
- प्रणव बजाज/बिच्छू डॉट कॉम।
बोले मिश्रा: चुनाव आते ही कांग्रेस करने लगती है पलायन
प्रदेश कांग्रेस के दिग्गज नेताओं द्वारा पंचायत चुनाव और श्रीमंत को लेकर किए जा रहे हमलों पर गृह मंत्री नरोत्तम मिश्रा ने पलटवार किया है। उनका कहना है कि कोई भी चुनाव कराएं, कांग्रेस हमेशा पहले पलायन की कोशिश में लग जाती है। उनका कहना है की पंचायत चुनाव घोषित होते ही कांग्रेस के बीच बड़ी ही कंफ्यूजन की स्थिति बन गई है , कोई नेता कह रहा है कि कोर्ट जाएंगे तो कोई कोर्ट न जाने की बात कह रहा है। कांग्रेस चुनाव लड़े इससे भाग क्यों रही है। लोकतंत्र में चुनाव एक कसौटी होती है, कांग्रेस जनता के बीच जाकर अपनी विश्वसनीयता बताए। इसी तरह से उनके द्वारा दिग्विजय सिंह द्वारा श्रीमंत को गद्दार बताए जाने पर कहा कि जो देश के गद्दार हैं, उन्हें किसी को गद्दार कहने का हक नहीं, यह सब जयचंद की जमात है, जो यह सब कर रही है। उनका कहना है कि देश-प्रदेश की जनता दिग्विजय को अच्छे से जानती है। यह वही हैं जो बाटला हाउस में आंसू बहाने पहुंच गए थे।
हांसिए पर चल रहीं उमा को याद आयी मथुरा-काशी
बीते कई सालों से सरकार व संगठन में हांसिए पर चल रहीं पूर्व मुख्यमंत्री उमा भारती को अब अयोध्या कांड की बरसी (6 दिसंबर) पर मथुरा -काशी की याद आ गई। उनका कहना है कि अब मथुरा और काशी का निदान भी होना चाहिए। इस संबंध में उनका कहना है कि मेरी सहभागिता तो पार्टी फोरम पर तय होगी मुझे जितनी भी भागीदारी के लिए कहा जाएगा उतनी करूंगी। अपने गृह जिले टीकमगढ़ पहुंची उमाभारती ने मीडिया से बात करते हुए कहा कि मैं जीवन के अंतिम क्षणों तक राजनीति करूंगी। मैने अपनी उम्र की कोई सीमा तय नहीं की है। बस मैंने पांच साल गंगा के लिए निकाल कर अलग कर लिए हैं। काशी-मथुरा को उन्होंने आस्था की दृष्टि से बेहद महत्वपूर्ण बताते हुए कहा कि अब इसका निदान जरुरी है। इस दौरान उन्होंने दावा किया गया कि मप्र में अब तो सिक्किम जैसे हालात होने वाले हैं जहां पवन कुमार चामलिंग की पार्टी के सभी लोग चुनाव जीते थे, विरोधी दल का कोई व्यक्ति चुनाव नहीं जीता, राज्य में निर्विरोध जैसे चुनाव हो गये थे।
पूर्व विधायक डागा की रूसिया मामले में बढ़ी मुश्किलें
12 साल पहले भोपाल विकास प्राधिकरण (बीडीए) के मुख्य कार्यपालन अधिकारी रहे मदन गोपाल रूसिया की ट्रेन से गिरकर हुई मौत के मामले में अब तत्कालीन भाजपा विधायक और अब कांग्रेसी नेता जितेन्द्र डागा की मुश्किलें एक बार फिर बढ़ गई हैं। रुसिया की मौत को अदालत ने हत्या का प्रकरण मानते हुए गाजियाबाद सीबीआई की विशेष कोर्ट ने कार्रवाई शुरू कर दी है। कोर्ट ने इस मामले में अब पूर्व विधायक डागा पर हत्या का मामला चलाने का आदेश दिया है। सुनवाई के समय रूसिया के परिजनों के अलावा डागा भी कोर्ट में मौजूद रहेंगे। इस मामले में दिवंगत एमजी रूसिया के भाई ओमप्रकाश रूसिया और बच्चों ने हार न मानते हुए कोर्ट में लगातार कानूनी लड़ाई जारी रखी है। दरअसल रूसिया की 12 साल पहले सितंबर 2009 में दिल्ली से भोपाल लौटते समय चलती ट्रेन से गिरकर मौत हो गई थी। वे उस समय ट्रेन से बीडीए के किसी प्रोजेक्ट के संदर्भ में तत्कालीन विधायक डागा के साथ दिल्ली से लौट रहे थे तभी यह हादसा हो गया था। उनका शव आगरा के पास रेलवे ट्रैक के किनारे मिला था।
जनभावनाओं की अनदेखी
कहते हैं लोकतंत्र में जनता ही सर्वोपरि होती है, लेकिन यह सुनने और कहने में ही अच्छा लगता है। इसकी वजह है मैदानी पदस्थापनाओंं में सरकारी गाज उन अफसरों पर गिरती है जो जनभावनाओं पर खरे उतरकर उनके दिलों पर राज करने लगते हैं। दरअसल इन अफसरों की कार्यशैली ऐसी होती है जो आमजन को तो पसंद आती है , लेकिन सरकार को नापसंद। इसकी वजह से उन्हें सबसे पहले हटाया जाता है। इसका अब ताजा उदाहरण हैं भापुसे के वर्ष 2009 बैच के प्रमोटी अधिकारी मनोज कुमार सिंह। उनको हाल ही में सरकार ने भिंड जिला पुलिस अधीक्षक पद से हटा दिया। इसकी वजह बनी है खाद लूट के मामले में एक कद्दावर नेता के समर्थकों पर की गई कार्यवाही। वे ऐसे अफसर है जिनके द्वारा अमेजन द्वारा किए जाने वाली गांजे की तस्करी पर भी नकेल कसी जा रही थी। बहरहाल, मनोज कुमार की जिले से विदाई पर वहां के पुलिस अधिकारी, कर्मचारियों ने जिस तरह डोली में बैठाकर भावुक अंदाज में उन्हें विदाई दी, उसने सरकार के फैसले पर सवाल खड़े कर दिए हैं। यह ऐसे अफसर हैं जिन्हें इसी साल केंद्र सरकार ने विशिष्ट पुलिस सेवा अवार्ड से नवाजा तो उसके पहले उन्हें वर्ष 2003 में उन्हें उत्कृष्ट सेवाओं के लिए गैलेंट्री अवार्ड भी मिल चुका है।