बिहाइंड द कर्टन/तीन दिन अपने ही नेताओं पर कड़ी नजर रखेगी कांग्रेस

  • प्रणव बजाज
कमलनाथ

तीन दिन अपने ही नेताओं पर कड़ी नजर रखेगी कांग्रेस
कांग्रेस इस बार खंडवा लोकसभा सीट पर जीत के लिए कड़ी मेहनत कर रही है। इस सीट पर पार्टी से अधिक कांग्रेस के एक नेती जी की प्रतिष्ठा दांव पर लगी हुई है। दरअसल टिकट भी उन्हीं की मर्जी से तय किया गया है। इस सीट के तहत आने वाली बड़वाह विस के कांग्रेस विधायक ने भाजपा में शामिल होकर नेता जी को जोर का झटका धीरे दिया है। अब भाजपा मतदान के ठीक पहले कुछ और बड़े झटका देने की तैयारी में है, लिहाजा कांग्रेस ने अंतिम दिन के लिए नए सिरे से योजना तैयार की है। इसके तहत अब उन नेताओं व प्रमुख कार्यकर्ताओं पर भी विपक्षी नेताओं व उनके कदमों पर कड़ी निगरानी रखी जाएगी, जो इन दिनों संदेह के घेरे में बने हुए हैं। कांग्रेस ने इसी तरह के कुछ कदम दमोह उपचुनाव में भी उठाए थे, जिसके परिणाम से अब तक भाजपा खेमा उबर नहीं सका है। दरअसल भाजपा ने मतदान के ऐन पहले कांग्रेस के एक विधायक सहित कुछ  महत्वपूर्ण कार्यकर्ताओं को पार्टी में शामिल कराने की योजना बनाई है, जिसकी भनक कांग्रेस नेताओं को लग चुकी है।

गौतम की मदद कई जिलों में पहुंची  
जिस भी नेता को स्वेच्छानुदान की पात्रता मिली, उसने इक्का दुक्का मामलों को छोड़कर अधिकांश मामलों में अपने ही जिले में इस मद की राशि वितरण करने में ही रुचि ली, लेकिन इस मामले में विस अध्यक्ष गिरीश गौतम ने बड़ा दिल दिखाया है। उन्होंने रीवा जिले के अलावा सतना, शहडोल, दमोह, सीधी,  कटनी, जबलपुर, बड़वानी, होशंगाबाद, राजगढ़, इंदौर और नरसिंहपुर जिले के लोगों तक मदद की है, जबकि सात माह तक प्रोक्टेम स्पीकर रहे रामेश्वर शर्मा इस मामले में लगभग भोपाल तक ही सीमित रहे हैं। उधर इस साल इस मद से सर्वाधिक मदद करने में आगे चल रहे कमलनाथ लगभग छिदंवाड़ा से बाहर ही नहीं निकल सके हैं। उनके द्वारा नाम के लिए ही दूसरे जिलों के लोगों को मदद की गई है। यही वजह है कि उनके इस मद की राशि अब पांच पहले ही समापन की ओर है। विधानसभा अध्यक्ष, उपाध्यक्ष और नेता प्रतिपक्ष को विधायक निधि के साथ ही स्वेच्छानुदान राशि के रुप में स्पीकर को ढाई करोड़ और बाकी को एक करोड़ रुपए एक वर्ष में खर्च करने का अधिकार है।

जब सार्वजनिक रूप से विधायक का दर्द छलका
बुंदेलखंड अंचल के सागर जिले के तहत आने वाली बंडा विस सीट के कांग्रेस विधायक तरवर सिंह लोधी अपने इलाके के किसानों की मदद नहीं कर पा रहे हैं। विपक्षी दल से होने की वजह से सरकार में भी उनकी कोई सुनवाई नहीं हो रही है, लिहाजा सरकार की मंशा को देखते हुए प्रशासन भी उनकी कोई बात नहीं मान रहा है। ऐसे में माननीय अपने आप को असहाय पाने लगे हैं, लिहाजा किसानों के साथ खाद के लिए प्रदर्शन के दौरान उनका दर्द मंच से आंसुओं के रुप में सार्वजनिक रुप से सामने आ गया। इस दौरान उन्होंने भावुक होकर रोते हुए यहां तक कह दिया कि सरकार हमारी बंडा विधानसभा क्षेत्र के साथ बड़ा भेदभाव कर रही है। हमारे हक का खाद उपचुनाव होने वाले क्षेत्र पृथ्वीपुर, टीकमगढ़ भेजा जा रहा है। इससे हमारे क्षेत्र के किसान परेशान हो रहे हैं। आपने मुझे वोट देकर जिताया, लेकिन मैं कुछ नहीं कर पा रहा हूं। इसके बाद किसानों ने विधायक के पक्ष में नारेबाजी शुरू कर दी।

उमा की घोषणा ने कई को कर रखा है हैरान परेशान
अपने बयानों और कदमों से सभी को हैरान परेशान कर देने वाली भाजपा की फायरब्रांड नेत्री उमा भारती की एक घोषणा ने कई पार्टी नेताओं को हैरान व परेशान कर रखा है। दरअसल वे ऐसी नेता है जिनके बारे में अनुमान लगाना बहुत कठिन होता है। ऐसे में यह समझना भी आसान नहीं हैं कि वे भविष्य के लिए क्या विचार कर रही हैं? अब उनके द्वारा उपचुनाव के बीच कह दिया गया है कि वे अगला लोकसभा चुनाव लड़ेंगी। वे मप्र के अलावा उत्तर प्रदेश के बुंदेलखंड अंचल से सांसद रह चुकी हैं,। उनकी इस घोषणा से इस अंचल की सीटों के मौजूदा और नए दावेदारों को हैरान परेशान कर दिया है। इसकी वजह है कि न जाने वे कौन सी सीट पर दावेदारी कर दें और उनकी दावेदारी एक झटके में सपना बन कर रह जाए। दरअसल लोकसभा टिकट के जो दावेदार अभी से मैदानी जमावट में लगे हुए हैं, वह अब दीदी से आशीर्वाद के आकांक्षी हो गए हैं। राजनीतिक विश्लेषक भी अनुमान लगा रहे हैं कि दीदी अगली सरकार में किस भूमिका की तैयारी कर रही हैं।

Related Articles