जोबट उपचुनाव: सुलोचना रावत की जनता में बढ़ी आलोचना

जोबट उपचुनाव
  • कांग्रेस के चक्रव्यूह में उलझने से मुश्किल का करना पड़ रहा है सामना …
    भोपाल/विनोद उपाध्याय/बिच्छू डॉट कॉम।
    जोबट उपचुनाव में भाजपा ने कांग्रेस से दलबदल कराकर पूर्व मंत्री और कांग्रेस की इलाके की बड़ी नेता सुलोचना रावत को प्रत्याशी बनाया है। भाजपा के रणनीतिकार मानकर चल रहे थे अब उसकी राह आसान हो जाएगी, लेकिन कांग्रेस ने महेश पटेल को चुनावी मैदान में उतार कर ऐसा दांव चला की सुलोचना रावत कांग्रेस के चक्रव्यूह में फंसी नजर आने लगी हैं। हालत यह हो गई हैं कि नाम वापसी तक इस सीट पर सुलोचना रावत की जीत तय मानी जा रही थी, वहीं अब वे कांटे के मुकाबले में फंसी हुई नजर आने लगी हैं, जिसकी वजह से ही भाजपा को अब इस सीट पर चुनावी प्रबंधन के माहिर नेताओं से लेकर अच्छे वक्ताओं तक को मैदान में उतारना पड़ा है। यही नहीं मुख्यमंत्री से लेकर मंत्री और संगठन के पदाधिकारियों तक को मोर्चा सम्हालना पड़ रहा है। इस सीट पर बाहरी होने के बाद भी पटेल द्वारा दी जा रही कड़ी टक्कर बता रही है कि इस सीट पर कुछ भी परिणाम आ सकते हैं। यही वजह है कि अब सीट पर मतदान के पहले दोनों ही दलों में जमकर मुकाबला होता दिख रहा है। इस सीट पर कांग्रेस ने मंहगाई, बेरोजगारी के अलावा दलबदल को मुद्दा बनाया हुआ है। कांग्रेस के यह मुद्दे इलाके में प्रभावी होते भी दिख रहे हैं। इसमें सबसे बड़ा मुद्दा मंहगाई बनकर उभरा है। इसका फायदा कांग्रेस प्रत्याशी को मिलता दिख रहा है। इसके अलावा अप्रत्यक्ष रूप से कांग्रेस को नाराज चल रहे भाजपा कार्यकर्ताओं का फायदा भी मिलता दिख रहा है। यही वजह है कि इस सीट पर चुनाव प्रबंधन का काम खुद सुलोचना के पुत्र विशाल ने अपने हाथों में ले रखा है। कांग्रेस के प्रभाव वाली माने जाने वाली इस सीट पर आदिवासी समाज ही हार-जीत का फैसला करता है। इस सीट पर जयस का भी प्रभाव है, जिसका समर्थन कांग्रेस को मिला हुआ है। 30 नवंबर को होने वाले मतदान में इस सीट पर करीब पौने तीन लाख मतदाताओं द्वारा सुलोचना और महेश में से किसी एक का फैसला किया जाएगा।
    कांग्रेस में हो रहा था विरोध
    सुलोचना रावत का पहले कांग्रेस द्वारा नाम तय कर लिया गया था, लेकिन उन्हें प्रत्याशी बनाया जाता इसके पहले ही कांग्रेस में स्थानीय स्तर पर उनका जमकर विरोध होना शुरू हो गया था, जिसकी वजह से कांग्रेस ने उनकी जगह महेश पटेल को टिकट देना तय कर लिया था। इसका पता चलते ही सुलोचना ने भाजपा का दामन थाम लिया। भाजपा ने भी उन्हें हाथों हाथ लेते हुए अपना प्रत्याशी घोषित कर दिया। खास बात यह है कि बीते आम चुनाव में भाजपा उम्मीदवार मधु सिंह डाबर महज दो हजार मतों से ही हारे थे। इसके अलावा कई अन्य नेता भी हैं जो इस सीट से विधायक बन चुके हैं और अब भी बेहद प्रभावशाली माने जाते हैं। इसके बाद भी भाजपा ने उनको दरकिनार कर सुलोचना पर दांव लगाना बेहतर माना। इसकी वजह से इस सीट के पुराने नेताओं में असंतोष बना हुआ है।  
    बनी हुई है भितरघात की संभावना
     इस सीट पर भाजपा प्रत्याशी को लेकर अधिकतर कांग्रेस के प्रत्याशी को लेकर भितरघात की कम संभावना है, लेकिन यह खतरा दोनों ही दलों में बना हुआ है। सुलोचना के भाजपा से प्रत्याशी बनने के बाद कई कांग्रेसी नेता तो खुलकर उनके समर्थन में आ चुके हैं, लेकिन कई नेता अब भी ऐसे हैं जो पार्टी रहते ही अंदर ही अंदर सुलोचना की मदद कर रहे हैं। यही स्थिति भाजपा में भी बनी हुई है। भाजपा में तमाम टिकट के दावेदार और सुलोचना के विरोधी भले ही संगठन के डर से खुलकर विरोध में नहीं दिख रहे हैं , लेकिन वे अंदर ही अंदर कांग्रेस प्रत्याशी के पक्ष में नजर आ रहे हैं। इस तरह की खबरों की वजह से ही हाल ही में मुख्यमंत्री शिवराज सिंह को अपने दौंरे में इस सीट पर रात तक गुजारना पड़ी है।

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