- प्रशासन नहीं करता कार्रवाई, अफसरों की तय हो जिम्मेदारी
भोपाल/अपूर्व चतुर्वेदी/बिच्छू डॉट कॉम। प्रदेश की बात तो अलग है, राजधानी में ही है अफसर अवैध कॉलोनियों के मामले में पूरी तरह से निष्क्रिय बने रहते हैं। यही वजह है कि जिम्मेदारों की निष्क्रियता का फायदा इसके माफिया न केवल जमकर उठाते रहे हैं, बल्कि अब भी खुलेआम उठा रहे हैं। हालत यह है कि शहर और उसके आसपास के इलाकों में उनके द्वारा खेती की जमीन पर जमकर अवैध कॉलोनियों की फसल उगाई जा रही है। अगर मौजूदा समय की बात की जाए तो राजधानी से लगे रतनपुर सड़क, सुरैया नगर, खांड़ा बड़, पिपलिया केशो, सेमरी, अमरावत कलां, सुहागपुर में बड़े पैमाने पर इस तरह का काम जारी है। इन जगहों पर इस समय करीब आधा सैकड़ा अवैध कॉलोनियों की फसल लहलहा रही है। अगर अन्य इलाकों को भी इसमें शामिल कर लिया जाए तो यह आंकड़ा करीब पांच सैकड़ा के आंकड़े को छू जाएगा। इधर, अवैध रूप से खुलेआम काटी जा रही अवैध कॉलोनियों की जानकारी सभी को होने के बाद भी जिम्मेदार इन पर रोक लगाने के लिए कोई प्रयास करते नजर नहीं आ रहे हैं। यह बात अलग है कि बीते साल 300 से अधिक अवैध कॉलोनियों के निर्माण पर रोक लगाई गई थी, लेकिन इसके बाद अफसरों ने इस मामले में सक्रियता दिखाना तक मुनासिब नहीं समझा है। दरअसल इस तरह के मामलों में जिम्मेदार अफसरों पर कोई कार्रवाई नहीं होने की वजह से अफसर भी बेफिक्र बने रहकर अघोषित रुप से माफियाओं को मदद करते रहते हैं।
निकाय यामा में आते हैं इलाके
शहर से लगे रतनपुर सड़क, पिपलिया केशो, सेमरी, सोहागपुर सहित अन्य जिन क्षेत्रों में कृषि भूमि पर कॉलोनियों का अवैध रुप से निर्माण किया जा रहा है। यह सभी गांव नगर निगम की समा में आते हैं। इन जगहों पर खेती की भूमि पर सड़क बनाकर प्लाट बेचे जा रहे हैं। इसके लिए बकायदा कॉलोनाइलरों ने मुख्य सड़कों पर बड़े -बड़े बोर्ड लगाए गए हैं। इसके बाद भी जिम्मेदारों को इसका पता नहीं लगता है। इसमें भी खास बात यह है कि इसमें से किसी ने भी न तो टीएमसीपी से और न ही नगर निगम से किसी प्रकार की अनुमति ली हुई है। इन माफियाओं की खास बात यह है कि वे लोगों को लुभाने के लिए विकसित कॉलोनियों की तर्ज पर कवर्ड कैम्पस दिखाने के लिए जमीन के चारों तरफ बाउंड्री बनाते हैं। इसके बाद रोड, बिजली के पोल और सीवेज लाइन बिछाने का काम करते हैं, जिससे जब कोई व्यक्ति प्लाट लेने आता है तो वो यह देख कर आकर्षित हो जाता है। ऐसी एक-दो नहीं , बल्कि दर्जनों अवैध कॉलोनियों बनाई जा रही हैं। हालांकि एक बार कॉलोनी में प्लाट बिके तो फिर यह माफिया उस तरफ पलट कर भी नहीं देखते हैं।
अब कोलार पर है निशाना
बीते साल तक सर्वाधिक अवैध कॉलोनियों का निर्माण हुजूर तहसील के तहत आने वाले इलाकों में किया गया था। जिसकी वजह से ही इस तहसील के तहत आने वाले इलाकों में पांस सैकड़ा के करीब अवैध कॉलोनियां बन चुकी हैं। बीते साल हुजूर एसडीएम द्वारा इनमें से करीब आधी से अधिक कॉलोनियों पर कार्रवाई की गई थी। इसके बाद तथाकथित कॉलोनाइजरों की नजर कोलार तहसील पर लग गई। अब इसी इलाके में सर्वाधिक अवैध कॉलोनियों का निर्माण किया जा रहा है। खास बात तो यह है कि इस तरह की कई कॉलोनियां तो तहसील से चंद कदम की दूरी पर ही बनाई जा रही हैं। इसके बाद भी जिम्मेदारों की नजर उन पर नहीं पड़ रही हैं।