
भोपाल/गौरव चौहान/बिच्छू डॉट कॉम। पुलिस के पूर्व डीजी स्तर के अफसर रहे महान भारत सागर पर अब लोकायुक्त का शिकंजा कसना तय माना जा रहा है। इसकी वजह है उनके द्वारा अपने अधिकार क्षेत्र से बाहर जाकर होमगार्ड सैनिकों की टोपी का रंग बदलने का निर्णय लिया जाना। उनके द्वारा लिए गए इस निर्णय से सरकारी खजाने को लाखों रुपए का चूना तो लगा ही साथ ही नियमों की भी पूरी तरह से अनदेखी की गई। अब यह पूरा मामला लोकायुक्त के पाले में पहुंच गया है। इसकी वजह से अब होमगार्ड डीजी रह चुके महान भारत सागर मुश्किल में फंस गए हैं। इस मामले में फिलहाल लोकायुक्त द्वारा डीजीपी विवेक जौहरी और डीजी होमगार्ड पवन जैन को तलब किया जा चुका है। यह पूरा मामला करीब ढाई साल पुराना है।
उस समय प्रदेश में डीजी होमगार्ड के पद पर सागर ही पदस्थ थे। उस समय उनके द्वारा विभाग के पास तेरह हजार टोपियां का स्टॉक होने के बाद भी होमगार्ड सैनिकों की टोपी का रंग बदलने का फैसला कर लिया गया था। उनके द्वारा होमगार्ड सैनिकों की वर्दी के साथ लगाई जाने वाली टोपी का रंग खाकी की जगह नीला करने का फैसला किया गया था। स्टाक में 13 हजार टोपियां होने के बाद भी उनके रंग बदलने के फैसले की वजह से स्टॉक में मौजूद सभी टोपियां बेकार हो गई और उनका उपयोग ही नहीं किया जा सका। इन टोपियों का उपयोग नहीं होने की वजह से सरकार को आर्थिक क्षति हुई है। इस मामले की शिकायत काफी पहले लोकायुक्त में की गई थी। उसके बाद मामले की जांच शुरू कर दी गई थी। इसी जांच की वजह से ही गत दिवस डीजीपी और डीजी होमगार्ड को लोकायुक्त संगठन द्वारा तलब किया गया था।
शासन से तक नहीं ली अनुमति
डीजी होमगार्ड के पास सैनिकों की ड्रेस को रंग बदलने का अधिकार ही नहीं है ऐसे में उनके पास टोपी का रंग बदलने का अधिकार ही नहीं था। इसी मामले में दो बिंदुओं की शिकायत लोकायुक्त से की गई थी। शिकायत का पहला बिन्दु है वर्दी तय करने का अधिकार शासन का होने के बाद भी टोपी का रंग बदलने का फैसला करने से पूर्व शासन से अनुमति नहीं ली गई , जबकि दूसरे बिन्दु में कहा गया है कि स्टॉक में हजारों टोपी रखी होने से शासन को आर्थिक नुकसान हुआ है। बिना अधिकार के कोई भी निर्णय लेना पद के दुरुपयोग की श्रेणी में आता है।
अब मिलता है वर्दी भत्ता
सागर के हटने के बाद जब होमगार्ड में नए डीजी आए, तब उन्होंने वर्दी खरीदी की प्रक्रिया को बंद कर नकद राशि भत्ते के रूप में देना तय किया। इसकी वजह से अब होमगार्ड सैनिकों को वर्दी की जगह नकद 400 रुपए दिए जाने लगे हैं। इसके लिए उनके द्वारा बकायदा शासन को प्रस्ताव भेजकर मंजूरी ली। इस प्रस्ताव में कहा गया था कि पुलिस के सिपाहियों की तरह होमगार्ड के जवानों को भी चार सौ रुपए प्रतिमाह भत्ते के तौर पर दिए जाएं। शासन से इसकी मंजूरी मिलने के बाद अब चार सौ रुपए प्रतिमाह सैनिकों को वेतन के साथ उनके खाते में डाल दिया जाता है। इससे अब सैनिक जरूरत के हिसाब से वर्दी सिलवा लेते हैं।
शासन से भी मांगा जवाब
लोकायुक्त ने इस मामले में शासन स्तर से भी जवाब मांगा है। आयोग ने शासन से पूछा कि इस मामले में अब तक क्या कार्रवाई हुई है। क्या इस मामले में पीएचक्यू से कोई पत्राचार किया गया है, क्या दोषी अधिकारी से इस बारे में वसूली की जानी है। बताया तो यह भी जा रहा है कि यही सवाल डीजीपी से भी किया गया है। उनसे नियम प्रक्रिया को लेकर भी जानकारी ली गई है। सूत्र बताते हैं कि लोकायुक्त के सारे सवाल सागर के खिलाफ गए हैं। ऐसे में उनकी मुश्किल बढ़ गई है।