डेढ़ हजार नए चिकित्सकों पर अब शिंकजा कसने की तैयारी

नए चिकित्सकों

भोपाल/रवि खरे/बिच्छू डॉट कॉम। चिकित्सकों की कमी से जूझ रहा प्रदेश का स्वास्थ्य महकमा अब पूरी तरह से सख्त रुख अपनाने की तैयारी कर चुका है। उसके निशाने पर अब ऐसे डेढ़ हजार चिकित्सक हैं , जो प्रदेश के सरकारी मेडिकल कॉलेजों से पढ़ाई पूरी कर चिकित्सक तो बन चुके हैं , लेकिन तय शर्त पर खरा उतरने को तैयार नही हैं। दरअसल मेडिकल काउंसिल के नियमों के तहत इन्हें एमबीबीएस या फिर पीजी की शिक्षा पूरी करने के बाद एक साल तक अपनी सेवाएं बांड नियमों के तहत ग्रामीण इलाकों में देनी होती हैं, लेकिन वे पढ़ाई पूरी करने के बाद भी अपनी सेवाएं ग्रामीण इलाकों में देने के लिए तैयार नही हैं।
यह वे नए चिकित्सक हैंं जो अपनी पढ़ाई पूरी करने के बाद गायब हैं। अब तय किया गया है कि इन सभी को उनके डीन के माध्यम से नोटिस देकर अनिवार्य बंधपत्र ग्रामीण सेवा के नियम का पालन करने को कहा जाएगा। इसके बाद भी अगर वे इस शर्त के पालन के लिए अपनी सहमति तय समय सीमा में नहीं देते हैं, तो फिर उनके खिलाफ सख्त रुख अपनाते हुए उनके खिलाफ पंजीयन निलंबन तक की कार्रवाई की जा सकती है। यह कदम मप्र मेडिकल काउंसिल द्वारा उठाया जाएगा। सरकार द्वारा इस तरह के कदम उठाए जाने से ग्रामीण इलाकों के सरकारी अस्पतालों में बहुत हद तक चिकित्सकों की कमी की समस्या से मुक्ति मिल जाएगी।
डेढ़ दशक से अधिक समय से हैं गायब
हाल ही में जब इस मामले में मप्र मेडिकल कांउसिल द्वारा समीक्षा की गई तो पता चला कि कई चिकित्सक की पढ़ाई पूरी कर चुके छात्र ऐसे हैं जो बीते 18 साल से गायब हैं। यह वे डाक्टर हैं जो भरे गए बांड के नियमों का पालन ही नहीं कर रहे हैं। इनमें भोपाल, ग्वालियर, इंदौर, रीवा, जबलपुर के 2006 से लेकर 2019 तक के पीजी की पढ़ाई पूरी करने वाले  चिकित्सक ऐसे हैं, जिनके द्वारा न तो तय शर्त के मुताबिक ग्रामीण इलाकों में सेवाएं दी गई हैं और न ही बांड की ही राशि जमा की गई है। यह हैरानी वाली जानकारी सामने आने के बाद अब सख्त रुख अपनाने का तय किया गया है।
यह हैं हाल
अगर बांड की शर्तों पर खरा न उतरने वाले चिकित्सकों की बात की जाए तो इस मामले में सर्वाधिक संख्या इंदौर में सरकारी मेडीकल कॉलेज से पढ़ाई पूरी करने वालों की हैं। इंदौर में यह संख्या सर्वाधिक 375 है। इसी तरह से भोपाल में 370, ग्वालियर में 301, जबलपुर में 188 , रीवा में 229, और सागर में सबसे कम 6 है। इनमें भी यूजी डिप्लोमा पूरा करने वालों की संख्या 515 है।

Related Articles