किसानों व सरकार को भारी पड़ रहा अफसरों का कुप्रबंधन

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भोपाल/गौरव चौहान/बिच्छू डॉट कॉम। सूबे की सरकार जब पूरी तरह से उपचुनाव के प्रचार में व्सयस्त थी , जब मदमस्त अफसरशाही ने खाद को लेकर ऐसी लापरवाही दिखाई की बीते कई दिनों से प्रदेश में किसानों के बीच इसके लिए हाहाकार मचा हुआ है। सरकार चुनावी प्रचार से फ्री हुई तो अफसरों को खाद संकट की याद आयी और आनन- फानन में खाद वितरण की समीक्षा कर ली गई। इधर प्रदेश में जब खाद का बड़ा सकंट बना हुआ है और किसान जगह – जगह आंदोलनरत है ऐसे में कृषि मंत्री को भी किसानों की याद नही आयी है। अब प्रदेश में हालात इतने खराब हो गए हैें कि किसान जगह-जगह सड़कों पर उतर रहे हैं इसके बाद भी उन्हें खाद नहीं मिल पा रहा है। इस बीच प्रशासन यह दावा जरुर करता रहा है कि प्रदेश में खाद का र्प्याप्त भंडारण है। सरकारी दावे के बाद किसानों को एक -एक बोरी खाद के लिए कई दिनों तक भटकने के बाद भी निराशा ही हाथ लग रही है। खास बात यह है कि सरकारी गोदामों से किसानों को खाद नहीं मिल पा रहा है जबकि खुले बाजार में वहीं खाद महंगे दामों पर आसानी से उपलब्ध है। सरकारी दावों के उलट वास्तविकता यह है कि सरकारी गोदामों में या तो खाद है नहीं और जिन गोदामों खाद है भी तो वहां बांटने की जगह उसे रात के अंधेरे में ब्लैक में बेंचा जा रहा है। यही वजह है कि अब तो हर दिन प्रदेश के कई -कई जिलों में किसान सड़कों पर उतरकर आंदोलन करने को मजबूर बने हुए हैं। इस बीच कोरे आश्वासन देकर अफसर किसानों की आक्रोशित करने का काम कर रहे हैं। इस खाद संकट के लिए अफसरों का कुप्रबंधन अधिक सामने आ रहा है। उधर, उपचुनाव से फ्री हुए मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान भी आज खाद को लेकर समीक्षा करने जा रहे हैं।  प्रदेश भर से मिल रही खबरों के मुताबिक अशोकनगर, सागर, दमोह, सिवनी रीवा और नरसिंहपुर समेत कई जिलों में पिछले दस दिन से खाद के लिए मारामारी मची है और अधिकारी भंडारण होने के बाद भी इन जिलों में खाद नहीं पहुंचा पा रहे हैं। अशोकनगर से खाद की मांग शासन को भेजी गई थी, बावजूद अब तक डीएपी की रैक जिले में नहीं पहुंची। हालात यह है कि किसान वितरण केंद्रों पर सुबह से शाम तक कतार में खड़ा होकर मायूस लौट रहा है। इसी तरह सागर जिले में खाद संकट बरकरार है।  अशोकनगर जिले में किसानों को खाद के लिए घंटों मशक्कत करनी पड़ रही है। बीते रोज हालात बिगड़ते देख शहर में सिर्फ दो दुकानों से ही पुलिस की मौजूदगी में खाद का वितरण किया गया। इस दौरान किसानों की लाइन इतनी लंबी हो गई थी कि बायपास पूरी तरह से जाम हो गया। यहां किसानों ने हंगामा करते हुए कुछ समय के लिए चक्काजाम भी कर दिया। उधर सागर जिले के बीना में किसानों द्वारा रेल पटरी पर धरने के साथ ही कंजिया क्षेत्र के किसानों ने मुंगावली रोड पर चक्का जाम कर दिया। इसके बाद मौके पर एसडीएम को आना पड़ा। उनकी समझाइश के बाद किसान जाम हटाने पर राजी हुए। इसके बाद खाद का वितरण शुरू कराया गया। इसके बाद डबल लॉक पर खाद का वितरण पुलिस व राजस्व अधिकारियों की देखरेख में करवाया गया है। उधर ब्लाक में आए खाद को सहकारी समितियों तक भेजने के बाद भी नेटवर्क नहीं मिलने और कर्मचारियों की कमी के चलते समय पर खाद किसानों को नहीं मिल पा रहा है।
उपचुनावी जिलों में खाद भेजने का आरोप
किसानों का आरोप है कि उनके इलाके के खाद को प्रशासन व सरकार द्वारा चुनाव वाले जिले में भेज दिया गया है। इसकी वजह से उनके इलाके में खाद का संकट बन गया है। उनका कहना है कि खाद नहीं मिलने के कारण किसानों की खरीफ की बोवनी पिछड़ रही है।
किसानों की नहीं हो रही सुनवाई : कमल नाथ
कांग्रेस प्रदेशाध्यक्ष कमलनाथ का कहना है कि चंबल संभाग के साथ-साथ बुंदेलखंड, महाकौशल और विंध्य क्षेत्र के जिलों में किसान खाद के लिए परेशान हो रहे हैं। सरकार खाद की पर्याप्त उपलब्धता के दावे कर रही है पर हकीकत यह है कि किसानों की कहीं सुनवाई नहीं हो रही है। उन्होंने सरकार पर किसानों की  अनदेखी करने का भी आरोप लगाया है। उनका कहना है कि खाद की कमी को लेकर किसानों को सहकारी समितियों में खाद नहीं मिल रही है। जबकि, अधिकांश जिलों में बोवनी का काम प्रारंभ हो चुका है।
लगातार की जाएगी निगरानी
प्रदेश में खाद संकट को समाप्त कर आसानी से खाद उपलब्ध कराने के लिए अब प्रशासन खाद वितरण की सख्त निगरानी करने की योजना पर काम कर रही है। इसके लिए प्रदेश के वरिष्ठ अफसरों को जिलों का प्रभार दिए जाने की तैयारी की जा रही है। प्रशासन का दावा है कि प्रदेश में हर दिन तीन से चार रैक खाद के आ रहे हैं। फिलहाल प्रदेश में तीन लाख टन से अधिक यूरिया और एक लाख 30 हजार टन डीएपी और एक लाख टन से अधिक एनपीए मौजूद है। सरकार का कहना है कि जिलों में खाद वितरण केन्द्र बढ़ाने के निर्देश पहले ही जारी किए जा चुके हैं।

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