पुराने काम जारी…नए के लिए टेंडर निकाला

डर निकाला
  • चलाचली की बेला में सीपीए दिखा रहा दम

    भोपाल/रवि खरे/बिच्छू डॉट कॉम।
    राजधानी की खराब सड़कों पर नपे सीपीए यानी राजधानी परियोजना प्रशासन का वजूद जल्द खत्म हो जाएगा।  इसके लिए रोडमैप पर बैठक करके मंथन किया जा रहा है। वहीं दूसरी तरफ सीपीए के पुराने काम तेजी से तो चल ही रहे हैं, साथ ही नए कामों के लिए 5 टेंडर निकाले गए हैं। ऐसे में किसी को विश्वास ही नहीं हो रहा है की सरकार सीपीए को बंद करने की कवायद में जुटी हुई है।
    सूत्रों की मानें तो सीपीए को खत्म करके अब लोक निर्माण विभाग और नगर निगम में मर्ज किया जाएगा। इसके तहत प्रस्तावित किया गया है कि सड़कों और बिल्डिंग्स का काम लोक निर्माण विभाग को दे दिया जाए। वही बाग-बगीचे व उससे संबंधित काम नगर निगम को जाएगा। सीपीए के अमले को भी दो भागों में मर्ज किया जाएगा। सीपीए के अधिकतर अधिकारी लोक निर्माण से आए हैं। इस कारण इंजीनियरिंग अमला लोक निर्माण में जाएगा। सीपीए में वन विभाग के अफसर भी मौजूद हैं। इन्हें लेकर दो विकल्प दिए गए हैं। इसके तहत इन्हें वन विभाग में वापस भेजा जाएगा अथवा नगर निगम में अलग एक सेल बनाकर वहां रखा जाएगा।
    मंत्रालय की पुताई और सिविल वर्क के टेंडर
    एक तरफ सीपीए को बंद करने की तैयारी चल रही है। वहीं दूसरी तरफ सीपीए के पांच टेंडर लगे हुए हैं, जिनकी आखिरी तारीख 28 अक्टूबर है। सीपीए को बंद करने के लिए नगरीय प्रशासन में कवायद चल रही है। इस बीच सीपीए का पुराना काम जारी है। उसने हाल में अलग-अलग 5 टेंडर जारी किए हैं। इसमें मंत्रालय की पुताई का करीब 40 लाख रुपए का टेंडर भी शामिल है। इसके साथ ही अलग-अलग स्थानों पर मेंटेनेंस व सिविल वर्क के चार अन्य टेंडर हैं। इसमें चार इमली, 1100 क्वार्टर, ईदगाह हिल्स, जवाहर चौक, माता मंदिर, प्रकाश तरण पुष्कर आदि के लिए रखरखाव व सिविल वर्क के प्रस्ताव बुलाए हैं। यहां कुल मिलाकर करीब 1.20 करोड़ रुपए के काम हैं।
    सीपीए बंद होने के विरोध में सीपीआई के कार्यभारित एवं स्थाई कर्मचारियों ने किया प्रदर्शन
     मध्य प्रदेश कर्मचारी मंच के नेतृत्व में सीपीए के कार्यभारित एवं स्थाई कर्मियों ने सीपीए बंद करने के निर्णय के विरोध में प्रदर्शन किया तथा 3 सूत्री मांगों का ज्ञापन तैयार किया जो गुरुवार को अधीक्षण यंत्री सीपीए भोपाल को सौंपा जाएगा। मध्यप्रदेश कर्मचारी मंच के प्रांत अध्यक्ष अशोक पांडे ने बताया कि राज्य सरकार के मुखिया ने सीपीए बंद करने का निर्णय लिया है लेकिन सीपीए में पदस्थ 1600 कार्यभारित एवं स्थाई कर्मियों के संबंध में कोई ठोस नीति नहीं बनाई है। जिसके विरोध में आज प्रदर्शन कर सरकार को चेताया है कि सरकार पहले 16 सौ कर्मचारियों के लिए ठोस नीति बनाएं और 3 सूत्री मांग जिसमें स्थाई कर्मियों की नवीन वरिष्ठता सूची बनाकर प्रकाशित की जाए, स्थाई कर्मियों को वरिष्ठता अनुसार जो जिस पद पर है उसे उसी पद पर नियुक्त किया जाए, उसके उपरांत संविलियन की कार्यवाही की जाए। कार्यभारित कर्मचारियों को नियमित स्थापना में नियमित किया जाए, उसके बाद संविलियन किया जाए। प्रदर्शन में  अशोक पांडे, चंद्रिका प्रसाद शर्मा, अब्दुल नासिर, सुभाष राठौर, शिवेंद्र तिवारी, बालकृष्ण विश्वकर्मा, भगवान दास, भूपेंद्र पांडे, श्याम, राजेंद्र शर्मा, किशोर निकम, बलवीर सिंह सिकरवार, प्रमोद उपाध्याय, विवेक श्रीवास्तव, अरुण कुमार आदि कार्यभारित एवं स्थाई कर्मी बड़ी संख्या में उपस्थित थे।
    दो माह बाद भी अनिर्णय की स्थिति
    गौरतलब है कि मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने सड़कों की दुर्दशा को लेकर हुई बैठक में सीपीए को तत्काल बंद करने के निर्देश दिए थे। उनके इस निर्देश के दो महीने बाद अब भी सीपीए में कामों के लिए टेंडर हो रहे हैं। उधर, सीपीए को बंद करने का प्रस्ताव कैबिनेट में जाएगा। इसकी प्रेसी तैयार कर शासन को भेज दी गई है। इस पर वित्त और पीडब्ल्यूडी की राय मांगी गई है। सीपीए में करीब सवा 300 नियमित कर्मचारी हैं। इसके साथ यहां अधिकारी स्तर पर लगभग एक दर्जन लोग डेपुटेशन पर हैं। इनमें अधीक्षण यंत्री व कार्यपालन यंत्री डेपुटेशन वाले हैं। बीडीए के साथ पीडब्ल्यूडी व जल संसाधन के इंजीनियर भी यहां पर काम कर रहे हैं। फॉरेस्ट डिवीजन की कमान वन विभाग के अधिकारी के पास है। बडी संख्या में दैनिक वेतन भोगी कर्मचारी भी हैं। पार्कों के रखरखाव व सुरक्षा और भवनों के मेंटेनेंस में इन्हीं दैवेभो को लगाया जाता है। सीपीए के एक अधिकारी के मुताबिक नियमित कर्मचारियों को किसी नियमित विभाग में ही भेजा जा सकता है। नगर निगम, बीडीए, यूडीसी में उसे कैसे भेजा जाएगा? इसलिए उम्मीद है कि अधिकतर कर्मचारी पीडब्ल्यूडी में जाएंगे।

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