प्रदेश में खाद को लेकर हाहाकार, बेफिक्र प्रशासन और सरकार

बेफिक्र प्रशासन

भोपाल/प्रणव बजाज/बिच्छू डॉट कॉम। एक तरफ प्रदेश के अन्नदाता खाद के लिए दिन रात परेशान बने हुए हैं, ऐसे में  पूरी राज्य सरकार महज चुनाव पर ही फोकस किए हुए है। हालात ऐसे बन चुके हैं कि अन्नदाताओं का गुस्सा अब सड़कों पर आना शुरू हो गया है। खास बात यह है कि इस तरह की स्थिति उन क्षेत्रों में खासतौर पर बनी हुई है, जिन क्षेत्रों से सरकार में वरिष्ठ मंत्री आते हैं। इन हालातों के बाद भी प्रशासन व सरकार पूरी तरह से बेफिक्र बनी हुई है। हालात यह हो गए हैं कि अब तो प्रदेश में किसान खाद के लिए जगह- जगह चक्काजाम कर रहे हैं, लेकिन सरकार है कि उनके लिए खाद का इंतजाम करने में पूरी तरह से नाकाम बनी हुई है। इसकी वजह से किसानों ने सागर, गुना के अलावा कई अन्य जिलों में सड़कों पर न केवल जाम लगा दिया, बल्कि एक अफसर तक को पीट दिया।
प्रदेश में यह स्थिति तब बनी हुई है जब सरकार को दावा है कि उसके पास खाद का पर्याप्त भंडारण है। हालात कितने खराब हो चुके हैं इससे ही समझे जा सकते है कि गुना जिले के नानाखेड़ी मंडी स्थित डबल लॉक पर किसानों को कई दिनों के प्रयासों के बाद भी जब खाद नहीं मिली तो नाराज किसानों ने नानाखेड़ी मंडी गेट के सामने ऐसा जाम लगाया कि ग्वालियर, शिवपुरी की ओर जाने वाला रास्ता पूरी तरह से बंद हो गया। एसडीएम, सीएसपी, तहसीलदार सहित प्रशासनिक और पुलिस का अमले को पांच घंटे तक उन्हें समझाने के लिए मशक्कत करनी पड़ी तब कहीं जाकर किसान सड़कों से हटे।  इसी तरह से सागर में खाद की किल्लत और दूसरी समस्याओं पर किसानों ने धरना दिया। कलेक्टर कार्यालय के गेट पर बंडा विधायक तरवर सिंह तक को भी किसानों के साथ धरने पर बैठना पड़ा। यहां पर तो किसानों ने बात करने आए अपर कलेक्टर तक को बैंरग लौटा दिया।
विदिशा में भी घंटों चक्काजाम
विदिशा के सिरोंज में खाद न मिलने से गुस्साए किसानों ने चक्काजाम कर दिया। जिसकी सूचना मिलने पर प्रशासनिक अधिकारी मौके ओर पहुंचे और किसानों से बातचीत कर उन्हें समझाकर शाम तक और खाद उपलब्ध कराने का वादा कर चक्का जाम समाप्त कराया। इस दौरान प्रशासनिक अधिकारियों और किसानों के बीच जमकर बहस भी हुई। सिरोंज क्षेत्र के किसान नेता सुरेंद्र रघुवंशी का कहना है कि हम सिरोंज क्षेत्र के किसान यहां डीएपी, यूरिया और एनकेपी की मांग को लेकर यहां आए हैं। बड़े शर्म की बात है, बोवनी का समय निकला जा रहा है और सरकार खाद- बीज तक उपलब्ध नहीं करवा पा रही है। सुबह 6 बजे से 80-80 साल की महिलाएं, किसान लाइन में लगे हैं, लेकिन खाद नहीं मिल पा रही। अब बिना खाद के किसान कैसे बोवनी करेगा। सरकार के पास सभी किसानों की जमीन का रिकॉर्ड है, फिर भी इन्होंने खाद का इंतजाम क्यों नहीं किया। प्राइवेट दुकानों पर 1600-1700 रुपए की खाद की बोरी बेची जा रही है। उनको खाद बेचने कहां से मिल रही है। सरकारी गोदामों से खाद क्यों नही बांटा जा रहा है। सोमवार को कुल 500 बोरी आई हैं और यहां 2000 से ज्यादा किसान खाद लेने आए। एक किसान को 2 बीघा के लिए 1 बोरी की जरूरत होती है, कैसे पूर्ति होगी?
गुस्से में किसानों उतरे झूमाझटकी पर
इसी तरह से अशोकनगर में खाद नहीं मिलने से हैरान परेशान चल रहे किसानों का गुस्सा ऐसा फूटा कि वे झूमाझटकी तक पर उतर आए। सुबह से लाइन लगाए खड़े किसानों को जब खाद नहीं मिली तो वे बिफर गए , तो उन्हें समझाने पहुंचे कृषि विभाग के एसएडीओ के साथ उनके द्वारा झूमाझटकी कर दी गई। इस दौरान पुलिस बामुश्किल से उन्हें वहां से बचाकर ले जा सकी। इस दौरान किसानों ने हंगामा कर जमकर नारेबाजी भी की। दरअसल किसानों को कई दिनों से अधिकारियों द्वारा आश्वासन दिया जा रहा था कि सोसाइटी के साथ ही खाद दुकानों पर खाद का वितरण किया जाएगा। इस पर अलसुबह से ही सैकड़ों की संख्या में किसान खाद लेने सोसाइटी पहुंच गए थे। खाद के लिए ये लोग कतार में पहुंच गए। किसानों को जैसे ही पता चला कि डीएपी उपलब्ध नहीं हो पा रही है तो वे आक्रोशित हो गए। मौके पर मौजूद कृषि विभाग के एसएडीओ मुकेश रघुवंशी से किसानों ने बहस शुरू कर दी। बहस धक्का-मुक्की तक पहुंच गई। पुलिस ने अधिकारी को बचाकर गाड़ी में बिठाया और वहां से रवाना किया।

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