प्रदेश में आजीविका मार्ट पोर्टल ने महिलाओं में बढ़ाया स्व-रोजगार के प्रति जुनून

आजीविका मार्ट पोर्टल

भोपाल/गौरव चौहान/बिच्छू डॉट कॉम। महिला सशक्तिकरण की दिशा में मध्यप्रदेश तेजी से आगे बढ़ रहा है। राज्य शासन की नीतियों, कार्यक्रमों और योजनाओं से शहरी और ग्रामीण क्षेत्रों में महिलाओं को आर्थिक गतिविधियों से जोड़ कर उन्हें स्व-रोजगार के अवसर भी उपलब्ध कराए जा रहे हैं। विशेष रूप से आजीविका मिशन के माध्यम से बड़ी संख्या में बनाए गए महिला स्व-सहायता समूहों को हर संभव सहयोग दिया जा रहा है। आजीविका मार्ट पोर्टल के माध्यम से तीन लाख 33 हजार स्व-सहायता समूहों ने पिछले साढ़े तीन महीने (जुलाई से 15 अक्टूबर) तक 21 करोड़ के उत्पाद बेचे हैं। ये उत्पाद देश के हर कोने में पहुंचाए गए हैं।
गौरतलब है की आजीविका मार्ट पोर्टल समूहों के उत्पादों को सोशल प्लेटफार्म उपलब्ध कराने के लिए राज्य सरकार ने शुरू किया है। जिसने प्रदेश के टेराकोटा, बांस शिल्प, मार्बल आर्ट, आदिवासी कला, चित्रकारी को विदेशों तक पहुंचा दिया है। हालांकि किसी भी समूह को पोर्टल के माध्यम से अब तक विदेश से आर्डर नहीं मिला है।
3 लाख 33 हजार स्व- सहायता समूह गठित
उल्लेखनीय है कि प्रदेश के लगभग 45 हजार ग्रामों में करीब 3 लाख 33 हजार स्व-सहायता समूहों का गठन कर लगभग 38 लाख महिलाओं को जोड़ा जा चुका है। मिशन के अंतर्गत गठित स्व-सहायता समूहों से जुड़ी महिलाओं के लिए भरपूर धन राशि का इंतजाम किया है। समूहों से जुडऩे के लिए पात्र परिवारों में शेष बचे सभी परिवारों को अगले 3 वर्षों में स्व-सहायता समूहों से जोड़ लिया जाएगा। ग्रामीण क्षेत्रों में आजीविका गतिविधियों को और सुदृढ़ करने के लिए विगत वर्षों की तुलना में बैंक ऋण राशि में काफी वृद्धि की गई है। इसे राज्य सरकार द्वारा 300 करोड़ रुपए से बढ़ाकर 1300 करोड़ रुपए किया गया और इस वर्ष 2550 करोड़ रुपए बैंक ऋण स्व-सहायता समूहों को उपलब्ध कराने का लक्ष्य सरकार द्वारा निर्धारित किया गया है।
घर बैठे मिलेंगे मनपसंद उत्पाद
एमपी आजीविका मार्ट पोर्टल के माध्यम से आपको असली चंदेरी या महेश्वरी साड़ी घर बैठे मिल जाएगी। घर बैठे-बैठे ही आजीविका मार्ट पोर्टल पर आर्डर कीजिए और असली साड़ी कुरियर से घर पहुंच जाएगी। मध्य प्रदेश राज्य आजीविका मिशन ने अन्य शापिंग साइट की तरह पोर्टल को डिजाइन किया है। जिसमें उत्पाद देखकर आप पसंद कर सकते हैं और फिर सीधे फोन से निमार्ता को आर्डर दे सकते हैं। वह आनलाइन भुगतान लेगा और आपके पसंद का उत्पाद भेज देगा। पोर्टल पर अभी पांच हजार 437 उत्पाद अपलोड किए गए हैं और 3771 क्रेता पोर्टल पर पंजीकृत हो गए हैं। इनमें से ज्यादातर व्यापारी हैं, जो समूहों से थोक में उत्पाद खरीदकर विभिन्न बाजारों में फुटकर में बेचते हैं। बैतूल के एक कपड़ा व्यापारी इसका बड़ा उदाहरण हैं। उन्होंने एक समूह से 18 लाख के पेटीकोट खरीदे हैं, जो नागपुर सहित महाराष्ट्र के अन्य शहरों में बेच रहे हैं।
पोर्टल पर हर तरह के उत्पाद की मांग
एमपी आजीविका मार्ट पोर्टल पर हर तरह के उत्पाद की मांग बढ़ रही है। पोर्टल के माध्यम से श्योपुर, आलीराजपुर, अनूपपुर, शिवपुरी सहित अन्य आदिवासी बहुल जिलों के समूहों को 10 हजार 122 आर्डर मिले हैं। इनमें से नौ हजार 181 आर्डर की सप्लाई कर दी गई है। सभी आर्डर में क्रेताओं से ऑनलाइन भुगतान लिया गया है। समूहों की खाद्य सामग्री (आटा, मल्टीग्रेन आटा, बेसन, मूंगफली-सरसों तेल, बिस्कुट, नमकीन, फल और मसाले), हैंडीक्राफ्ट, हैंडलूम, रेडीमेड गारमेंट सहित अन्य उत्पादों की ज्यादा मांग है। समूहों का भी व्यापारियों पर ज्यादा फोकस है। क्योंकि वे एक मुश्त माल उठा लेते हैं और एक मुश्त बड़ी राशि आ जाती है। समूह दूसरे चरण में एक-एक उत्पाद की बिक्री शुरू करेंगे। वैसे अभी भी एक उत्पाद का आर्डर आता है, तो समूह माल भेजते हैं। मध्य प्रदेश राज्य आजीविका मिशन के प्रबंध संचालक एमएल बेलवाल का कहना है कि समूह की महिलाओं को आर्थिक रूप से सक्षम बनाने के लिए पोर्टल शुरू किया गया है । उत्पाद ज्यादा लोग देखेंगे, तो खरीदेंगे भी। इसका फायदा भी मिला है। समूहों ने साढ़े तीन माह में 21 करोड़ का कारोबार किया है। अभी इससे व्यापारी ज्यादा जुड़ रहे हैं, पर जल्द ही दूसरी  ऑनलाइन शापिंग साइट की तरह पोर्टल पर भी व्यक्तिगत आर्डर आने लगेंगे।

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