वित्त मंत्री का विवादित ओएसडी फिर आया विवादों में

वित्त मंत्री

भोपाल/प्रणव बजाज/बिच्छू डॉट कॉम। आबकारी विभाग के अपर आयुक्त राजेश हेनरी की कार्यशैली पहले भी विवादों में रह चुकी है। इसके बाद भी सरकार व शासन की मेहरबानी उन पर बनी हुई है। यही वजह है कि वे अब तो अवैध कब्जा करने तक पर उतर आए हैं। इसकी वजह से सरकार की भी जमकर बदनामी हो रही है। दरअसल इस बार वे एक आलीशान और बेहद मंहगे फ्लेट पर कब्जा करने की वजह से विवादों में बने हुए हैं। इस बीच उनके इस फ्लैट में बिजली महकमे ने चोरी से बिजली का मामला भी पकड़ा है।
वे वित्त मंत्री जगदीश देवड़ा के बेहद करीबी अधिकारी है। यही वजह है कि उन्हें देवड़ा द्वारा अपना ओएसडी बना रखा है। इसके पहले वे शराब फैक्ट्री के मालिक विनय केडिया के साथ दिखने की वजह से भी विवादों में रह चुके हैं। यह मामला तबका है जब लॉकडाउन के समय अवैध रुप से बेचने के लिए शराब बनाने के आरोप केडिया पर लगे थे।
खास बात यह रही की उस दौरान भी केडिया और हेनरी के करीबी संबंध होने के बाद भी हेनरी को ही इस मामले की जांच दी गई थी। इस जांच में क्या निकला कोई नहीं जानता है। इस बार हेनरी ने किराए पर लिए तुलसी टावर में एक फ्लैट पर अवैध रूप से कब्जा कर रखा है। यह वहीं फ्लैट है जिसमें बुधवार को बिजली विभाग ने छापा मारकर बिजली चोरी पकड़ी है। दरअसल, इस फ्लैट को हेनरी ने किराए पर लिया था। इसके अनुबंध की 11 महीने की अवधि खत्म होने के बाद भी हेनरी के द्वारा यह फ्लैट खाली नहीं किया जा रहा है। फ्लैट मालिक लगातार इसे खाली कराने के प्रयास कर रहा है, लेकिन हेनरी ने मंत्री के नाम का इस्तेमाल करके फ्लैट पर कब्जा जमा रखा है। खास बात यह है कि फ्लैट मालिक द्वारा इसकी शिकायत उनके विभाग से भी कई बार की जा चुकी है, लेकिन इसके बाद भी कोई कार्रवाई नहीं की जा रही है। यह फ्लैट सिद्धार्थ अग्रवाल का है। लगातार प्रयासों के बाद भी फ्लैट खाली नहीं करने की वजह से परेशान होकर ही अग्रवाल ने बिजली का कनेक्शन कटवा दिया था, जिसके बाद हेनरी ने सीधे तार डालकर बिजली चोरी करना शुरू कर दिया था।
बिजली अफसर भी आए दबाव में
खास  बात यह है कि बिजली विभाग की विजलेंस टीम द्वारा छापा में बिजली चोरी पकड़ी जाने के बाद मामला हेनरी के खिलाफ दर्ज किया जाना था, लेकिन उनके रसूख के चलते बिजली अफसरों ने यह मामला उनके केयरटेकर के नाम पर बना कर इति श्री कर ली।
यह है पुराना मामला
धार जिले में एसडीएम महू के द्वारा की गई जांच में 18 करोड़ की शराब का अंतर सामने आया था। यह शराब लॉकडाउन के दौरान इंदौर और धार जिले में बिकने के लिए बनाई गई थी, शराब लॉकडाउन के समय इसलिए बनाई गई जिससे सरकार की राजस्व की चोरी की जा सके, बिना धार जिले के आबकारी अधिकारियों तथा संभागीय अधिकारियों की मिलीभगत के यह संभव नहीं था। इस मामले की शिकायत उस समय लिखित रूप से प्रमुख सचिव मुख्य सचिव एवं मुख्यमंत्री से हुई थी, जिसके बाद जिला प्रशासन द्वारा यह कार्रवाई की गई थी। इसके बाद हेनरी को केडिया के मालिक के साथ न केवल देखा गया, बल्कि उनके साथ उन्हें मंत्री के बंगले पर भी देखा गया। इस मामले में बाद में विभाग का जिम्मा किसी आईएएस अफसर को देने की जगह हेनरी को ही दे दिया गया था।  इसमें भी बेहद चौंकाने वाला तथ्य यह भी हेनरी इसके पहले उसी डिस्टलरी में बतौर प्रभारी अधिकारी के रूप में तीन सालों तक पदस्थ भी रह चुके हैं। इसके बाद भी उन्हें जांच सौंपी गई थी।

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