पौने छह साल बाद भी पदोन्नति का इंतजार खत्म नहीं

 पदोन्नति

-चार लाख कर्मचारियों को नहीं मिल पाई राहत
-पदोन्नति के लिए दो समिति बनीं, पर चार लाख कर्मचारियों को नहीं मिल पाई राहत
भोपाल/विनोद उपाध्याय/बिच्छू डॉट कॉम। प्रदेश में कर्मचारियों की पदोन्नति ऐसी समस्या बन गई है, जिसका कोई समाधान नहीं निकल रहा है। इस कारण चार लाख कर्मचारियों का पौने छह साल बाद भी पदोन्नति नहीं मिल पा रही है। उल्लेखनीय है कि पदोन्नति में आरक्षण का मामला सुप्रीम कोर्ट में लंबित है। इसलिए अप्रैल 2016 से पदोन्नति पर रोक लगी है। इस बीच 60 हजार से अधिक कर्मचारी सेवानिवृत हो चुके हैं। मध्य प्रदेश हाई कोर्ट ने 30 अप्रैल 2016 को मध्य प्रदेश लोक सेवा (पदोन्नति) नियम 2002 खारिज किया था।
गौरतलब है कि कर्मचारियों की को लेकर सरकार गंभीर है और एक साल में दो समितियां भी बना चुकी है, पर समितियों की अनुशंसा का लाभ सिर्फ पुलिस और जेल विभाग के कर्मचारियों को ही मिला है। अन्य विभागों के कर्मचारी अब भी पदोन्नति की इस वैकल्पिक व्यवस्था के लाभ से वंचित हैं और लगातार सरकार से पदोन्नति शुरू करने का आग्रह कर रहे हैं। अपर मुख्य सचिव सामान्य प्रशासन विभाग विनोद कुमार का कहना है कि कोरोना के कारण कुछ विलंब हुआ है। इस विषय जल्द कोई फैसला किया जाएगा। मंत्रिमंडल उपसमिति की कुछ और सिफारिश आना बाकी है, उनके आते ही सरकार कार्यवाहक पदोन्नति का रास्ता निकालेगी। वहीं मप्र तृतीय वर्ग शासकीय कर्मचारी संघ के सचिव उमाशंकर तिवारी का कहना है कि मामले में दो समितियां बनीं, उनकी अनुशंसा भी आ गई, दो विभागों में वरिष्ठ पद का प्रभार भी दे दिया। अब सरकार को अन्य विभागों के कर्मचारियों के बारे में भी सोचना चाहिए। पुलिस और जेल विभाग के अधिकारियों और कर्मचारियों को पात्रता के अनुसार वरिष्ठ  पद का प्रभार मिलने के बाद दूसरे विभागों में भी यह व्यवस्था लागू की जानी थी, पर अब तक ऐसा नहीं हुआ। जिससे कर्मचारी परेशान हैं क्योंकि, प्रदेश में हर माह औसतन डेढ़ हजार कर्मचारी सेवानिवृत हो रहे हैं। इनमें से ज्यादातर कर्मचारी पदोन्नति की पात्रता रखते हैं। हालांकि पदोन्नति का विकल्प तलाशने के लिए राज्य सरकार ने नौ दिसंबर 2020 को प्रशासन अकादमी के महानिदेशक की अध्यक्षता में समिति गठित की थी। समिति से 15 जनवरी 2021 तक अनुशंसा मांगी थी। तय समय से कुछ दिन बाद समिति ने अपनी अनुशंसा दे दी। इसके बाद सरकार ने 13 सितंबर 2021 को गृह मंत्री डॉ. नरोत्तम मिश्रा की अध्यक्षता में मंत्रिमंडल उपसमिति गठित की। समिति ने अपनी अनुशंसा मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान को दी। सामान्य प्रशासन विभाग ने तीन महीने पहले सभी विभागों ने खाली पदों की जानकारी मांगी थी। तब कहा गया था कि जानकारी आने के बाद खाली वरिष्ठ पदों का कनिष्ठ अधिकारी या कर्मचारी को पात्रता के अनुसार प्रभार दिया जाएगा, लेकिन फिर सरकार ने चुप्पी साध ली।
सेवानिवृत्ति के बाद भी नुकसान
पदोन्नति के बगैर सेवानिवृत होने का नुकसान कर्मचारियों को जीवनभर उठाना पड़ेगा। दरअसल, वरिष्ठ पद मिलने पर पेंशन और भत्तों की राशि में बढ़ोत्तरी होती है। हालांकि ऐसे मामले कम हैं। ज्यादातर मामलों में संबंधित कर्मचारी को वरिष्ठ वेतनमान दिया जा चुका है। बस वरिष्ठ पद से सेवानिवृत होने का तमगा जरूर नहीं मिल पाएगा। दोनों पक्ष कर चुके निवेदन आरक्षण के मुद्दे को लेकर पदोन्नति अटकी है, पर काफी समय बीत जाने के बाद आरक्षित और अनारक्षित वर्ग के कर्मचारी सरकार ने पदोन्नति शुरू करने का आग्रह कर चुके हैं। क्योंकि इससे दोनों ही वर्ग का नुकसान हो रहा है। हाल ही में प्रदेश के सबसे बड़े कर्मचारी संघ तृतीय वर्ग शासकीय कर्मचारी संघ ने मुख्यमंत्री और मुख्य सचिव को ज्ञापन सौंपा है।

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