अब आदिवासियों को मिलेगी साहूकारों से मुक्ति

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  • संशोधन विधेयक पर राष्ट्रपति की मुहर …

    भोपाल/विनोद उपाध्याय/बिच्छू डॉट कॉम। मध्य प्रदेश में अब अनाधिकृत से साहूकारी का काम कर रहे लोगों पर प्रदेश की शिव सरकार ने शिकंजा कसना शुरू कर दिया है। इसके साथ ही आदिवासी समाज को भी उनसे मुक्ति दिलाने का बड़ा कदम उठा लिया है।
    इसके तहत अगर किसी भी आदिवासी ने गैर लाइसेंसी साहूकार से अगर कोई कर्ज लिया है तो उसे उससे  मुक्ति मिल जाएगी। इसके लिए अब प्रदेश में नया साहूकारी संशोधन अधिनियम लागू करने की पूरी तैयारी कर ली गई है। माना जा रहा है कि इसकी घोषणा दो दिन बाद स्वयं प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी भोपाल की सभा में कर सकते हैं। 15 अगस्त 2020 तक जिन आदिवासियों ने गैर लाइसेंसी साहूकारों से ऋण लिया है, वह उन्हें अब नहीं चुकाना पड़ेगा। इसके लिए शिवराज सरकार मध्य प्रदेश अनुसूचित जनजाति ऋण विमुक्ति अधिनियम और मध्य प्रदेश साहूकार अधिनियम में संशोधन कर चुकी है। अब राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने भी जनजातीय कार्य विभाग के अनुसूचित जनजाति साहूकार विनियम में संशोधन पर अपनी मुहर लगा दी है। इससे अनुसूचित क्षेत्र में पंजीकृत साहूकार भी मनमर्जी से ब्याज दर की वसूली नहीं कर पाएंगे, बल्कि उन्हें वही ब्याज लेना होगा, जो दर सरकार तय करेगी, उससे अधिक दर पर ब्याज लेने पर सख्त कार्रवाई होगी। इस प्रावधान को मध्य प्रदेश के 89 आदिवासी विकासखण्डों में लागू किया जा रहा है।  प्रदेश के अनुसूचित क्षेत्रों में गैर साहूकारों द्वारा आदिवासियों से मनमर्जी से ब्याज वसूलने, चल व अचल संपत्ति गिरवी रखने और उन पर कब्जा कर लेने की शिकायतों को देखते हुए सरकार ने इस पर रोक लगाने के लिए कानूनी प्रावधान करने का निर्णय किया था। सबसे पहले अनुसूचित जनजाति ऋण विमुक्ति अधिनियम विधेयक राष्ट्रपति की अनुमति मिलने के बाद विधानसभा से पारित किया गया। इसमें 15 अगस्त 2020 तक गैर पंजीकृत साहूकारों द्वारा दिए गए ऋण को शून्य घोषित कर दिए गए।
    एसडीएम को कानूनी अधिकार
    इस संशोधन में यह प्रावधान भी किया गया कि जबरदस्ती इसकी वसूली की जाती है तो कानूनी कार्रवाई की जा सकेगी।  इसके लिए अनुविभागीय अधिकारी (राजस्व) को अधिकार दिए गए। यह व्यवस्था सिर्फ अनुसूचित क्षेत्रों के अनुसूचित जनजाति वर्ग के व्यक्तियों के लिए की गई थी। बाकी प्रदेश के लिए साहूकार अधिनियम में संशोधन किया गया और ब्याज तय करने का अधिकार सरकार ने अपने पास रखा है। साथ ही इसके उल्लंघन करने पर जुमार्ना और कारावास की सजा का प्रावधान किया है। अनुसूचित क्षेत्रों में भी इस प्रावधान को लागू करने के लिए अनुसूचित जनजाति साहूकार विनियम 1972 में संशोधन किया गया है। इसका प्रस्ताव राष्ट्रपति को भेजा गया था, जिसे अनुमति मिल गई है।

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