एक साल में नरवाई जलाने 12 हजार घटनाएं हुई कम

नरवाई जलाने
  • सरकार की सख्ती-जागरूकता अभियान का असर….

    भोपाल/अपूर्व चौहान/बिच्छू डॉट कॉम। नरवाई जलाने की घटनाओं से बढ़ते प्रदूषण और आगजनी के मामले सामने आने के बाद मप्र सरकार ने प्रदेशभर में जागरूकता अभियान चला रखा है और सख्ती भी बरत रही है। इसका असर यह हुआ है कि मप्र में एक साल में नरवाई जलाने की 12 हजार घटनाएं कम दर्ज की गई हैं। इससे प्रदेश के पर्यावरण में भी सुधार हुआ है। भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद् के अनुसार फसल अवशेषों को खेतों में जलाने की बढ़ती घटनाओं के चलते देश में पंजाब के बाद दूसरे नंबर पर मप्र जा पहुंचा है। भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद् ने सैटेलाइट मॉनीटरिंग से 2020 में राज्य में 49442 घटनाएं दर्ज की थीं। रिपोर्ट मप्र सरकार को भी भेजी गई। ऐसे में किसान कल्याण तथा कृषि विकास विभाग ने अपने सिस्टम को ठीक किया। भोपाल से लेकर जिलों तक जिम्मेदारों को सक्रिय किया गया। अब नतीजे देखने को मिल रहे हैं। 27 दिसंबर 2021 तक दर्ज आंकड़ों के हिसाब से नरवाई जलाने की 37451 घटनाएं हुई हैं। प्रतिशत की बात करें तो 2020 की तुलना में 2021 में घटनाओं में 24.25 प्रतिशत कमी आई है।
    प्रदेश में सबसे अधिक घटनाएं जबलपुर में
    15 सितंबर से 30 नवंबर 2021 के बीच के आंकड़ों के अनुसार प्रदेश में नरवाई जलाने की सबसे अधिक घटनाएं जबलपुर संभाग में हुई हैं। जबलपुर संभाग में 2798, ग्वालियर संभाग में 1560, चंबल संभाग में 1209, नर्मदापुरम संभाग में 1104, भोपाल संभाग में 680, रीवा संभाग में 659, सागर संभाग में 107, इंदौर संभाग में 22, शहडोल संभाग में 14 और उज्जैन संभाग में 7 घटनाएं हुई हैं। धान की नरवाई जलाने की घटनाएं सितंबर से दिसंबर के बीच ज्यादा होती हैं। 2020 में 12541 घटनाएं दर्ज हुईं। 2021 में 27 दिसंबर तक 8569 घटनाएं दर्ज की गईं। यानी 31.67 फीसदी की कमी दर्ज की गई है। कृषि अभियांत्रिकी विभाग के संचालक राजीव चौधरी का कहना है कि किसान कल्याण तथा कृषि विकास किसानों को फसल अवशेषों से बंडल, भूसा आदि बनाने के लिए मशीनों के उपयोग के लिए प्रेरित कर रहे हैं। अनुदान और सब्सिडी उपलब्ध करवा रहे हैं।
    घटनाओं को रोकने अर्थदंड का प्रावधान
    गौरतलब है कि पर्यावरण विभाग की ओर से नरवाई जलाने की घटनाओं को रोकने अर्थदंड का प्रावधान है। 2 एकड़ भूमि वाले किसानों को प्रत्येक घटना पर ढाई हजार रुपए, 2 एकड़ से ज्यादा, 5 एकड़ से कम वालों को पांच हजार, पांच एकड़ से ज्यादा भूमि वालों को 15 हजार रुपए प्रत्येक घटना पर देना होगा। कृषि मंत्री कमल पटेल का कहना है कि घटनाओं को रोकने किसानों में जागरुकता लाने का प्रयास किया जा रहा है। जनप्रतिनिधियों का सहयोग भी लिया जा रहा है। इसके परिणाम मिलने लगे हैं। वहीं अपर मुख्य सचिव कृषि अजीत केसरी का कहना है कि नरवाई जलाने से रोकने के लिए प्रयास जारी हैं। कलेक्टरों को ग्रामवार स्थिति भेजी गई है। निर्देशित किया है कि मौके पर सक्षम अधिकारियों को भेजकर घटनाओं पर प्रभावी नियंत्रण करें।

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