
भोपाल/प्रणव बजाज/बिच्छू डॉट कॉम। मध्यप्रदेश सरकार भले ही किसानों की आय दोगुनी करने के तमाम प्रयास कर रही है, लेकिन अफसर हैं कि उसकी मंशा पर पलीता लगाने का कोई मौका नहीं छोड़ते हैं। संबंधित विभाग के अफसर सिर्फ अपना फायदा ही तलाशते रहते हैं, फिर किसान और सरकारी खजाने का कुछ भी हो। हाल ही में ऐसे ही एक नए मामले का खुलासा हुआ है, जिसमें उद्यानिकी विभाग के अफसरों द्वारा प्याज बीज खरीदी में बड़ा घोटाला कर डाला गया। यह घोटाला बीज को तय दामों की दर से दोगुनी दर पर खरीदकर अंजाम दिया गया है।
अब इस मामले की शिकायत मुख्यमंत्री सहित विभागीय मंत्री भारत सिंह कुशवाहा की गई है। इसके बाद कुशवाहा ने पूरे मामले की जांच के आदेश जारी कर दिए हैं। यह पहला मौका नहीं है जब प्याज के नाम पर पहली बार सरकारी अमले ने इस तरह को खेल किया हो, बल्कि इसके पहले भी छह साल पहले करोड़ों रुपयों की चपत प्याज के नाम पर लगाई जा चुकी है। उस समय भी काफी हो हल्ला होने पर सरकार ने जांच के आदेश दिए थे, जिसके बाद कुछ लोगों पर कार्रवाई भी की गई थी।
राज्य शासन ने उद्यानिकी नर्सरियों पर उत्पादित प्रमाणित सब्जी बीजों की विक्रय दरें 1100 रुपए प्रति किलो तय की हुई हैं, इसके बाद भी उद्यानिकी विभाग ने अप्रमाणित खरीफ प्याज बीज 2300 रुपए प्रति किलो की दर पर खरीद लिया । इसमें भी खास बात यह है कि यह बीज भी एमपी एग्रो की जगह दूसरी संस्थाओं से खरीदा गया है।
राष्ट्रीय बागवानी मिशन में इसी साल पहली बार ही खरीफ प्याज को शामिल किया गया है। इसके बाद विभाग द्वारा दो करोड़ रुपए में 90 क्विंटल प्याज बीज को खरीदा गया है। नियमों को दरकिनार कर खरीदी करने की शिकायत मिलने के बाद उद्यानिकी मंत्री द्वारा इस मामले के जांच के आदेश दिए गए हैं।
यह कहा गया है शिकायत में
किसान एकता मंच प्रदेश अध्यक्ष मुकेश पाटीदार की ओर से की गई शिकायत में कहा गया है कि आयुक्त उद्यानिकी को एमआईडीएच योजना में संकर सब्जी बीज के नाम पर केन्द्र सरकार से 2 करोड़ रुपए मिले थे। इस राशि से नियमों को ताक पर रखकर निम्न गुणवत्ता के अप्रमाणित प्याज बीज की किस्म एग्री फाउंड डार्क रेड की खरीदी कर ली गई है, जबकि केन्द्र की गाइडलाइन के तहत इस पैसे से संकर बीज ही खरीदा जाना था। उद्यानिकी संचालनालय के 29 सितंबर, 2020 को जारी पत्र के मुताबिक सब्जी बीज की दरें (वर्ष 2020-21) में 1100 रुपए प्रति किलो हैं, जबकि प्याज के बीज खरीदी के लिए बगैर टेंडर बुलाए सीधे एनएचआरडीएफ इन्दौर से 2300 रुपए प्रति किलो की दर पर बीज की खरीदी कर ली गई है। यह खरीदी तब कर ली गई है, जबकि उक्त बीज अन्य शासकीय संस्थाओं में शामिल नेफेड व एमपीएसी एवं अन्य कई मान्यता प्राप्त निजी संस्थाओं सहित कई बीज उत्पादक संस्थाएं कम कीमत पर सप्लाई करने को तैयार थीं।
छह साल पहले इस तरह खजाने को लगी थी करोड़ों की चपत
दरअसल चार साल पहले मध्य प्रदेश में सरकारी स्तर पर प्याज की खरीदी की गई थी। इसमें भी बड़े पैमाने पर घोटाला हुआ था। इस मामले की जांच में खुलासा हुआ था कि उस समय अकेले प्याज की हम्माली और तुलाई में ही 25 गुना से अधिक का भुगतान कर दिया गया। दरअसल, उस समय सरकार ने किसानों को राहत पहुंचाने के लिए 10.40 लाख क्विंटल प्याज 62.45 करोड़ में खरीदी थी और उसके भंडारण, परिवहन और हम्माली एवं तुलाई पर 44.24 करोड़ खर्च कर दिए। खास बात यह है कि इसमें अकेले हम्माली पर 22 करोड़ रुपए खर्च कर दिए गए थे। तब अफसरों द्वारा 100 किलो यानी 600 रुपए की प्याज की खरीदी के समय हम्माली और परिवहन पर 220 रुपए खर्च कर दिए थे।
जीएम सहित पांच पाए गए थे दोषी
छह साल पहले भाजपा सरकार में ही हुए प्याज खरीदी घोटाले के मामले में आर्थिक अपराध अन्वेषण प्रकोष्ट (ईओडब्ल्यू) की जांच में तत्कालीन महाप्रबंधक श्रीकांत सोनी सहित पांच अफसरों को दोषी पाया गया था। उस समय उनके खिलाफ भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम के तहत प्रकरण दर्ज किया गया था। उस समय उनके द्वारा जांच को प्रभावित करने के लिए राजनीतिक दबाव डलवाया गया था। इस मामले में ईओडब्ल्यू ने जीएम व मंडी सचिव सहित व्यापारियों को भी आरोपी बनाया था। इस मामले की जांच में पाया गया था कि सरकार ने 8 रुपए में जो प्याज खरीदे थे, उन्हें बेचने में नागरिक आपूर्ति निगम के अधिकारी सहित दलालों और व्यापारियों ने मिलकर मनमाने तरीके से बेच दिया। इसमें कमीशनखोरी के भी आरोप सामने आए हैं। इस मामले में तत्कालीन जीएम, नागरिक आपूर्ति निगम श्रीकांत सोनी, राजेश पाटीदार थोक व्यापारी, विनोद पाटीदार थोक व्यापारी, दोनों शाजापुर, वीरेंद्र आर्य मंडी सचिव शाजापुर, दलाल नवरतन जैन शाजापुर, ओमपाल ऊर्फ ओमप्रकाश नोडल आॅफिसर उज्जैन को जांच में दोषी पाया गया था।