जी हां अब सुधर रही मप्र की स्वास्थ्य व्यवस्था

स्वास्थ्य व्यवस्था

– 23 मेडिकल कॉलेजों में हर साल तैयार हो रहे 4 हजार डॉक्टर
-देश का पहला पंचकर्म सुपर स्पेशियलिटी अस्पताल भोपाल में
भोपाल/गौरव चौहान/बिच्छू डॉट कॉम।
कोरोना संक्रमण में मप्र की स्वास्थ्य व्यवस्था की मजबूती को पूरे देश ने देखा। दरअसल प्रदेश में सरकार स्वास्थ्य व्यवस्था को दिनोंदिन मजबूत कर रही है। कई मामलों में तो मप्र आत्मनिर्भर बन गया है। इस बात के भी अच्छे संकेत है कि मप्र में स्वास्थ्य सुविधाएं आने वाले सालों में इतनी बेहतर हो जाएंगी कि लोगों को इलाज के लिए दूसरे राज्यों में भटकना नहीं पड़ेगा। प्रदेश में अब निजी व सरकारी मिलाकर 23 मेडिकल कॉलेज हैं, जिनमें हर साल 3,655 डॉक्टर और 1,000 से ज्यादा विशेषज्ञ डॉक्टर तैयार हो रहे हैं।
प्रदेश ने किस तरह से तरक्की की सीढ़ियां चढ़ी है, इसका अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि 1956 में प्रदेश में सिर्फ चार सरकारी मेडिकल कॉलेज थे। अब निजी व सरकारी मिलाकर 23 मेडिकल कॉलेज हैं। आर्गन ट्रांसप्लांट, इलाज की नई तकनीक, आयुर्वेद और होम्योपैथी में भी प्रदेश ने बेहतर काम किया है। किडनी ट्रांसप्लांट की सुविधा पिछले साल से गांधी मेडिकल कॉलेज से संबद्ध हमीदिया अस्पताल और जबलपुर के सरकारी मेडिकल कॉलेज में शुरू की गई है।
भोपाल में 56 करोड़ रुपए की लागत से तैयार किए जा रहे क्षेत्रीय स्वसन रोग संस्थान में फेफड़ा ट्रांसप्लांट की सुविधा शुरू करने की भी तैयारी है। इसके अलावा कुछ मेडिकल कॉलेजों में लिवर ट्रांसप्लांट करने के भी प्रयास किए जा रहे हैं। वहीं खुशीलाल शर्मा आयुर्वेद कॉलेज में 9 करोड़ रुपए की लागत से देश का पहला पंचकर्म स्पेशियलिटी अस्पताल बनाया गया है। यहां पर लकवा, ब्रेन स्ट्रोक, हड्डी से जुड़ी बीमारियों का अत्याधुनिक तकनीक से इलाज किया जाएगा। पंचकर्म की सुविधा स्पा की तर्ज पर भी दी जाएगी।
प्रदेश में 206 ऑक्सीजन प्लांट
प्रदेश में दो साल पहले तक तरल ऑक्सीजन के उत्पादन के लिए एक भी प्लांट नहीं थे। महाराष्ट्र व अन्य राज्यों से मेडिकल ऑक्सीजन की आपूर्ति की जा रही थी। कोरोना की दस्तक के बाद प्रदेश में 206 ऑक्सीजन जनरेशन (पीएसए) प्लांट लगाए जा रहे हैं। इनमें 190 पूरी तरह से तैयार हो गए हैं। सभी में मिलाकर हर दिन 239 मीट्रिक टन मेडिकल ऑक्सीजन हवा से तैयार की जा सकेगी। वहीं 2 साल में ही प्रदेश में 5200 हेल्थ एंड वैलनेस सेंटर बनाए गए हैं। प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र या उप स्वास्थ्य केंद्रों का वेलनेस सेंटर के रूप में उन्नयन किया गया है। उप स्वास्थ्य केंद्रों में पहले सिर्फ एएनएम रहती थीं। अब यहां पर आयुष चिकित्सक या स्टाफ नर्स को पदस्थ किया गया है। इस साल दिसंबर तक 5000 हेल्थ एंड वेलनेस सेंटर बनाए जाएंगे।

Related Articles