करोड़ों का खेल…विद्युत इकाईयां हो रही फेल

विद्युत इकाईयां

भोपाल/विनोद उपाध्याय/बिच्छू डॉट कॉम। प्रदेश में एक तरफ कोयले की कमी के कारण बिजली उत्पाद कम हो रहा है। वहीं दूसरी तरफ करोड़ों रूपए खर्च होने के बाद भी ताप विद्युत गृहों की इकाईयां फेल हो रही हैं। आरोप है कि इसमें करोड़ों रूपए का खेल हो रहा है। यही वजह है कि बिजली उत्पादन करने वाली इकाइयों में मेंटेनेंस के बावजूद खराबी आ रही है। संजय गांधी ताप विद्युत गृह में दो माह मेंटेनेंस के नाम पर बंद इकाई चालू होने के एक बाद ही ठप हो गई। इस इकाई पर कंपनी प्रबंधन ने मेंटेनेंस पर करीब 10 करोड़ रुपये से ज्यादा खर्च किया। 60 दिन तक इकाई से उत्पादन नहीं हुआ। जब इकाई चालू की गई तो उसके टरबाइन में वाइब्रेशन होने लगा। जानकार इसे अनोखी घटना बताते हुए मेंटेनेंस पर सवाल कर रहे हैं। इधर रबी सीजन में प्लांट में लगातार खराबी आने से बिजली संकट पैदा होने के आसार बन गए है। श्री सिंगाजी सयंत्र की एक नंबर 600 मेगावाट की इकाई बंद हो गई है। ऐसे में प्रदेश कोयला उत्पादित बिजली महज 1625 मेगावाट पर सिमट गया है।
संजय गांधी ताप विद्युत गृह में 500 मेगावाट की पांच नंबर इकाई को 19 जुलाई को मेंटेनेंस के लिए बंद किया गया। 18 सितंबर को इकाई को दोबारा चालू करवाया गया। इकाई जब से चालू हुई उस वक्त इसे कम लोड पर चलाया गया। बाद में लोड जैसे ही बढ़ाया गया उस वक्त बायलर में कंपन शुरू हो गया। विशेषज्ञों की माने तो बायरल में कंपन जैसी स्थिति बड़े हादसे में तब्दील कर सकता है। ये बिरली घटना है। कंपनी प्रबंधन ने इस इकाई को बंद कर दिया। इस बारे में जानकारी देते हुए चीफ इंजीनियर हेमंत संकुले ने बताया कि 500 मेगावाट की पांच नंबर इकाई में मरम्मत का कुछ काम किया जाना है जिसके कारण उसे बंद किया गया है। इसी प्रकार 210 मेगावाट की एक नंबर इकाई में भी मरम्मत का काम शुरू किया गया है, जिसके कारण इकाई को बंद किया गया है। उन्होंने कहा कि कोयले की कमी के कारण इकाइयां बंद नहीं हुई है। कोयला पर्याप्त मात्रा में उपलब्ध है और लगातार कोयला आ रहा है। यह चर्चा चल रही थी कि कोयले की कमी के कारण इकाई को बंद किया गया है।

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