मुख्यमंत्री खेत तीर्थ दर्शन योजना फिर शुरू करने की मांग

 तीर्थ दर्शन योजना
  • दो साल से उन्नत खेती का अध्ययन करने से वंचित किसान

    भोपाल/रवि खरे/बिच्छू डॉट कॉम। कृषि को लाभ का धंधा बनाने और 2022 तक किसानों की आय दोगुना करने के संकल्प के साथ शुरू की गई मुख्यमंत्री खेत तीर्थ दर्शन योजना दो साल से अधिक समय से बंद है। इस कारण प्रदेश के किसान उन्नत खेती का अध्ययन करने से वंचित हैं। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान की इस बहुप्रतीक्षित योजना को फिर से शुरू करने की मांग होने लगी है। गौरतलब है कि मध्यप्रदेश सरकार द्वारा मुख्यमंत्री खेत तीर्थ योजना को शुरू करने का मुख्य उद्देश्य किसानों का सशक्तिकरण और कल्याण है और किसान को कई खेती तकनीक से अवगत कराना। ताकि उन्हें बेहतर कृषि तकनीकों को अपनाने के लिए प्रोत्साहित किया जाए। इस योजना को फायदा उठाकर किसानों ने विदेशों की यात्रा की और उन्नत खेती का अध्ययन किया। योजना का फायदा उठाने वाले किसानों का कहना है कि  विदेशों से अनुभव मिला है। इसलिए योजना शुरू होनी चाहिए।
    कई योजनाओं में बजट जीरो
    उधर, सरकार ने मुख्यमंत्री खेत तीर्थ सहित अन्य योजनाओं में  बजट जारी कर दिया है, जिससे किसान अध्ययन के लिए बाहर नहीं जा पा रहे हैं। प्रदेश की तत्कालीन भाजपा सरकार ने मुख्यमंत्री किसान विदेश अध्ययन यात्रा और मुख्यमंत्री खेत तीर्थ दर्शन योजना वर्ष 2013-14 से शुरू की थी। लेकिन कांग्रेस सरकार ने इसे बंद कर दिया। कोरोना की वजह से यह अब भी बंद है। जिन योजनाओं का बजट जीरो किया गया है उसका लाभ किसानों ने खूबा पाया। सूरजधारा योजना के तहत वर्ष 2019- 20 में 27.96 करोड़ तथा 2020- 21 में 17.99 करोड़ खर्च हुआ। इससे प्रति हेक्टयेर उर्वरक खपत बढ़ाने, जैविक खाद का उपयोग, सिंचाई सुविधा में बढ़ौतरी हुई। इस योजना से एसटी वर्ग के 90,155 तथा एससी वर्ग के 96,251 किसानों को लाभ मिला है। वहीं अन्नपूर्णा योजना के तहत वर्ष 2019-20 में 14.03 करोड़ रुपए खर्च किए गए। इस योजना के तहत 93,584 एसटी,एससी वर्ग के किसानों को लाभ देने का दावा किया गया। दिसंबर 2019 के बाद वित्त विभाग ने बजट पर रोक लगाई। वर्ष 2021-22 के लिए बजट जारी किया। यानि पिछले साल से दो योजनाएं बंद हैं।
    विदेश तकनीक से ज्यादा उत्पाद
    मुख्यमंत्री खेत तीर्थ दर्शन योजना का प्रदेश के कई किसानों ने लाभ पाया है। करीब पांच साल पहले बैतूल जिले के कांति यादव उन्नत खेती का अध्ययन करने इजरायल गए थे, वहां उन्होंने गन्ना और डेयरी की नई तकनीकी सीखी और उसका उपयोग भी किया। आज वे 4 से 5 गुना ज्यादा गन्ना की फसल ले रहे हैं। उनका मानना है कि मप्र में छोटे किसान हैं, जबकि इजराइल में 10 से 20 हेक्टेयर में ये फसल लगाई जाती है और किसान 20 गुना तक लाभ उठाते हैं। होशंगाबाद के किसान आशुतोष तिवारी कहते हैं कि स्पेन, फ्रांस और इटली में किसान स्वयं उत्पादन करता है, बायो प्रोडेक्ट भी बनाता  है और मार्केटिंग भी। क्योंकि फैक्ट्री भी वहीं संचालित कर रहा है। इसलिए सीधे बाजार में रेट भी तय करता है। वहां छोटे किसान समितियां बनाकर सरकार से लोन लेकर कार्य करते है, लेकिन हमारे यहां के किसान प्रकृति पर निर्भर हैं, प्रकृति से बचे तो भाव नहीं मिलते।
    लाभदायक है मुख्यमंत्री खेत तीर्थ दर्शन योजना
    तत्कालीन कृषि मंत्री एवं विधायक गौरीशंकर बिसेन मुख्यमंत्री खेत तीर्थ योजना कांग्रेस सरकार में बंद कर दी गई थी, इसके बाद कोरोना की वजह से किसानों को अध्ययन के लिए चयनित नहीं किया गया। मेरे साथ जो दल जापान, चीन और बेल्जियम गया था, वह सोयाबीन तथा चावल के उत्पादन में आई कमी का अध्ययन करने गया था। इसका प्रभाव रोकने हमने निर्णय भी लिया था।

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