव्यवस्थाएं देख भड़क गए। साहब इस कदर भड़के कि वे आपा खो गए और अफसरों को गधे तक कह दिया। साहब के मुंह से भैय्यागिरी वाले शब्द सुनकर उनके मातहत भी पसोपेश में पड़ गए। क्योंकि साहब अपने मृदुभाषी व्यवहार और अफसरों को महत्व देने के लिए जाने जाते हैं। जब साहब के गुस्से की वजह की पड़ताल की गई तो यह तथ्य सामने आया कि त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव में निर्वाचन काम में लगे कर्मचारियों और मतदान दलों को पोलिंग बूथों के लिए रवाना किया जाना था। पर वहां कई अव्यवस्थाएं थी। सभी कर्मचारियों को सुबह से बुला लिया गया और उन्हें भरी गर्मी में धूप में बगैर पानी तक के खड़ा कर दिया था। इसी दौरान साहब वहां निरीक्षण के लिए पहुंच गए। कर्मचारियों ने भी मौका देख कलेक्टर से इस बात की शिकायत कर दी। फिर क्या था साहब अफसरों पर जमकर भड़क गए। दरअसल, जिन साहब की बात हो रही है वे वर्तमान में एक ऐसे जिले में कलेक्टरी कर रहे हैं जहां के लोग अक्खड़ और तुनकमिजाजी के लिए जाने जाते हैं। साहब भी मूल रूप से एक ऐसे राज्य के निवासी हैं जहां के लोग भैय्यागिरी के लिए देशभर में जाने जाते हैं।
कलेक्टर की गाड़ी विवादों में
कुल साल पहले अपनी मातृ सेवा के लिए मिसाल बन चुके 2013 बैच के एक आईएएस अधिकारी इन दिनों अपनी सरकारी गाड़ी के कारण विवादों में फंस गए हैं। दरअसल, मां की सेवा के लिए पूर्व में कलेक्टरी ठुकरा चुके साहब इन दिनों एक आदिवासी बहुल जिले के कलेक्टर हैं। गत दिनों महाकालेश्वर मंदिर के प्रशासनिक कार्यालय के बाहर सरकारी सफारी गाड़ी पहुंची। इस वाहन में कुछ लोग सवार थे। बताया जा रहा है कि कलेक्टर साहब पिछले कुछ दिनों से निजी काम से छुट्टी पर चल रहे हैं। पंचायत और स्थानीय निकाय चुनाव होने की वजह से उनका कार्यभार इंदौर में पदस्थ अपर कमिश्नर रजनी सिंह को दिया गया है। इस बीच उनके वाहन के दुरुपयोग का मामला सामने आया है। शासकीय कार्य के लिए उपलब्ध कराए गए सरकारी वाहन का इस्तेमाल कई बार निजी कार्य में देखा गया है। राज्य में चुनाव आदर्श आचार संहिता लगी है, ऐसे में शासकीय वाहन बिना किसी अनुमति के 200 किलोमीटर दूर उज्जैन कैसे पहुंच गया। इस पूरे मामले में यह भी कहा जा रहा है कि मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के उज्जैन भ्रमण कार्यक्रम में गाड़ी पहुंचाई गई थी। लेकिन आधिकारिक तौर से कोई भी कुछ कहने को तैयार नहीं है। जबकि कलेक्टर साहब छुट्टी पर होने के कारण इन सब घटनाक्रम से अनजान हैं।
नहीं काम आया कोई जुगाड़
प्रदेश की प्रशासनिक वीथिका में इन दिनों एक प्रमोटी महिला आईपीएस के समर्पण की खूब चर्चा हो रही है। चर्चा इसलिए हो रही है कि मैडम ने अपने प्रमोटी आईपीएस पति को साहब (एसपी) बनाने के लिए खूब हाथ-पैर मारे, लेकिन न तो उनकी मेहनत और न ही उनका जुगाड़ काम आया। हद तो यह रही कि मैडम ने प्रदेश के बलवान मंत्रीजी को भी पटाकर इस काम पर लगाया था। लेकिन फिर भी दाल नहीं गल पाई। मैडम प्रतिनियुक्ति पर देश की राजधानी में सेवाएं दे रही हैं, लेकिन उनको हर वक्त अपने पति की चिंता सताए रहती है। मैडम के पति प्रदेश की राजधानी में सेवारत हैं। मैडम का सपना है कि जल्द से जल्द उनके पति को किसी जिले की कमान मिल जाए। इसके लिए वे दिल्ली से लेकर भोपाल तक अपने संपर्कों के माध्यम से पति को एसपी बनाने के लिए जुगाड़ पर जुगाड़ लगा रही हैं। मैडम को अनुमान था कि इस बार तबादले पर से प्रतिबंध हटने के साथ ही साहब की कहीं न कहीं लॉटरी लग जाएगी। लेकिन इनकी राह में पंचायत और निकाय चुनाव की आचार संहिता आड़े आ गई है। मैडम को विश्वास है कि आचार संहिता हटते ही उनके पति परमेश्वर को किसी जिले के एसपी की कमान मिल जाएगी। यहां बता दें कि पति-पत्नी दोनों 2020 बैच के आईपीएस अधिकारी हैं।
साहब दरियादिल या कंजूस
आदिवासी बाहुल्य एक जिले के एसपी साहब की चर्चा इन दिनों प्रदेश की प्रशासनिक वीथिका में चटखारे लेकर सुनी और सुनाई जा रही हैं। दरअसल, साहब ने जब से जिले की कमान संभाली है उनकी दरियादिली और कंजूसी के किस्से राजधानी तक पहुंच रहे हैं। बताया जाता है कि आदिवासी बाहुल्य इस जिले में साहब महिला थानाधिकारियों के साथ पैंच से पैंच लड़ाने में हिचक नहीं कर रहे हैं। एक महिला थानाधिकारी से तो उनकी नजदीकियां काफी बढ़ गई हैं। दरअसल, साहब जिले में अकेले निवास कर रहे हैं, इसलिए अकेलापन दूर करने के लिए साहब दरियादिली का सहारा ले लेते हैं। वहीं साहब की कंजूसी भी इस कदर चर्चा में है कि लोग यह कहने लगे हैं कि साहब की जेबें पूरी तरह सिली हुई हैं। आलम यह है कि साहब अपने खर्चे के लिए अपने पॉकेट से चवन्नी भी खर्च नहीं करते हैं। कहा तो यहां तक जा रहा है कि साहब अपना टूथब्रश भी थाना इंचार्ज से खरीदवाते हैं। साहब की दरियादिली और कंजूसी से महकमे के अधिकारी-कर्मचारी परेशान हैं, लेकिन करें तो क्या, क्योंकि साहब के आगे सब मजबूर हैं। बता दें साहब 2020 बैच के प्रमोटी आईपीएस हैं।