
– 61 की जगह मात्र 14 अधिकारी-कर्मचारी संभाल रहे विभाग
-एक साल पहले आयोग द्वारा भेजी गई सिफारिशों पर विभागों ने गंभीरता नहीं दिखाई
भोपाल/रवि खरे/बिच्छू डॉट कॉम। प्रदेश में इनदिनों राज्य खाद्य आयोग का सिस्टम इस कदर गड़बड़ाया हुआ है कि इसका खामियाजा लोगों को उठाना पड़ रहा है। आयोग की एक रिपोर्ट से खुलासा हुआ है कि प्रदेश में राशन के लिए बीपीएल के कई परिवार पात्र होते हुए भी लाभ से वंचित हैं और कई संपन्न परिवार सूची में शामिल हैं। इसलिए एक विशेष मुहिम चलाकर सर्वेक्षण का कार्य दो माह में पूरा होना चाहिए। यह सिफारिश पिछले एक साल से पेंडिंग है। दरअसल, राज्य खाद्य आयोग में अध्यक्ष का पद खाली होने के बाद से कामकाज पर विपरीत असर पड़ा है। यहां 61 कर्मचारी और अधिकारियों के पद स्वीकृत हैं लेकिन 14 पद ही भरे हैं। पिछले दिनों पांच में दो सदस्यों का कार्यकाल भी समाप्त हो गया। ऐसे में आयोग का सिस्टम गड़बड़ा गया है। आयोग में निज सहायक, स्टोनोग्राफर, स्टेनोटाइपिस्ट, रीडर, असिस्टेंट, रिकार्ड कीपर, वाहन चालक और भृत्य नहीं हैं। जो पद भरे हैं उनमें पांच में तीन सदस्य, 6 में 1 निज सचिव, 10 में 3 सहायक ग्रेड और 15 पदों में 3 भृत्य हैं। यहां सदस्य सचिव और प्रशासनिक अधिकारी को छोड़कर बाकी सभी कर्मचारी आउट सोर्स से रखे गए हैं। इसलिए कई अन्य खर्चे बच रहे हैं।
आयोग की सिफारिशें भी अनसुनी
वहीं एक साल पहले आयोग द्वारा शासन को सौंपी गई सिफारिशों पर संबंधित विभागों की गंभीरता नजर नहीं आ रही है। राज्य खाद्य आयोग ने वर्ष 2019-20 में खाद्य विभाग, सहकारिता, महिला एवं बाल विकास और पंचायत एवं ग्रामीण विकास विभाग से संबंधित खामियां और सुधार किए जाने संबंधी रिपोर्ट सौंपी थी। इस ग्राउंड रिपोर्ट पर कई विभाग सकारात्मक कदम नहीं उठा पाए हैं। आयोग ने खाद्य एवं नागरिक उपभोक्ता को सिफारिश की थी कि हितग्राही, निगरानी समिति के सदस्य, स्थानीय निकाय के प्रतिनिधि और विभागीय अधिकारियों को प्रावधानों के बारे में ट्रेनिंग दी जाए। महिला एवं बाल विकास को सिफारिश की है कि नमकीन, मीठी थूली की जगह रुचिकर पौष्टिक नाश्ता जैसे मूंगफली, चने की चिक्की, फोर्टिफाइड मुरमुरा, राजगिरा के लड्डू दिए जाएं। सहकारिता विभाग को सिफारिश की है कि एक विशेष मुहिम चलाकर सर्वेक्षण का कार्य दो माह में पूरा किया जाए, जिससे पात्र परिवारों को अलग कर छूटे हुए पात्र परिवारों को लाभ मिल सके। वहीं मध्याह्न भोजन कार्यक्रम के संबंध में सिफारिश की है कि पारिश्रमिक 4 हजार रुपए प्रतिमाह हो। रियायती दरों पर गैस सिलेंडर मिले। लेकिन विभागों ने इन सिफारिशों पर ध्यान नहीं दिया।