
भोपाल/विनोद उपाध्याय /बिच्छू डॉट कॉम। मप्र ऐसा राज्य बन चुका है, जहां पर रिक्त पद होने के बाद भी युवा बेरोजगारों को नौकरी भले ही नहीं दी जा रही है, लेकिन पूर्व नौकरशाहों को जरूर उपकृत करने में कोई कोताही नहीं बरती जा रही है। यही वजह है कि युवा बेराजगारों को सरकारी नौकरी मिले या नहीं, लेकिन पूर्व अफसरों का पुर्नवास जरुर सरकारी खर्च पर करने का काम जारी है। जब रोजगार की मांग को लेकर आंदोलन होते हैं या फिर सरकार पर दबाव बनता है सरकार उन्हें जल्द नियुक्ति का लॉलीपॉप पकड़ाकर फिर पूर्व नौकरशाहों को उपकृत करने में लग जाती है। खास बात यह है कि इन पूर्व नौकरशाहों के लिए तलाश-तलाश कर पदों पर नियुक्तियां की जा रही हैं। एक तरफ सरकार आर्थिक तंगी का बहाना बनाती है तो दूसरी ओर पूर्व नौकरशाहों के पुनर्वास पर हर माह मोटी राशि खर्च करने में भी पीछे नहीं रहती है, जबकि एक पूर्व नौकरशाह पर खर्च की जाने वाली राशि में ही कई युवा बेरोजगारों को हर माह वेतन दी जा सकती है। हालात यह हैं कि सरकार द्वारा पूर्व नौकरशाहों के पुनर्वास के लिए कहीं सलाहकार तो कहीं शोध अधिकारी और अन्य पदों की तलाश कर उन पर नियुक्ति देने की प्रक्रिया शुरू कर दी गई है। अगर प्रदेश के सरकारी विभागों की बात की जाए तो स्वास्थ्य, शिक्षा महिला बाल विकास, नगरीय प्रशासन आदि विभागों में फिलहाल दस हजार से अधिक पद लंबे समय से रिक्त चल रहे हैं। इन पदों में सरकारी कर्मचरियों की लगातार सेवानिवृत्ती होने की वजह से बढ़ोत्तरी भी होती जा रही है, जिसकी वजह से कामकाज तक प्रभावित हो रहा है, लेकिन यह पद भरने में सरकार द्वारा कोई रुचि नहीं ली जा रही है। इस समय सबसे अधिक पद स्वास्थ्य ़विभाग में रिक्त पड़े हुए हैं, जबकि कोरोना महामारी की वजह से यह विभाग लोगों की जिंदगी के लिए बेहद अहम है। इस विभाग को इस संकट की घड़ी में भी कर्मचारियों की बेहद कमी से जूझना पड़ रहा है। सरकारी महकमों में तय समय पर कर्मचारी तो लगातार रिटायर्ड हो रहे हैं लेकिन ,उनमें भर्ती न होने की वजह से पद लगातार रिक्त होते जा रहे हैं। इसकी वजह से मौजूदा कर्मचारियों पर न केवल काम का बोझ बढ़ता जा रहा है, बल्कि सरकारी काम काज की गति भी प्रभावित हो रही है। हालत यह हो चुकी है कि अब अधिकांश विभागों में सालों से भर्ती न होने की वजह से उनके काम काज का जिम्मा उम्रदराज हो चुके हाथों पर आ पड़ा है। खास बात यह है कि इस दौरान अफसरों ने सरकार से मिल कर एक नायाब तरीका आउटसोर्स पर लोगों को रखने का खोज निकाला है, जिसकी वजह से कंपनियां बेहद मुनाफे में रहती हैं, जबकि उनके कर्मचारी शोषण का शिकार होते रहते हैं।
यह है बेरोजगारी की हालत
अगर सरकारी आंकड़े को ही मान लिया जाए तो वर्तमान में प्रदेश में करीब 31 लाख से अधिक बेरोजगार सरकार के पास पंजीकृत हैं। इनमें भी 90 फीसदी से अधिक मप्र के मूल निवासी है। इन बेरोजगारों को सरकारी की जगह निजी संस्थानों में काम करने का मौका सरकार द्वारा दिया जा रहा है, लेकिन उसकी लगातार मॉनीटरिंग न होने की वजह से उन्हें कुछ माह के बाद निकाल दिया जाता है, जिसकी वजह से वे एक बार फिर बेरोजगार हो जाते हैं।
किस विभाग में कितने पद रिक्त
अगर विभागों में खाली पदों की बात की जाए तो सर्वाधिक पद स्वास्थ्य विभाग में रिक्त हैं। यह विभाग मानव जीवन के लिए बेहद अहम होता है। इस विभाग में 35 हजार से अधिक पद सालों से रिक्त पड़े हुए हैं। इसी तरह से सहकारिता में 13256, नगरीय प्रशासन में 13226, महिला एंव बाल विकास विभाग में 13000, पंचायत, ग्रामीण विकास विभाग में 12000 पद रिक्त हैं। इसी तरह से स्कूल शिक्षा, पीएचई, जल संसाधन और लोक निर्माण विभागों में भी 10-10 हजार से अधिक पद रिक्त चल रहे हैं। जबकि कई विभागों में पांच हजार सा फिर उससे अधिक पद रिक्त पड़े हुए हैं।