
- सिंचाई प्रोजेक्ट को पूरा करने संविदा पर रखे जाएंगे रिटायर इंजीनियर
भोपाल/अपूर्व चतुर्वेदी/बिच्छू डॉट कॉम। मध्य प्रदेश और गुजरात के बीच नर्मदा नदी के पानी के बंटवारे पर वर्ष 2024 में पुनर्विचार होना है और जल संसाधन विभाग के पास इतने मैदानी अधिकारी नहीं हैं कि इस मसले से जुड़ी सिंचाई परियोजनाओं को अगले ढाई साल में पानी लेने लायक स्थिति में ला सकें। ऐसा ही रहा, तो परियोजनाएं पूरी नहीं हो पाएंगी और प्रदेश अपने हिस्से का 18.25 एमएएफ (मिलियन एकड़ फीट) पानी का उपयोग नहीं कर पाएगा। ऐसे में नर्मदा के जल का उपयोग ज्यादा से ज्यादा करने नर्मदा घाटी विकास प्राधिकरण ने करीब दस सिंचाई प्रोजेक्ट मार्च 2022 तक पूरा कराने का टारगेट तय किया है। इससे करीब 2 लाख हेक्टेयर में सिंचाई सुविधा बढ़ेगी। साथ ही एनवीडीए-10 नई सिंचाई परियोजनाओं के भी टेंडर करने वाला है। जिनसे 6 लाख हेक्टेयर में सिंचाई हो सकेगी। इसके लिए करीब तीन दर्जन रिटायर इंजीनियरों को संविदा पर रखने की प्रक्रिया शुरू कर दी है। अगले माह इन्हें नियुक्ति पत्र भी दे दिए जाएंगे।
दरअसल, प्रदेश में एनवीडीए की करीब दस सिंचाई परियोजनाओं पर काम काफी धीमी गति से चल रहा है। इस मामले में पिछले दिनों की गई समीक्षा के बाद मुख्यमंत्री ने अधिकारियों को फटकार लगाते हुए इन परियोजनाओं को पूरा कराने मार्च 2022 तक का टारगेट तय करने के निर्देश दिए थे, जिसके बाद अधिकारी हरकत में आए। कुछ परियोजनाओं को तीन साल में पूर्ण कराया जाना था। यानी मई और जून 2021 तक पूरी होना था, लेकिन ठेकेदारों की लापरवाही के चलते इनका कार्य पूर्ण नहीं कराया जा सका। इन परियोजनाओं को करीब 5 हजार करोड़ की लागत से पूरा कराना है और इनसे करीब 2 लाख हेक्टेयर में सिंचाई होगी।
दूसरे विभागों में पदस्थ अपने 275 इंजीनियरों को वापस बुलाया
राज्य सरकार ने अपने हिस्से के पूरे पानी का उपयोग करने के लिए पिछले साल 10 सिंचाई परियोजनाओं को मंजूरी दी है। इन परियोजनाओं पर इस साल काम शुरू हो जाना था, क्योंकि इन्हें वर्ष 2024 के शुरूआती महीनों में नर्मदा से पानी लेने की स्थिति में लाना है, तभी नर्मदा वॉटर डिस्प्यूट ट्रिब्यूनल मध्य प्रदेश की बात सुनेगा। वरना, गुजरात की दावेदारी भारी पड़ जाएगी। इसका असर यह होगा कि प्रदेश के हिस्से से 3.7 एमएएफ पानी छिनकर गुजरात के खाते में चला जाएगा। इस स्थिति को देखते हुए विभाग ने अपने अधिकारियों के दूसरे विभागों में प्रतिनियुक्ति पर जाने पर रोक लगा दी है, तो पहले से दूसरे विभागों में पदस्थ अपने 275 इंजीनियरों (सहायक यंत्री, उपयंत्री और कार्यपालन यंत्रियों) को वापस बुला लिया है।
उपयंत्री के 800 पद खाली
जल संसाधन विभाग में वर्तमान में उपयंत्री के तीन हजार में से 800, सहायक यंत्री के 1200 में से 410, मुख्य अभियंता (सिविल) 15 में से नौ, मुख्य अभियंता (विद्युत यांत्रिकी) के दो में से एक, अधीक्षण यंत्री (सिविल) के 77 में से 47 और अधीक्षण यंत्री (विद्युत यांत्रिकी) के पांच में से तीन पद खाली हैं। जल संसाधन विभाग के मैदानी अधिकारी वर्तमान में नर्मदा घाटी विकास प्राधिकरण के अलावा पंचायत एवं ग्रामीण विकास विभाग (मनरेगा, सड़क विकास प्राधिकरण, ग्रामीण यांत्रिकी सेवा, मुख्य तकनीकी परीक्षक), राजस्थान, उत्तर प्रदेश और महाराष्ट्र में स्थित बोर्ड और नेशनल हाइवे अथॉरिटी आॅफ इंडिया में प्रतिनियुक्ति पर पदस्थ हैं। इनमें से नर्मदा घाटी विकास प्राधिकरण को छोड़कर अन्य जगह से अधिकारियों को वापस बुलाया है।
ये है सिंचाई परियोजनाएं
प्रोजेक्ट लागत सिंचाई काम हुआ
छैगांवमाखन 784.10 35,000 95
अलीराजपुर 789.39 35,000 99
बिस्टान माइक्रो 515.10 22,000 93
छीपानेर माइक्रो 516.11 35,000 77
गुप माइक्रो-4 प्रोजे.. 389.47 26,915 67
ढीमरखेडा माइक्रो 216.16 15,000 78
स्रोत- एनवीडीए, राशि करोड़ में, काम प्रतिशत में नागलवाड़ी उद्वाहन सिंचाई परियोजना भी शामिल हैं।