रिश्वतखोर सीसीएफ मामले में कई अफसरों की भूमिका संदेह में

रिश्वतखोर सीसीएफ
  • जांच में पाए गए आरोप सही, चालान पेश करने की भी नहीं दी जा रही अनुमति

    भोपाल/गौरव चौहान/बिच्छू डॉट कॉम। वन महकमे में चल रहे जंगलराज पर पर्दा डालने के लिए आरोप सही पाए जाने के बाद भी रिश्वतखोर सीसीएफ आरडी महला को क्लीनचिट देने की तैयारी की जा रही है। इसकी सबसे बड़ी वजह यह है कि इस मामले में वन विभाग के कई आईएफएएस अफसरों की भूमिका संदेह के घेरे में है। यानी अगर मामले को तूल दिया गया तो कई अफसरों की काली करतूत सामने आ जाएगा।
    लोकायुक्त की जांच के बाद जबलपुर एपीसीसीएफ आरडी महला का मामला अब संदेह के दायरे में आ गया है। इस मामले में काम के बदले ड्राइवर के जरिए रिश्वत लेने का  ऑडियो वायरल होने व शिकायत के बाद लोकायुक्त ने जांच की थी। लोकायुक्त ने जांच में यह तथ्य पाया कि सीसीएफ महला ने ही वह कृत्य किया है। जबलपुर में सीसीएफ के पद पर पदस्थ महला 4 साल पहले खंडवा में पदस्थ थे तो उसी वक्त ड्राइवर व उनके बीच का ऑडियो वायरल हुआ था। इसमें लेन देन का जिक्र था।
    उधर वन विभाग के एपीसीसीएफ प्रशासन आरके यादव का कहना है कि एपीसीसीएफ महला के संबंध में शासन से जानकारी मांगी गई थी। जांच के बाद शासन को जानकारी भेज दी गई है। अभियोजन स्वीकृत करने का काम शासन स्तर से होता है। वे इस मामले में कुछ नहीं बता सकते।  
    एपीसीसीएफ महला के कथित ऑडियो रिश्वत कांड में लीपापोती को देखते हुए ड्राइवर ने लोकायुक्त में मय सबूत के शिकायत कर दी थी। अब लोकायुक्त ने भी जांच में पाया कि मामला सही है और किसी लोक सेवक के लिए अशोभनीय है। लोकायुक्त ने विभाग से महला पर कार्रवाई के लिए अनुमति मांगी थी। किंतु काफी समय से अनुमति अटकी हुई थी। सूत्रों ने बताया कि शासन को भी संचालनालय ने लीपापोती वाली जानकारी भेजी है। ऐसे में कार्रवाई को लेकर असमंजस की स्थिति पैदा हो गई है। गौरतलब है की 4 साल पहले सीसीएफ का ड्राइवर संतोष खंडवा वृत्त के एक रेंजर से सीसीएफ से काम कराने के लिए रेंजर से उनके मोबाइल पर पैसे मांग रहा था। इसका  ऑडियो वायरल हो गया। इसी को आधार बनाते हुए विभाग और लोकायुक्त में शिकायत की गई। जांच में यह मामला सही पाया गया। इसी आधार पर लोकायुक्त ने मामला दर्ज किया और अब अभियोजन की स्वीकृति के लिए अनुमति मांगी है। जांच में यह बात सामने आई हैं कि महला काम करने के बदले अपने ड्राइवर संतोष के जरिए कथित रूप से रिश्वत लेते थे। इस मामले में लोकायुक्त ने विभाग से अभियोजन की स्वीकृति मांगी है। एपीसीसीएफ महला अभी जबलपुर वृत्त में सीसीएफ के पद पर पदस्थ हैं।
    विभाग विधि विभाग से ले रहा राय
    बताते हैं कि विभाग विधि विभाग से राय ले रहा है कि भारतीय वन सेवा के वरिष्ठ अधिकारी के खिलाफ अभियोजन की स्वीकृति दी जाए अथवा नहीं। सूत्रों ने बताया कि विभागीय आईएफएस अफसर ड्राइवर संतोष की तरफ से लोकायुक्त में की गई भ्रष्ट अफसर की शिकायत को सही नहीं मानते। इसलिए वे महला को क्लीन चिट देना चाह रहे हैं। अफसरों का मानना है कि किसी ड्राइवर की शिकायत पर बड़े अधिकारी की जांच की जाए अथवा नहीं। लोकायुक्त ने ड्राइवर और सीसीएफ महला के भी बयान दर्ज किए हैं। दोनों के बयानों में भी कुछ विरोधाभास सामने आए हैं।

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